इन्हें पढकर सच्चे गर्व की अनुभूति होती है…
मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, लेकिन मैं वापस अवश्य आऊंगा।
-कैप्टन विक्रम बत्रा, परम वीर चक्र
Rakhi Festival: हिन्दू त्यौहारों का स्त्रोत हिन्दू ग्रन्थ और धर्म है। बल्कि आपको हिन्दू परम्पराओं और संस्कृति के बारे में उनके धार्मिक ग्रंथो से पता चल जायेगा। राखी की शुरूआत भी हिन्दू धर्म से ही है। हालाँकि राखी के त्यौहार के इतिहास में इसकी सही तारीख और समय तो नहीं पता लेकिन इसकी कहानियां कई है। पत्नी द्वारा अपने पति को धागा बांधने की परंपरा से शुरू हुआ यह त्यौहार अब भाई बहन का त्यौहार बन गया है।

History of Rakhi festival
राखी का त्यौहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नजर आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी।
उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे।
उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। हालाँकि समय के साथ यह त्यौहार पति पत्नी के बजाये भाई बहन का त्यौहार बन गया।
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कहा जाता है कि जब 326 सदी में एलेग्जेंडर ने भारत में घुसपैठ की थी, तब उनकी पत्नी ने पोरस राजा को राखी बाँधी थी और पोरस ने उनसे वादा किया था कि वह उनकी और उनके पति की रक्षा करेंगे। हमारे सामने राखी की गांठ बांधने के और भी कई उदाहरण है, खासकर राजपुताना के इतिहास में।
उन सब में चर्चित कहानी है चितौड़ की रानी कर्णावती की, जिन्होंने मुगल राजा हुमायूँ को गुजरात के बहादुर शाह जफर से बचाने के लिए भेजी थी। पूर्णिमा के उस दिन को रक्षा बंधन के रूप में पहले मारवाड़ में और फिर पूरे राजस्थान में मनाया जाने लगा। धीरे धीरे इस त्यौहार को पूरे भारत में मनाया जाने लगा।
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Educational Gk Questions
1. मुझे मेरे आक्रामक स्टाइल के लिए जाना जाता है। मेरे कभी न हारने वाले व्यवहार की वजह से लोग मुझे बेजर कहते है। कौन हूँ मैं?
एड्डी मेर्क्स
ग्रेग लेमोंड
बरनार्ड हीनाॅल्ट
लाॅरेंट फिगनों
‘Apple’ कम्पनी यकीनन टेक्नोलॉजीस के इतिहास में सबसे पॉपुलर ब्रांड है और उनका वो एप्पल ‘LOGO’ भी प्रसिद्ध है। विश्व मे हर कोई किसी भी एप्पल प्रोडक्ट को, उसके ‘लोगो’ से पहचान जाता है, जो एक ताज़ा सेब है और जिसका एक हिस्सा थोड़ा सा कटा हुआ दिखता है, जैसे किसी ने उस सेब को काट खाया हो लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसा अजीब logo कम्पनी ने क्यों बनाया?
Maharishi Agastya: रोटी कपड़ा और मकान की तरह हमारे जीवन में इलेक्ट्रिसिटी का महत्व भी बढ़ता जा रहा है, जरा सोचिए कि आज के जमाने में बिना बिजली हम जीवन कैसे जी सकते हैं? लेकिन घबराने की बात नहीं, बिजली हमारे जीवन में हमेशा रहेगा क्योंकि यह एक प्राकृतिक शक्ति है, जो दुनिया में मौजूद है। इसे निर्मित करने की जरूरत नहीं बल्कि आविष्कार करने की जरूरत थी जो हमारे पूर्वजों ने किया।
पिंगली वेंकय्या का जन्म आंध्र प्रदेश के भातलपेनुमाररू में 2 अगस्त 1876 में हुआ था। उन्होंने 19 साल की उम्र में ब्रिटिश सेना में काम करना शुरू कर दिया था।
मचिलीपट्नम में चल्लापल्ली और हिन्दू हाई स्कूल में शुरुवाती पढ़ाई करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए कोलोंबो चले गए थे।
हर साल पंद्रह अगस्त के दिन पूरा भारत केसरी, सफेद और हरे रंग से देशभक्ति की भावना का जश्न मनाता है। इस दिन को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी से जुडी कुछ दिलचस्प बातें हम आपको बताते हैः
हम आपको कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जगहों के बारे में बताते है जिन्होंने स्वंत्रता दिलवाने में अहम भूमिका निभाई है और जिनके बिना भारत का स्वतंत्रता आंदोलन अधूरा है।
जन्म के समय बच्चे की 300 हड्डिया होती है, जिनमे से कई नरम हड्डी होती है। यह लचीलापन उन्हें जन्म के रस्ते से बाहर आने में मदद करता है। बड़े होते होते कई हड्डिया खत्म हो जाती है और बड़े होने पर मनुष्य के कंकाल में औसतन 206 हड्डिया होती है।
जुलाई महीने का नाम जूलियस सीजर (Julius Caesar) के नाम के बाद 44 बीसी में रोमन सीनेट के फैसले के बाद पड़ा था क्योंकि उनका जन्म इस महीने में हुआ था।
इससे पहले इस महीने को क्विंटलिस (पांचवा) कहा जाता था क्योंकि पुराने कैलेंडर के मुताबिक यह पांचवा महीना था।