पानी का संकट और गहराया, अब क्या करना चाहिए?

पृथ्वी पर हर जीव जंतु , पेड़ पौधे, के लिए जल आवश्यक है। यह पीने के साथ साथ स्वच्छता, कृषि और औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है। हालाँकि, इसके महत्व के बावजूद, हाल के दिनों में पानी की कमी एक वैश्विक मुद्दा बन गई है,

By Lotpot
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Water crisis deepens, what should be done now

पृथ्वी पर हर जीव जंतु , पेड़ पौधे, के लिए जल आवश्यक है। यह पीने के साथ साथ स्वच्छता, कृषि और औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है। हालाँकि, इसके महत्व के बावजूद, हाल के दिनों में पानी की कमी एक वैश्विक मुद्दा बन गई है, जो विकसित और विकासशील दोनों देशों को भी प्रभावित कर रही है।

जल संकट का अर्थ है जन जीवन, की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त जल का नहीं होना। दरअसल जनसंख्या वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जल संसाधनों (वॉटर रिसोर्सेज) के ठीक तरीके से प्रबंधन ना होने के कारण जल का डिमांड और सप्लाई आपूर्ति के बीच असंतुलन पैदा हो गया है। इस संकट का मानव जीवन, जीव जंतु और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है और आज दुनिया भर के कई देश पानी की कमी, प्रदूषण और खराब वॉटर मैनेजमेंट के कारण जल संकट का सामना कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति रही तो भारत के साथ साथ विश्व के अन्य बहुत से देशों में जल संकट बढ़ जाएगा। आज की तारीख में दुनिया के कई देश जैसे केप वर्दे, मिस्र, भारत, इराक, जॉर्डन, मेक्सिको, मोरक्को, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, यमन वगैरह पानी की भारी किल्लत से जूझ रही है। भारत के कई शहर जैसे चेन्नई, महाराष्ट्र, बुंदेलखंड, गाजियाबाद, दिल्ली में भी पानी की स्थिति खराब है।

जल संकट से निपटने के लिए सही तरीके से जल प्रबंधन रणनीति तैयार करना जरूरी है। इसमें सबसे पहला कदम पानी की बचत करना है। बर्तन, कपड़ा, कार, घर, आंगन धोते और नहाते समय नल खुला छोड़ना नहीं चाहिए बल्कि कंटेनर में पानी भरकर फिर इस्तेमाल करना चाहिए, टपकते नल को रीपैर करना और वॉटर उपकरणों तथा फिक्स्चर का उपयोग करना चाहिए हालाँकि, जल संकट से निपटने के लिए केवल यही पर्याप्त नहीं है। सरकारों और अधिकारियों को पानी बचाने के लिए कई नियमों और नीतियों को लागू करना चाहिए। कुछ उपाय जो किए जा सकते हैं उनमें पानी की खपत पर अंकुश निर्धारित करना, पानी की बर्बादी के लिए सख्त कानून बनाना और जल संरक्षण के महत्व के बारे में जनता को शिक्षित और जागरूकता करना शामिल है।

जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन बहुत उपयोगी है। इसमें खेत बगीचों की सिंचाई, कपड़े धोने और टॉयलेट फ्लशिंग जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा जल को इकट्ठा करके भंडारण करना होता है। वर्षा जल संग्रहण में कंटेनरों में वर्षा जल एकत्र करने जैसी सरल तकनीकों से लेकर छत और बिल्डिंग कंपाउंड में बड़े टंकी लगाकर वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ सेटअप तक हो सकती हैं। ये प्रणालियाँ मीठे पानी के स्रोतों पर निर्भरता को कम करके और पानी की कमी का सामना करने वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।

इसके अलावा रेन कैचमेंट एरिया जैसे झील, तालाब, तलैया, मैदान में भी वर्षा जल को कृत्रिम रूप से बरसा कर जल संग्रहण किया जा सकता है। इसके साथ ही प्रशासन को जल का दोहन विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए। पानी का अत्यधिक गलत उपयोग, प्राकृतिक जल स्रोतों को गन्दा करना या उन्हे बंद कर देना, भूजल का अत्यधिक पंपिंग, वॉटर बॉडीज़ के अनधिकृत मोड़, इस तरह के जल शोषण से तथा अवैध गतिविधियों से बचने के लिए नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई करना चाहिए। जल संरक्षण और जल संग्रहण के लिए सरकारों को बड़े पैमाने पर जल संरक्षण परियोजनाओं में निवेश करना चाहिए और जलाशयों तथा बांधों का निर्माण, पानी के रिसाइक्लिंग के लिए जल उपचार संयंत्रों और ड्रिप सिंचाई जैसी कृषि में कुशल सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए।

इसके साथ ही जल संरक्षण और जल दोहन के परिणामों के बारे में आम जनता को शिक्षित और जागरूक करना भी आवश्यक है
जल संकट एक गंभीर मुद्दा है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढियां बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज ना हो जाए और उन्हे बेहतर भविष्य मिल सके।

★ सुलेना मजुमदार अरोरा★