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हिंदी बाल कविताएँ (Hindi Kids Poems) बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ उन्हें महत्वपूर्ण सीख देने का एक बेहतरीन माध्यम हैं। इसी कड़ी में, सफ़दर हाशमी द्वारा रचित "छोटी का कमाल" (Chhoti Ka Kamaal) एक ऐसी ही लोकप्रिय और शिक्षाप्रद कविता है। यह कविता NCERT की कक्षा 1 की हिंदी पाठ्यपुस्तक 'रिमझिम' का एक अभिन्न हिस्सा है।
इस कविता में 'समरसिंह' नाम का एक किरदार है, जिसे अपनी लंबाई और ताकत पर बहुत घमंड है। वह खुद को 'आलू भरा पराँठा' और 'पटसन का मोटा रस्सा' समझता है, जबकि 'छोटी' नाम की लड़की का मज़ाक उड़ाते हुए उसे 'पतली रोटी' और 'कच्ची सुतली' कहता है। समरसिंह का यह अहंकार तब चकनाचूर हो जाता है, जब वे दोनों पार्क में 'सी-सॉ' (Sea-Saw) झूले पर बैठते हैं। कविता बड़े ही रोचक और हास्यपूर्ण तरीके से दिखाती है कि कैसे 'पतली-दुबली' छोटी अपने वजन के कारण झूले पर नीचे रहती है, जबकि घमंडी समरसिंह हवा में ऊपर लटक जाते हैं और उनके 'होश ठिकाने' आ जाते हैं।
यह कविता बच्चों को सिखाती है कि हमें कभी भी अपने रूप-रंग, कद-काठी या ताकत पर घमंड नहीं करना चाहिए। यह ज़रूरी नहीं कि जो दिखने में कमज़ोर या छोटा लगे, वह सच में वैसा ही हो। असली ताकत और महत्व समय आने पर ही पता चलता है। "छोटी का कमाल" एक सरल लेकिन प्रभावशाली रचना है जो बच्चों के मन में समानता और विनम्रता के बीज बोती है।
कविता: छोटी का कमाल
समरसिंह थे बहुत अकड़ते, छोटी, कितनी छोटी।
मैं हूँ आलू भरा पराँठा, छोटी पतली रोटी।
मैं हूँ लंबा, मोटा तगड़ा, छोटी पतली दुबली।
मैं मोटा पटसन का रस्सा, छोटी कच्ची सुतली।
लेकिन जब बैठे सी-सॉ पर, होश ठिकाने आए,
छोटी जा पहुँची चोटी पर, समरसिंह चकराए।
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