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Chandrayaan 3: भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। यह चंद्रयान-2 का एक महत्वपूर्ण फॉलोअप मिशन है, जिसे लैंडिंग प्रयास के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
चंद्रयान-3 में एक लैंडर और एक रोवर शामिल है, जिनका नाम क्रमशः विक्रम और प्रज्ञान है। इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉंच किया गया। पिछले मिशन के विपरीत इस बार कोई ऑर्बिटर नहीं है । जब लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किलोमीटर दूर होगा तो वह प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा। इसके बाद रोवर लैंडर से बाहर आएगा और अपनी खोज और पड़ताल शुरू करेगा।
मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर लैंडर को सुरक्षित रूप से सॉफ्ट लैंडिंग करना, चंद्रमा की सतह पर रोवर की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन करना और लूनर सर्फेस पर मौजूद भौगोलिक तथा रासायनिक परिक्षण वैज्ञानिक प्रयोग करना है। सफल होने पर, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लक्षित करने का एक मुख्य कारण पानी और खनिजों की संभावित उपस्थिति है। यह क्षेत्र अधिकतर छाया में रहता है, जिससे तापमान बेहद कम हो जाता है। इस क्षेत्र की खोज से चंद्रमा के संसाधनों के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिल सकती है और भविष्य के दीर्घकालिक अनुसंधान में योगदान मिल सकता है।
चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचने में लगभग एक महीने का समय लगेगा और इसके अगस्त के अंत में सतह पर उतरने की उम्मीद है। यह भारत के लिए एक रोमांचक क्षण और अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। मिशन की सफलता न केवल भारत के अंतरिक्ष विज्ञान प्रयासों को बढ़ावा देगी बल्कि चंद्रमा की हमारी समझ और भविष्य की खोज के लिए इसकी क्षमता में भी योगदान देगी।
भारत के अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन जैसे अन्य देशों ने भी चंद्र अन्वेषण में महत्वपूर्ण प्रगति की है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, चन्द्रमा पर पानी की उपस्थिति और दीर्घकालिक अनुसंधान के लिए इसके महत्व के कारण निकट भविष्य में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रही है।,
कुल मिलाकर, चंद्रयान-3 वैज्ञानिक खोजों और अंतरिक्ष अन्वेषण में प्रगति के लिए बड़ी संभावनाएं रखता है। यह अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं का एक और झिलमिलाता उदाहरण है। मून आइस के सैंपल का परीक्षण करने वाला यह अपनी तरह का पहला मिशन है। खबरों के अनुसार चंद्रयान के निर्माण में लगभग 615 करोड़ रुपये लगे हैं। चंद्रयान 3 की सफलता से भारत की टेक्नोलॉजिकल पावर भी पूरे विश्व के सामने उजागर हो जाएगा। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 लॉंच की सफल लॉंचिंग की ढेर सारी बधाईयाँ दी।
★सुलेना मजुमदार अरोरा ★