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Youngest Grandmaster Gukesh
सबसे छोटा ग्रैंडमास्टर गुकेश- गुकेश ने शतरंज के अपने सफर की शुरुआत घर में अनौपचारिक तौर पर खेलते हुए की। अपने घर में ही उन्होंने इसके बुनियादी गुर सीखे। एक बेहतरीन शतरंज खिलाड़ी की प्रतिभा उनमें शुरू से ही दिख रही थी.वो स्कूल में थे तभी ग्रैंडमास्टर का ख़िताब हासिल कर लिया था।
उनके पिता काम में व्यस्त रहते थे और गुकेश उनका बेसब्री से इंतज़ार करते थे। उनके पिता ने उन्हें व्यस्त रखने के लिए स्कूल के बाद शतरंज की अभ्यास कक्षाओं में भेजना शुरू किया.जल्दी ही उनके कोच ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया और उनके माता-पिता को उन्हें खास ट्रेनिंग दिलवाने के लिए प्रोत्साहित किया।
गुकेश को अपने माता-पिता और स्कूल, दोनों का प्रोत्साहन मिला। जल्द ही वो स्थानीय टूर्नामेंट में जीत हासिल करने लगे।
गुकेश ने 2015 में गोवा में शतरंज की नेशनल स्कूल चैंपियनशिप जीती थी और फिर इसके बाद अगले दो साल तक वो इसे जीतते रहे।
2019 में वो ग्रैंडमास्टर बन गए. वो सबसे कम उम्र के भारतीय ग्रैंडमास्टर थे। दुनिया में वो तीसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर थे।
रैंकिंग के मामले में वो भारत में दूसरे और दुनिया में पांचवें नंबर पर हैं। ईएलओ रैंकिंग में 2750 प्वाइंट को पार करने करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी हैं।
ईएलओ रैंकिंग खिलाड़ियों की तुलनात्मक क्षमता का आकलन करती है। 2016 में उन्होंने कॉमनवेल्थ चेस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद उन्होंने स्पेन में आयोजित अंडर-12 वर्ल्ड चैंपियनशिप जीती थी।
2021 उन्होंने यूरोपियन चेस क्लब कप जीता, जहां उनका मुक़ाबला मैगनस कार्लसन से था.वो दस ओपन टाइटल जीत चुके हैं, जिनमें फ्रांस में आयोजन 2020 का केन्स ओपन शामिल है।
इसके अलावा वो 2021 का नॉर्वेजियन मास्टर्स, 2022 में स्पेन में आयोजित 2022 का मेनोर्का ओपन और 2023 में नॉर्वे गेम्स का टाइटिल जीत चुके हैं।
गुकेश के पिता डॉक्टर रजनीकांत ईएनटी सर्जन है.शतरंज में अपने बेटे की दिलचस्पी को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपना मेडिकल करियर छोड़ दिया.गुकेश की मां डॉक्टर पद्माकुमारी मद्रास मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं।
गुकेश जब वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए चुने गए तो उनके पिता रजनीकांत ने बीबीसी को बताया था, ''बाहर से शांत दिखने वाले गुकेश असल में बेहद शरारती हैं। वो कुछ न कुछ शरारत करते हैं। घर में वो हमें चकमा देते रहते हैं।''उन्होंने बताया था कि शतरंज मैचों की तैयारियों के दौरान गुकेश अपने कोच के सिवा किसी से बात नहीं करते। मैं भी उनके बगल में बैठने की हिम्मत नहीं करता हूं और न फोन इस्तेमाल करता हूं। ऐसा करने से उसका ध्यान भटक सकता है।''
बीबीसी से बातचीत में रजनीकांत ने बताया था, ''मुझे शतरंज की मोटी बातें पता है। शतरंज की बाजियों की रणनीति गुकेश और उनके कोच ही तय करते हैं। मेरी भूमिका उन्हें टूर्नामेंटों तक ले जाने और उनकी दूसरी ज़रूरतें पूरी करने तक सीमित थी।''
हाल ही में वर्ल्ड चेस यूट्यूब के साथ इंटरव्यू में गुकेश ने बताया कि किस तरह योगाभ्यास ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाया।"मैं गुस्सा करता था और हार के बाद टूर्नामेंट में ठहर सा जाता था। लेकिन अब मैं मुक़ाबले में मिली शिकस्त के सदमे से तकरीबन आधे घंटे में ही उबर जाता हूँ। इस ट्रिक को सीखने के बाद मैं अब अगली बाज़ी के बारे में सोचने लगता हूँ।"
टूर्नामेंट्स के सिलसिले में गुकेश भले ही दुनिया के अलग-अलग कोनों में जाते हों, लेकिन अब भी उनके पसंसीदा व्यंजन दक्षिण भारतीय ही हैं, जिसमें डोसा और दही-चावल शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें हिंदी फ़िल्में भी काफ़ी पसंद हैं।
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