इंजीनियर गुणवंत सोनवाने ने जहां करोड़ों लीटर पानी बचाकर धरती को स्वर्ग बनाया

भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां बारिश भी कम होती है और जब होती भी है तो पानी देखते देखते सूख जाता है। इस वजह से  बारहों महीने अकाल पड़ा रहता है। महाराषट्र का चालीसगांव तालुका ऐसी ही एक जगह है जहां हजारों किसान, जलसंकट के कारण गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं।

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इंजीनियर गुणवंत सोनवाने ने जहां करोड़ों लीटर पानी बचाकर धरती को स्वर्ग बनाया

भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां बारिश भी कम होती है और जब होती भी है तो पानी देखते देखते सूख जाता है। इस वजह से  बारहों महीने अकाल पड़ा रहता है। महाराषट्र का चालीसगांव तालुका ऐसी ही एक जगह है जहां हजारों किसान, जलसंकट के कारण गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं।

वहां के किसान मक्का, कपास, मूंगफली, सोया और अलग अलग दाल की खेती करते हैं लेकिन ज्यादतर समय जलसंकट के कारण उनकी खेती सूख जाती है और किसान तथा वहां के रहवासी भुखमरी के चलते दूसरी जगह पलायन करते हैं।

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गांव में भारी गरीबी के फलस्वरूप बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी नहीं होती। ऐसे में इस तालुका के कालमडू गांव में एक कम्प्यूटर इंजीनियर, गुणवंत सोनावने ने अपने नए शोध और  मेहनत से वहां के रहवासियों और किसानों का जीवन आसान बनाने का सफल प्रयास किया है। इस आइटी प्रोफेशनल ने यहां के छब्बीस गांवों में करोड़ों लीटर पानी बचाने के नए उपाए खोंज निकाले जिससे पचास हजार किसानों को नई जिंदगी मिली है।

गुणवंत पहले ऑटोमेटिक डाटा प्रोसेसिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में काम करते थे, तभी वे पुणे बेस्ड एक एनजीओ सेवा सहयोग से जुड़े और स्लम डेवलेपमंट, स्वास्थ, शिक्षा तथा जल संग्रह के लिए काम करने लगे जिसके कारण उन्हें  न्यू यार्क में एडीपी प्रेसिडेंट ग्लोबल सीएसआर अवॉर्ड भी हासिल हुआ और काफी प्राइज मनी भी मिली। गुणवंत  चाहता तो उन पैसों से एश कर सकता था लेकिन उन्होंने उस प्राइज मनी से कालमाडू और पास के गांव इंदापुर में वॉटर फिल्टर प्लांट्स लगवाया। अपनी रिसर्च से गुणवंत ने पाया कि ब्रिटिश काल के बनाए पुराने तालाब, कूएं, जलाशय  में गंदगी, मिट्टी, कीचड़ भर जाने से वो सूख गई थी।

Engineer Gunwant Sonawane made earth a heaven by saving crores of liters of water

गुणवंत ने गांव वासियों को इन जलाशयों की साफसफाई करके जल संग्रह करने का आइडिया दिया, साथ ही सकाल फाउंडेशन और कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिब्लिटी फंड्स (CSR) से धन की व्यवस्था करके कैचमेंट एरिया में कई कनल्स, खाईयां, बांध, कंक्रीट बैरेजेस, डैम्स, कुएं बनवाए ताकि वहां बारिश का पानी इकट्ठा हो सके और साथ ही गांव वालों से मिलकर तालाबों और हर पुराने जलाशयों की साफ सफाई भी करवाई। इस तरह धीरे धीरे वहां के सभी गांवों में पानी की समस्या दूर होने लगी और बारिश का पानी इकट्ठा होने से सारे जलाशय और नहर-नाले पानी से लबालब भर गई। आज की तारीख में चालीसगांव एक खुशहाल गांव का दर्जा हासिल कर चुका है।