भेस्तान लुहार फलिया की अद्भुत अकल्‍पनीय गोल्डन रामायण

भगवान राम के जीवन पर ऋषि वाल्मीकि द्वारा रचित अनुपम महाकाव्य 'रामायण' के बारे में हम सबको पता है। 24,000 छंदों वाली यह महाकाव्य हज़ारों वर्षों से भारतीयों का एक पवित्र और प्रिय ग्रंथ है, और हिंदू धर्म तथा भारतीय संस्कृति पर इसका प्रभाव बहुत है।

By Lotpot
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Wonderful Golden Ramayana of Bhestan Luhar Falia

भगवान राम के जीवन पर ऋषि वाल्मीकि द्वारा रचित अनुपम महाकाव्य 'रामायण' के बारे में हम सबको पता है। 24,000 छंदों वाली यह महाकाव्य हज़ारों वर्षों से भारतीयों का एक पवित्र और प्रिय ग्रंथ है, और हिंदू धर्म तथा भारतीय संस्कृति पर इसका प्रभाव बहुत है। ज्यादातर घरों में रामायण ग्रंथ की प्रति होती है। दुनिया भर में 300 से ज्यादा रामायण प्रचलित है। पिछले कुछ समय से 'रामायण 'का एक अद्भुत और अकल्‍पनीय संस्करण भारत के लोगों के बीच खूब चर्चा का विषय बना हुआ है। गुजरात के सूरत शहर में भेस्तान स्थित लुहार फलिया की स्वर्ण रामायण, रामभाई गोकरण भाई द्वारा तैयार की गई एक उत्कृष्ट कृति है।

बताया जाता है कि 1981 में गुजरात के सूरत में श्री रामअयन के परदादा रामभाई गोकर्ण भाई ने नौ महीने नौ घंटे में स्वर्ण रामायण को तैयार किया जिसमें बारह भक्त शामिल थे। 530 पृष्ठ के इस बेहद सुंदर स्वर्ण रामायण पुस्तक का वजन 19 किलोग्राम है और इसे 222 तोला शुद्ध स्वर्ण पिघलाकर तैयार की गई स्याही से रामायण, भगवान राम के जीवन लिखी गई है। इसे सोने के अलावा चार हजार से अधिक हीरे, माणिक और पन्ने जैसे कीमती पत्थरों से सजाया गया है। इस स्वर्ण रामायण में श्रीराम का नाम पांच करोड़ बार लिखा गया है। स्वर्ण रामायण तैयार करने के लिए जर्मनी से खास किस्म का कागज मंगवाया गया जो कभी नष्ट नहीं होते और जिसपर पानी/नमी का भी कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। इस स्वर्ण रामायण के मुख्य पृष्ठ अर्थात जिल्द पर भगवान शिव, भगवान गणेश और राम भक्त हनुमान जी का चित्र है। भगवान शिव को एक तोले सोने से तथा हनुमान जी को आधा तोला सोना से बनाया गया है। रामायण के अंतिम पृष्ठ भी पाँच किलो शुध्द चांदी से बना है।

पुस्तक पूरी तरह से हस्तनिर्मित है, और प्रत्येक पृष्ठ को सोना पिघालकर बनाए स्वर्ण स्याही से लिखा और चित्रित किया गया है। पृष्ठों के किनारों और पुस्तक के कवर को कठिन और जटिल शिल्प से उकेरा गया है।
रामभाई गोकर्ण भाई का यह स्वर्ण रामायण अपनी अनूठी शिल्प कौशल और अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण दुर्लभ है। यह कला के एक अद्भुत बानगी से कहीं अधिक है।

यह स्वर्ण रामायण प्रत्येक वर्ष तीन बार, गुरु पूर्णिमा, रामनवमी और दीपावली के द्वितीय दिन, दर्शनार्थ भक्तों के सामने रखा जाता है। यह दुनिया की पहली रामायण पुस्तक है जिसे सोने की स्याही से लिखा गया और जिसपर हीरे, पन्ना, माणिक और नीलम का उपयोग किया गया। इससे यह जानकारी मिलती है कि इस पुस्तक की कीमत करोड़ो में है।

इस किताब को बनाना कोई आसान काम नहीं था। रामभाई गोकर्ण भाई को प्रत्येक पृष्ठ को बनाने, लेआउट डिजाइन करने, पुस्तक की जिल्दसाजी करने और अंतिम रूप देने के लिए हर दिन लंबे समय तक काम करना पड़ता था।
यह स्वर्ण रामायण पुस्तक, अपने कलात्मकता के साथ साथ ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए भी मूल्यवान है।

★सुलेना मजुमदार अरोरा ★