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एक्रोबेटिक जिम्नास्टिक का इतिहास बेहद पुराना और विविधताओं से भरा हुआ है। यह खेल विभिन्न संस्कृतियों में हजारों सालों से मौजूद है। एक्रोबेटिक्स के चित्र प्राचीन कांस्य युग की कला में मिले हैं और इसे होमर की महाकाव्यों में भी दर्शाया गया है। प्राचीन ग्रीस के सिम्पोजियम और चीन के हान वंश के फसल उत्सवों में भी एक्रोबेटिक्स का उल्लेख मिलता है। मध्य युग में यह खेल यूरोप के शाही दरबारों में मनोरंजन का मुख्य स्रोत हुआ करता था।
एक्रोबेटिक जिम्नास्टिक का विकास: एक्रोबेटिक जिम्नास्टिक को एक खेल के रूप में उभरने का श्रेय उपकरणों और टम्बलिंग के उपयोग को जाता है। इन दोनों ने मानव शरीर की क्षमताओं को प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहली बार एक्रोबेटिक्स के नियम सोवियत संघ में बनाए गए, जहाँ स्टेडियम भरकर लोग विशाल मानव पिरामिड जैसे कारनामों को देखने आते थे। 1939 में सोवियत संघ ने पहला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप आयोजित किया।
वैश्विक विकास: पहली अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता "स्पोर्ट एक्रोबेटिक्स" के नाम से 1957 में वारसॉ में आयोजित की गई, जिसमें चार टीमों ने हिस्सा लिया। 1973 में "इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट्स एक्रोबेटिक्स (IFSA)" की स्थापना की गई और अगले साल 1974 में मॉस्को में पहला विश्व चैम्पियनशिप हुआ। इस प्रतियोगिता में बुल्गारिया, जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन, हंगरी, पोलैंड, सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका की टीमें शामिल थीं। 1998 में IFSA के विलय के बाद इसे अंतर्राष्ट्रीय जिम्नास्टिक संघ ने अपनाया और 2007 में इसे "एक्रोबेटिक जिम्नास्टिक" नाम दिया गया।
ओलंपिक इतिहास: एक्रोबेटिक जिम्नास्टिक ने 2018 के "समर यूथ ओलंपिक गेम्स" में अपनी ओलंपिक शुरुआत की। इस प्रतियोगिता में मिक्स्ड पेयर इवेंट आयोजित किया गया, जिसमें बुल्गारिया के मारिएला कोस्टाडिनोवा और पानायोट दिमित्रोव ने स्वर्ण पदक जीता। इसके साथ ही वे टीम इवेंट के भी स्वर्ण विजेता बने, जहाँ विभिन्न देशों के जिम्नास्टों को एक साथ मिलकर खेलना पड़ा। यह टीम इवेंट कलाकार, रिदमिक, ट्रैम्पोलिन और एक्रोबेटिक जिम्नास्टिक के जिम्नास्टों को एक मंच पर लेकर आया।
बच्चों के लिए कुछ खास:
- एक्रोबेटिक जिम्नास्टिक बच्चों के लिए बहुत मजेदार और रोमांचक खेल है। यह उन्हें उनकी शारीरिक क्षमताओं को निखारने और अनुशासन सिखाने में मदद करता है।
- बच्चे इस खेल में टीमवर्क सीखते हैं, जहाँ वे एक साथ मिलकर बड़े कारनामों को अंजाम देते हैं, जैसे मानव पिरामिड बनाना।
- यह खेल बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
इस प्रकार, एक्रोबेटिक जिम्नास्टिक की कहानी हजारों वर्षों की यात्रा है, जो विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं से गुज़रते हुए एक आधुनिक खेल के रूप में उभरी है।
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