सत्रह वर्षीय प्रेम कुमार की बड़ी उपलब्धि

अब्दुल कलाम साहब ने कहा था कि सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते, इस मंत्र से प्रभावित, फुलवारी शरीफ स्थित गौनपुरा गांव के प्रेम कुमार ने वो करने की ठान ली जिससे आगे चलकर ना सिर्फ उसके परिवार और समाज, बल्कि राज्य और देश का हित होगा। प्रेम के गांव में लगभग सभी अशिक्षित है, लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए हर कठिनाई से गुजर जाने की चुनौती ने प्रेम कुमार को वो अवसर दिया जो सुविधा संपन्न बच्चों को भी मुश्किल से मिलता है।

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Big achievement of seventeen year old Prem Kumar

अब्दुल कलाम साहब ने कहा था कि सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते, इस मंत्र से प्रभावित, फुलवारी शरीफ स्थित गौनपुरा गांव के प्रेम कुमार ने वो करने की ठान ली जिससे आगे चलकर ना सिर्फ उसके परिवार और समाज, बल्कि राज्य और देश का हित होगा। प्रेम के गांव में लगभग सभी अशिक्षित है, लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए हर कठिनाई से गुजर जाने की चुनौती ने प्रेम कुमार को वो अवसर दिया जो सुविधा संपन्न बच्चों को भी मुश्किल से मिलता है।

प्रेम को 2.5 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति पर अमेरिका के प्रतिष्ठत लाफायेट कॉलेज में पढ़ने के लिए चुन लिया गया है। यह उपलब्धि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पूरे विश्व से केवल छह छात्रों को अमेरिका के लाफायेट कॉलेज से डायर फेलोशिप के लिए चुना जाता है । विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार दुनिया की सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण समस्याओं को सुलझाने के लिए पूरे विश्व से सिर्फ चुने गए छात्रों को उनके प्रतिभा, जुनून और काबिलियत के आधार पर फेलोशिप दी जाती है और इसलिए, पटना के इस गरीब परंतु बेहद कुशाग्र बुद्धि के छात्र प्रेम को 2.5 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली, जिससे उसके अमेरिका में रहने का खर्च, ट्यूशन फीस, स्वास्थ्य बीमा, यात्रा का खर्च, किताबों का खर्च पूरा होगा। सत्रह वर्षीय प्रेम, शोषित समाधान केंद्र के बारहवीं के छात्र है।

जल्द ही वो अमेरिका के लाफायेट कॉलेज में चार वर्षीय मेकेनिकल इंजीनियरिंग एंड इंटरनेशनल रिलेशंश कोर्स करने के लिए चला जाएगा। प्रेम कुमार का जीवन भयंकर अभावों में बीता है। कई बार तो उसे भूखे पेट सोना पड़ता था। पिता जीतन मांझी दिहाड़ी मजदूर हैं। स्कूल में दाखिले की फीस के लिए उनकी माँ को भी बहुत कठिन मजदूरी करनी पड़ी थी।

प्रेम को बचपन से ही पढ़ाई की धुन थी। वो नीम के पेड़ के नीचे घन्टों पढ़ाई करता था। वे अब्दुल कलाम सहाब के जीवन और सोच से बहुत प्रभावित है और उन्हीं की तरह देश सेवा करना चाहता है। सात वर्ष की उम्र में उनकी माँ कलावती देवी का देहांत हो गया था।

प्रेम कुमार यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के सम्भवतः प्रथम महादलित छात्र है। दुनिया की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध, छात्रों को ही यह सम्मान मिलता है। प्रेम कुमार ने पढ़ाई के महत्त्व के बारे में कहा, "विद्या के द्वारा ही आप देश और दुनिया के हित के लिए काम कर सकते हैं।"

 -सुलेना मजुमदार अरोरा