बाल कहानी : मेहनती लकड़हारा

मेहनती लकड़हारा (Hindi Kids Story) : किसी गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही गरीब था। परन्तु बहुत महनती आदमी था। एक दिन जब वह पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काट रहा था। तब उसने मन में सोचा कि रोज दस बीस रूपए की लकड़ी को बेचकर हमारा कुछ भी भला नहीं होता। रोज सुबह आकर मैं शाम तक लकड़ी काटूंगा और थोड़ी लकड़ी ले जाकर बाजार में बेच दूंगा।

By Lotpot
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मेहनती लकड़हारा Hindi Kids Story

मेहनती लकड़हारा (Hindi Kids Story) : किसी गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही गरीब था। परन्तु बहुत महनती आदमी था। एक दिन जब वह पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काट रहा था। तब उसने मन में सोचा कि रोज दस बीस रूपए की लकड़ी को बेचकर हमारा कुछ भी भला नहीं होता। रोज सुबह आकर मैं शाम तक लकड़ी काटूंगा और थोड़ी लकड़ी ले जाकर बाजार में बेच दूंगा।

बाकी लकड़ी यहां एक अच्छी जगह यहां कोई भी पहुंच पाये वहीं जमा कर दिया करूंगा। इस तरह लकड़ी जमा करते-करते बहुत-सी लकड़ियां जमा हो जायेंगी। तब मैं इन लकड़ियों को बाजार में ले जाकर बेच दूंगा। इस तरह से मैं एक धनी आदमी हो जाऊंगा। इस विचार से वह दूसरे दिन सुबह चार बजे उठा और बिना कुछ खाये-पीये ही जंगल की तरफ चल दिया। वहां बहुत ही अंधेरा था। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

तभी एक तरफ से किसी के चलने की आवाज सुनाई दी। वह जिधर से आवाज आ रही थी उधर ही चल दिया। थोड़ी दूर चलने के बाद उसने देखा कि एक बूढ़े बाबा चले आ रहे हैं। वह बहुत ही भूखे प्यासे लग रहे थे। तब बाबा ने लकड़हारे से कहा कि बच्चा कुछ खाने पीने को मिलेगा?

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तब लकड़हारे ने कहा लीजिये रूखी खा लीजिये, मैं आज भूखा रह लूंगा। तब बाबा ने कहा, ‘‘नहीं बेटा आओ तुम भी मेरे साथ बैठ कर खाओ मैं अकेला नहीं खाऊंगा। लकड़हारे के बहुत कहने पर भी बाबा नहीं माने। तब बाद में लकड़हारे ने बाबा के साथ बैठकर खाना खाया। पास के तालाब में दोनों ने शीतल जल पिया।

तब बाबा ने खुश होकर लकड़हारे से कहा भगवान तुझे सुखी रखे। लकड़हारे ने कहा कि मैं बहुत गरीब लकड़हारा हूं। तब बाबा ने कहा कि नहीं, तुम बड़े भाग्यशाली हो। वह दिन भर सोता रहता है और रात में एक भयानक राक्षस बन जाता है। वहां रात को कोई भी आदमी जाता है तो उसे वह मार कर खा जाता हैं। इसलिये कभी भी कोई आदमी उधर नही जाता है।

उसी पेड़ के नीचे एक तहखाना है। जहां तुम्हारा भाग्य रखा है। वह राक्षस दिन में पेड़ की रखवाली करता है और शाम को राक्षस बनकर तहखाने में चला जाता हैं। लकड़हारे ने जब सब बातें सुनी तो उसे कुछ डर भी महसूस हुआ लेकिन साहस करके वह बोला कि तब तो वहां जाना खतरनाक हैं। वहां जाना मौत के बराबर हैं। यह बात सुनकर बाबा ने कहा कि मेरे पास ऐसा उपाय है

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कि राक्षस मर भी सकता है। तब बाबा ने एक बूटी दिखाते हुये कहा कि इस को वहां से एक फर्लांग दूर रख देना। तब वह तोता इसकी सुगन्ध पाकर मरने लगेगा। तब तुम उस पेड़ के पास जाकर कहना कि ‘पृथ्वी मुझे तहखाने का रास्ता दिखा’ यहीं दो बार कहना तो वहां से पृथ्वी हट जायेगी और तुम्हें सीढ़ियां दिखाई देने लगेंगी।

तुम अन्दर आकर फिर कह देना कि ‘पृथ्वी तहखाने का रास्ता बन्द कर दो’ फिर नीचे उतर कर तुम अपना भाग्य ले लेना और फिर तुम वहां आकर कहना कि ‘पृथ्वी मुझे बाहर का रास्ता दिखा’ और फिर तुम बाहर चले आना और सीधे अपने घर चले जाना। लेकिन एक बात ध्यान में रखना कि रात होने से पहले ही तुम यह काम कर के घर लौट आना।

अगर तुम थोड़ी-सी देर वहां रूकोगे। तो तुम्हें खतरा हो जायेगा और तुम वहां से लौट नहीं सकोगे। लकड़हारे ने सब बातें अच्छी तरह समझ कर बाबा के पैर छुए और बाबा ने आशीर्वाद दिया और बाबा वहां से चले गये। वह वहां से पूर्व की ओर चल दिया। कुछ दूर चलने के पश्चात् उसने देखा कि एक फर्लांग दूर एक पेड़ हैं। जिस पर एक काला तोता बैठा हैं।

वह समझ गया कि वह वही तोता है फिर उसने वही बूटी वहां रख दी। थोड़ी देर बाद वह तोता यानी उस भयानक राक्षस की मृत्यु हो गई।

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लकड़हारा धीरे-धीरे उस पेड़ के पास पहुँचा और बाबा की बताई हुई बातों को कहा और नीचे उतर कर अपना भाग्य ले लिया। और सीधे अपने घर गया। घर आकर जब उसने देखा कि मेरे पास इतना पैसा हो गया है तो मैं झोपड़ी में क्यों रहूं? उसने सब पैसा बांधा और शहर चला गया। वहां जाकर उसने एक मकान खरीदा और एक लड़की से शादी कर ली और दोनों आराम से दिन बिताने लगे। उसके बाद उनके एक लड़का पैदा हुआ। वह भी अपने पिता के समान मेहनती और परिश्रम करने वाला बालक था।

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