गंगा के पानी में ऐसा क्या है कि उसे अमृत कहा जाता है? गंगा नदी भारत की सभी नदियों में से सबसे महत्त्वपूर्ण और पवित्र नदी है जो अपने तटों पर बसे शहरों की जलापूर्ति करके जंहा जनमानस की प्यास बुझाती है वहीं खेतों की सिंचाई भी करती है। इसलिए गंगा नदी की पूजा, उपासना, देवी तथा माँ के रूप में किया जाता है। By Lotpot 22 Nov 2022 in Stories Interesting Facts New Update गंगा नदी भारत की सभी नदियों में से सबसे महत्त्वपूर्ण और पवित्र नदी है जो अपने तटों पर बसे शहरों की जलापूर्ति करके जंहा जनमानस की प्यास बुझाती है वहीं खेतों की सिंचाई भी करती है। इसलिए गंगा नदी की पूजा, उपासना, देवी तथा माँ के रूप में किया जाता है। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, सब धार्मिक ग्रंथों और सहित्य में गंगा के सौंदर्य, महत्त्व और महिमा का विशेष उल्लेख है, यहाँ तक कि विदेशियों द्वारा भी गंगा नदी की सुन्दरता और उपयोगिता की प्रशंसा की गई है। इस विशाल नदी के ऊपर बनी बाँध और पुल तथा नदी परियोजनाएं भारत की बिजली, कृषि और जल सम्बन्धित जरूरतों को पूरा करने के साथ साथ देश के कृषि, मत्स्य और पर्यटन बिजनैस में भी भारी सहयोग करती है। गंगा के पानी में मौजूद ऑक्सीजन का स्तर, सारी दुनिया में मौजूद किसी भी अन्य नदी की तुलना में 25% अधिक है। हालांकि इंसानों द्वारा इसमें हर रोज लाखों टन कूड़ा कचरा, और लगभग तीन लाख लीटर प्रदूषित तरल कचरा बहाया जाता रहा है, फिर भी गंगाजल के परीक्षण से वैज्ञानिक हैरान है क्योंकि इसकी शुद्धता दूसरी नदियों के मुकाबले काफी हद तक बनी रहती है। गंगाजल की शुद्धता के इस रहस्य के पीछे वैज्ञानिकों को कई प्रमुख कारण मिले हैं। गंगा के पानी पर किए गए कई अध्ययनों में पाया गया है कि इसमें बैक्टीरियोफेज नामक एक विशिष्ट प्रकार के वायरस की मात्रा अधिक होती है। यह जीवाणु गंगा जल में पाए जाने वाले सभी प्रकार के हानिकारक जीवाणुओं को मार देता है जिससे जल स्वच्छ रहता है। हमारे इस दिव्य गंगा जल में स्वयं सफाई और स्वयं चिकित्सा गुण भी हैं इस कारण इस पानी से हैजा और पेचिश की बीमारी बहुत कम होती है। वैसे इस बारे में और शोध किए जाने की जरूरत है। बताया जाता है कि गंगा नदी की तलहटी में कई औषधीय पौधे हैं, जो इसके जल को कई लाभ प्रदान करते हैं। गंगा कई पर्वतीय क्षेत्रों से होकर बहती है जो इसे खनिजों और विशेष रूप से गंधक से भरपूर बनाती है। गंगा जल, सालों साल बिना सड़े रह सकती है । यही कारण है कि वर्षों पहले जब एरोप्लेन की सवारी नहीं होती थी और जब अंग्रेज, भारत से अपने देश जहाज पर सवार होकर जाते थे तो इस कई महीनों की यात्रा के दौरान पीने के लिए बड़े बड़े कन्टेनर में गंगाजल लेकर जाते थे क्योंकि यह सड़ता नहीं। फिर भी आज की स्थिति में गंगा का पानी, कुछ शहरों से गुजरते हुए इंसानों की लापरवाही के कारण शोचनीय हो गई है और वैज्ञानिकों ने खतरे की घंटी बजा दी है जिस कारण गंगा की साफ सफाई का मुहिम शुरू हो चुका है। ★सुलेना मजुमदार अरोरा★ #Interesting Facts You May Also like Read the Next Article