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भारत का आखिरी गांव: भारत का आखिरी गांव माणा, उत्तराखंड में स्थित है, जो तिब्बत (चीन) की सीमा के पास है। यह गांव न केवल अपनी भौगोलिक स्थिति के लिए, बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ बद्रीनाथ तीर्थयात्रा के साथ-साथ व्यास गुफा और गणेश गुफा जैसे स्थान भी महत्वपूर्ण आकर्षण हैं, जो इसे पर्यटन और सामान्य ज्ञान के लिए खास बनाते हैं।
भारत का आखिरी गांव: माणा की विशेषताएं
माणा गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है, और इसे भारत का आखिरी गांव कहा जाता है क्योंकि यह भारत-तिब्बत सीमा के सबसे नजदीक है। समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह गांव, बद्रीनाथ धाम से लगभग 3 किलोमीटर दूर है। यह स्थान हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके पास स्थित व्यास गुफा और गणेश गुफा का धार्मिक महत्व है। माना जाता है कि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना इसी गुफा में की थी।
भौगोलिक और रणनीतिक महत्व
माणा गांव का भू-स्थानिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह चीन की सीमा से सटा हुआ है। भारतीय सेना इस क्षेत्र में सक्रिय रहती है और सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा के लिए यह गाँव एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में देखा जाता है। पर्यटन के लिहाज से भी यह क्षेत्र काफी आकर्षण रखता है, क्योंकि यहाँ से अलकनंदा नदी का नजारा और हिमालय की चोटियाँ बेहद सुंदर दिखती हैं।
सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन
माणा गांव के लोग मुख्य रूप से तिब्बती बौद्ध धर्म से प्रभावित हैं और यहां की संस्कृति विशिष्ट रूप से तिब्बती-हिमालयी मिश्रण का प्रतीक है। गांव में प्रवेश करते ही एक बड़े बोर्ड पर लिखा मिलता है, "भारत का आखिरी गांव" जो पर्यटकों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है। यहाँ की ठंडी जलवायु और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को खींचती हैं।