ISKCON मंदिर: कृष्ण भक्ति का अनोखा केंद्र और शिक्षा स्थल ISKCON मंदिर- दिल्ली के दक्षिण में स्थित ISKCON (इस्कॉन) मंदिर, जिसे "अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ" के नाम से भी जाना जाता है, एक विशाल परिसर है जो लगभग तीन एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। By Lotpot 05 Oct 2024 in Travel New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 ISKCON मंदिर- दिल्ली के दक्षिण में स्थित ISKCON (इस्कॉन) मंदिर, जिसे "अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ" के नाम से भी जाना जाता है, एक विशाल परिसर है जो लगभग तीन एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। यह मंदिर न केवल भक्ति के लिए एक पवित्र स्थल है, बल्कि यह शिक्षा, ध्यान, और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक केंद्र भी है। इस मंदिर का मुख्य उद्देश्य कृष्ण भक्ति को बढ़ावा देना और लोगों को भक्ति योग का महत्व समझाना है। मंदिर का निर्माण और इतिहास इस्कॉन आंदोलन की शुरुआत 1960 के दशक में न्यूयॉर्क शहर में हुई थी। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1998 में पूरा हुआ और इसे भक्तों और श्रद्धालुओं के सहयोग से बनाया गया था। मंदिर के निर्माण के लिए कई टन पत्थर, लकड़ी, और संगमरमर का उपयोग किया गया, और इसे हिंदू वास्तुकला के अनुसार अद्वितीय रूप से सजाया गया है। मंदिर के विभिन्न अनुभाग ISKCON मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि यहां कई अन्य महत्वपूर्ण स्थान हैं जो श्रद्धालुओं और आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। इस परिसर में 6 मुख्य भाग हैं: मुख्य मंदिर: जहां भक्त भगवान कृष्ण की पूजा और आरती में शामिल होते हैं। वैदिक अध्ययन केंद्र: यहां वैदिक फिलॉसफी और भक्ति योग की शिक्षा दी जाती है। वैदिक संस्कृति संग्रहालय: यह संग्रहालय बच्चों और बड़ों को हिंदू शास्त्रों के बारे में रोचक तरीके से सिखाता है। वैदिक कला प्रदर्शन केंद्र: यहां कलाकार वैदिक नृत्य और संगीत का प्रदर्शन करते हैं। आश्रम: इस आश्रम में भक्त रहकर ध्यान और शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव पार्क: यह पार्क भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े किस्सों और ध्यान का स्थान है। पूजा विधि और दर्शन इस मंदिर में प्रतिदिन विभिन्न आरतियां होती हैं, जहां भक्त भगवान कृष्ण की मूर्तियों के दर्शन करते हैं। "दर्शन" सुबह 4:30 बजे से शुरू होता है, और पूरे दिन कई बार भगवान के दर्शन और आरती की जाती है। यहां आने वाले भक्त भगवान को फूल, धूप, और मंत्रों के साथ भेंट चढ़ाते हैं। मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ-साथ श्रीमद भगवद गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों पर प्रवचन भी होते हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान से समृद्ध करते हैं। संग्रहालय और कला दीर्घाएं ISKCON मंदिर का वैदिक संस्कृति संग्रहालय अद्वितीय है, क्योंकि यह बच्चों और बड़ों को हिंदू शास्त्रों को मनोरंजक तरीके से सिखाता है। "भगवद गीता" और "रामायण" पर आधारित ऑयल पेंटिंग और अन्य कलाकृतियां भी यहां प्रदर्शित की जाती हैं। भोजन और गोविंदा का अनुभव मंदिर में स्थित गोविंदा रेस्तरां में शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता है, जो भगवान कृष्ण को भोग चढ़ाने के बाद भक्तों को परोसा जाता है। यहां आप 18 तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। पूजन कार्यक्रम और समय सुबह 4:30 बजे मंगला आरती से दिन की शुरुआत होती है। दर्शन आरती सुबह 7:15 बजे होती है। राजभोग आरती दोपहर 12:30 बजे होती है। शाम को 5 बजे उठापना आरती और 7 बजे संध्या आरती होती है। रात को 8:30 बजे सयाना आरती के साथ दिन समाप्त होता है। आगंतुकों के लिए दिशा-निर्देश मंदिर में शांति और ध्यान का माहौल बनाए रखने के लिए सभी से निवेदन है कि वे मंदिर के अंदर फोटोग्राफी से बचें और उचित वस्त्र धारण करें जो कंधे और घुटनों को ढकते हों। मंदिर में प्रवेश निशुल्क है, लेकिन आप चाहें तो दान भी कर सकते हैं। ISKCON मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान का केंद्र है। यहां हर उम्र के लोग आते हैं और भगवान कृष्ण की भक्ति के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त करते हैं। चाहे आप एक भक्त हों या केवल इस अद्वितीय स्थान का अनुभव करने आए हों, यह मंदिर आपके मन और आत्मा को शांति और ज्ञान से भर देगा। Source:अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें(UNESCO). इन जगह पर भी आप जा सकते हैं :- जोशीमठ यात्रा - जोशीमठ की वादियों में अद्भुत रोमांचKalimpong Travel : एक अद्भुत यात्रा का अनुभवPatiala Travel : पंजाब की ऐतिहासिक वास्तुकला का शहरBharatpur Travel: राजस्थान का पक्षी स्वर्ग और ऐतिहासिक धरोहर #Best Travelling Place #Best Travel Place #Best Travel Idea #Best Travelling Place #Best Travel Place #Best Travel Idea You May Also like Read the Next Article