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काफी समय से विश्व भर में पानी की कमी एक समस्या बनी हुई है जिससे बहुत से देश प्रभावित है। खबरों के अनुसार दक्षिण अफ्रीका की राजधानी शहर केप टाउन को 14 अप्रैल, 2023 के बाद, जल विभाग द्वारा पानी की आपूर्ति ना कर पाने के कारण, दुनिया का पहला बिना पानी वाला शहर घोषित किया गया है।
बताया जाता है कि उस शहर के लोगों के नहाने पर पाबंदी लगा दी गई है और 10 लाख लोगों के जल कनेक्शन काटने की तैयारी चल रही है। केपटाउन में पानी के टैंकर से 25 लीटर पानी राशनिंग के साथ वितरित करने की बात हो रही है। दरअसल विश्व का केवल 2.7% जल ही पीने योग्य है। पानी की कमी का यह गहरा संकट किसी भी शहर में आ सकता है, कुछ समय पहले हम सबने रेल द्वारा लातूर (महाराष्ट्र) को पानी भेजते हुए भी देखा था। अब हमें मानव जीवन और पर्यावरण पर पानी की कमी के गंभीर दुष्प्रभाव को समझना होगा ।
पानी की कमी के कई कारण है जैसे जनसंख्या वृद्धि और जल प्रदूषण। पॉपुलेशन बढ़ने के साथ पानी की मांग बढ़ती जा रही है और प्राकृतिक जल संसाधनों में कमी आ रही है। जल प्रदूषण भी पानी की कमी का एक कारण है। इंसानों द्वारा जल स्रोतों का दुरुपयोग किया जा रहा है। घर, फैक्टरी, मवेशिखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल जब स्वच्छ जल स्रोतों से जा मिलता है तो साफ पानी भी दूषित हो जाता है और इस तरह पेय जल की कमी हो जाती है। इसके अलावा जैसे-जैसे आसपास के सभी बांधों में पानी का जल स्तर कम होता जा है तो भूमिगत जल स्तर पर भी गहरा असर पड़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण भी पानी की कमी देखी जा रही है ग्लोबल वार्मिंग के कारण वातावरण का तापमान बढ़ रहा है और बारिश का पैटर्न बदल रहा है जिससे कहीं बाढ़, कहीं सूखा तो कहीं ओले पड़ रहे है।
इसलिए यह जरूरी है कि हम एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पानी की बर्बादी रोक कर पानी की एक एक बूंद का सही उपयोग करें। आइए पानी बचाने के कुछ उपाय जाने : पानी का नल लगातार चलता ना छोड़ें। अगर घर का कोई नल टपक रहा हो तो उसे तुरंत मरम्मत करें। अपनी बिल्डिंग या घर के ओवरहेड टैंक और ग्राउंड टैंक को ओवरफ्लो होने ना दें। गार्डन या गमले में उतना ही पानी डालें जितनी पेड़ पौधों को जरूरत हो। नहाने , बर्तन कपड़ा और घर की साफ़ सफाई के लिए भी नाप कर पानी लें।
कार, बाइक या साइकल को रोज न धोएं। उन्हे कवर करके रखें। घर, आँगन, सीढ़ी, फर्श को धोने में कम पानी का प्रयोग करें।
खुली सड़क या मैदान में पर पानी न छिड़कें
जल संरक्षण का भार अकेले सरकार पर छोड़ना ठीक नहीं है, यह एक सामाजिक जिम्मेदारी है।