Humayun’s Tomb: दिल्ली का मुग़ल काल का अद्भुत स्मारक

हुमायूँ का मकबरा (Humayun’s Tomb), जिसे हिंदी में हुमायूँ की कब्र कहा जाता है, दिल्ली में मुग़ल वास्तुकला का एक अनूठा नमूना है। यह 16वीं शताब्दी का स्मारक सम्राट हुमायूँ की पहली पत्नी, सम्राट बेगम द्वारा बनवाया गया था।

By Lotpot
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Humayun Tomb A wonderful monument of the Mughal period in Delhi
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हुमायूँ का मकबरा (Humayun’s Tomb), जिसे हिंदी में हुमायूँ की कब्र कहा जाता है, दिल्ली में मुग़ल वास्तुकला का एक अनूठा नमूना है। यह 16वीं शताब्दी का स्मारक सम्राट हुमायूँ की पहली पत्नी, सम्राट बेगम द्वारा बनवाया गया था। यह 27 हज़ार हेक्टेयर के बड़े क्षेत्र में स्थित है और ऐतिहासिक तथा वास्तुशिल्पीय चमत्कारों से समृद्ध है। यह स्थान इतिहास प्रेमियों और वास्तुकला के जानकारों के लिए अवश्य देखने योग्य है।

हुमायूँ के मकबरे की वास्तुकला

हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में मुग़ल वास्तुकला का प्रतीक है। इसे प्रसिद्ध वास्तुकार मीरक मिर्जा घ्यस द्वारा डिज़ाइन किया गया था।

संरचना

इसकी सममित-आठकोणीय डिजाइन, भव्य लाल बलुआ पत्थर की संरचना, फ़ारसी प्रेरित दोहरा गुंबद, और जटिल सफेद संगमरमर की सजावट इसे अद्वितीय बनाते हैं।

Humayun Tomb A wonderful monument of the Mughal period in Delhi

मकबरे का आंतरिक हिस्सा

इस मकबरे का आंतरिक हिस्सा महंगे शमिनाना और कालीनों से सजा हुआ है, जो इसे शाही रूप प्रदान करता है। इस मकबरे के अंदर हुमायूँ की तलवारें, पगड़ी, और जूते सजावट और स्मृति के रूप में रखे गए हैं।

फ़ारसी-शैली का बाग़

यह बाग़ अपने सुंदर फ़ारसी-शैली के बाग़ों के लिए प्रसिद्ध है, जो बहते पानी के चैनलों द्वारा चार भागों में विभाजित है। ये बाग़ चारबाग़ के डिज़ाइन का उत्तम उदाहरण हैं, जो इस्लामी वास्तुकला में स्वर्ग के विचार का प्रतीक है।

बुलंद दरवाज़ा

मुख्य प्रवेश द्वार, जिसे 'बुलंद दरवाज़ा' कहा जाता है, लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना एक विशाल द्वार है, जो इस वास्तुशिल्पीय चमत्कार की भव्यता को और बढ़ाता है।

हुमायूँ के मकबरे में क्या खोजें?

ईसा ख़ान का मकबरा

यह मकबरा हुमायूँ के मकबरे से पहले का है। इसका आकार आठकोणीय है और यह मुग़ल वास्तुकला का एक पूर्ववर्ती उदाहरण है।

चारबाग़ बाग़

यह सुंदर बाग़ अपने सममित और चतुष्कोणीय संरचना के लिए जाना जाता है।

अरब सरेई

यह उन शिल्पकारों के लिए विश्राम गृह था, जिन्होंने इन स्मारकों का निर्माण किया था।

बौ हलिमा का बाग़ और मकबरा

यह एक शांत बाग़ है, जो सम्राट अकबर की दूध-पीने वाली माँ के लिए समर्पित है।

निला गुंबद

इसका नाम इसके नीले टाइल वाले गुंबद के कारण पड़ा है, जो कुशलता के साथ निर्मित मकबरा है।

चिल्लाह निज़ामुद्दीन औलिया

यह प्रसिद्ध सूफी संत निज़ामुद्दीन औलिया का निवास स्थान था।

नईका गुंबद

यह हुमायूँ के राज्य के एक शाही नाई के लिए समर्पित है।

हामिदा बेगम का सेनोटाफ

यह हुमायूँ की पत्नी हामिदा बेगम के लिए एक खाली मकबरे का स्मारक है।

दारा शिकोह का सेनोटाफ

यह खाली मकबरा शाहजहाँ के सबसे बड़े बेटे के लिए समर्पित है।

कुछ रोचक तथ्य

  • हुमायूँ को अपने मकबरे के परिसर में दफनाने से पहले दो अलग-अलग स्थानों पर दफनाया गया था।
  • इस परिसर को 1993 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
  • हुमायूँ का मकबरा भारत में पहला बाग़ मकबरा है।
  • चारबाग़ बाग़ की डिज़ाइन ने बाद में ताजमहल के डिज़ाइन को प्रभावित किया।
  • इस परिसर में 100 से अधिक कब्रें हैं।
  • मकबरे का गुंबद 42.5 मीटर ऊँचा है।
  • इस परिसर के निर्माण में लगभग 1.5 मिलियन रुपये खर्च हुए और इसे पूरा करने में लगभग 8 साल लगे।

हुमायूँ का मकबरा एक अद्भुत जीवित धरोहर है, जो न केवल अपने आकार और सौंदर्य के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके सामाजिक व्यवहार और प्रजनन के अनूठे तरीके के लिए भी। यह बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो उन्हें यह सिखाता है कि परिवार और सहयोग का महत्व क्या होता है।

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