देश दुनिया के लिए 94 वर्षीय दादी, भगवानी देवी डागर एक प्रेरणा आज जहां युवा और बच्चे थोड़ी सी मेहनत करके थक हार जाते हैं वहीं हमारे देश की एक पीढ़ी अभी भी ऐसी है जो युवाओं को भी अपनी चुस्ती स्फूर्ति से पछाड़ सकते हैं। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के नजफगढ देहात के मालिकपुर की रहने वाली 94 वर्ष की दादी भगवानी देवी डागर की जो अपनी सारी तकलीफ़ों को दूर भगाकर ऐसे ऐसे पॉसिटिव कार्य कर रही है जिससे उनके गांव का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन हो रहा है। By Lotpot 18 Oct 2022 | Updated On 18 Oct 2022 09:21 IST in Stories Lotpot Personality New Update आज जहां युवा और बच्चे थोड़ी सी मेहनत करके थक हार जाते हैं वहीं हमारे देश की एक पीढ़ी अभी भी ऐसी है जो युवाओं को भी अपनी चुस्ती स्फूर्ति से पछाड़ सकते हैं। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के नजफगढ देहात के मालिकपुर की रहने वाली 94 वर्ष की दादी भगवानी देवी डागर की जो अपनी सारी तकलीफ़ों को दूर भगाकर ऐसे ऐसे पॉसिटिव कार्य कर रही है जिससे उनके गांव का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन हो रहा है। उनके पति का निधन 63 वर्ष पहले हो चुका था, उन्होंने बहुत तकलीफें सहकार अपने बेटे को पाला। उनका जन्म 1928 को हरियाणा के छोटे से गांव सिड़का में हुआ था। उम्र के जिस दौर में अक्सर लोग बीमार रहने लगते है और हमेशा बिस्तर पर लेटे या बैठे रहते हैं, उस उम्र में दादी जी दुनिया भर में अपनी काबिलियत की धूम मचाती और भारत का डंका बजाती जा रही है, यह एक प्रेरणा की बात नहीं तो और क्या है। भगवानी देवी डागर ने वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2022 में भारत के लिए एक स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीते हैं। उन्होंने 100 मीटर स्प्रिंट में स्वर्ण पदक जीता जिसे उन्होंने 24.74 सेकंड में पूरा किया था। वे इस दौड़ में विश्व रेकॉर्ड तोड़ने में सिर्फ एक सेकेंड से पीछे रह गई, लेकिन उन्होंने नैशनल अवार्ड का रेकॉर्ड तो तोड़ ही दिया। इसके साथ ही उन्होंने शॉटपुट में कांस्य पदक भी हासिल किया। फिनलैंड के टेंपेर में आयोजित इस चैम्पियनशिप में दादीजी भगवानी देवी के मेडल जीतते ही जब भारत देश का राष्ट्रगान गूँजने लगा तो पूरी दुनिया वाह वाह कर उठी। भगवानी देवी जी ने इससे पहले भी कई ऐसे कारनामों को अंजाम दिया था। उन्होंने चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीते थे। इसके पश्चात ही वे 2022 वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए क्वालीफाई की गई थी । भगवानी देवी जी की इन सफलताओं से मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स ने उन्हें बहुत बहुत बधाई दी और ट्वीट किया "भारत की 94 वर्षीय #भगवानी देवी डागर जी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उम्र, किसी भी काम के लिए कोई बाधा नहीं है।" अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए भगवानी देवी जी ने खूब नृत्य किया। दादी जी पिछले एक वर्ष से चैंपियनशिप की तैयारी कर रही थी, वे सुबह पाँच बजे उठकर दौड़ने की प्रैक्टिस करती थी और फिर शाम को भी दौड़ लगाती थी।। उनका जीवन काफी संघर्षों में गुज़रा। वे घर का सब काम खुद ही करती है, वे खेतों में भी काम करती थी। उनका सपना था कुछ कर दिखाने का, जो अब पूरा हुआ, जिसमें उनके पोते विकास डागर की प्रेरणा भी शामिल हैं, जो खुद एक अंतर्राष्ट्रीय पैरा एथलीट हैं। दादी जी भगवानी देवी डागर को पुराने गानें सुनने का बड़ा शौक है और खाने में दूध घी से बनी चीज़े बहुत पसंद है। पैंतीस वर्ष से ऊपर के खिलाडियों के लिए आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप कार्यक्रम की शुरुआत 1975 में की गई थी। You May Also like Read the Next Article