जंगल की मज़ेदार कहानी : शेर की प्रतीक्षा

जंगल की मज़ेदार कहानी - शेर की प्रतीक्षा :- शिकारी जब अपनी बन्दूक से किसी जंगली जानवर का शिकार करता है तो जानवर जोर की गर्जना करके अपना दम तोड़ देता हैं। शिकारी बताते है कि जानवर की खुली आंखें आसमान की ओर होती है। शायद जानवर ब्रह्मा देवता के पास भेजे हुए अपने दूत का रास्ता देखता है। उनका दूत ब्रह्मा देवता के पास शिकायत लेकर गया था। उस दूत को गए कई शताब्दियां हो चुकी है। परन्तु जंगल के सभी जानवर अब भी आशा करते है कि किसी न किसी दिन उनका दूत ब्रह्मा देवता के पास से वापस आ ही जाएगा।

By Lotpot
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Funny Story of Jungle Waiting for the Lion

जंगल की मज़ेदार कहानी - शेर की प्रतीक्षा :- शिकारी जब अपनी बन्दूक से किसी जंगली जानवर का शिकार करता है तो जानवर जोर की गर्जना करके अपना दम तोड़ देता हैं। शिकारी बताते है कि जानवर की खुली आंखें आसमान की ओर होती है। शायद जानवर ब्रह्मा देवता के पास भेजे हुए अपने दूत का रास्ता देखता है। उनका दूत ब्रह्मा देवता के पास शिकायत लेकर गया था। उस दूत को गए कई शताब्दियां हो चुकी है। परन्तु जंगल के सभी जानवर अब भी आशा करते है कि किसी न किसी दिन उनका दूत ब्रह्मा देवता के पास से वापस आ ही जाएगा।

बहुत समय पहले की बात है कि सभी जंगली जानवर ने एक जंगल में सभा बुलाई। यह सभा आदमी के व्यवहार के विरूद्ध रोष प्रकट करने के लिए बुलाई गई थी।

आदमी इस धरती पर बहुत देर बाद में आया। पहले पृथ्वी पर हर जगह जानवर ही रहते थे। कई प्रकार के जंगली जीव और जन्तु थे- खौफनाक, डरावने और भयानक।

सफेद शेर की अध्यक्षता में यह सभा शुरू हुई।

सफेद हाथी बोला, ‘‘आदमी ने हमें मारना शुरू कर दिया है। देखते ही देखते यह हम से बलवान हो गया है। इसने हमारा भोजन छीनना शुरू कर दिया है। आदमी हमारे ऊपर अत्याचार करने लगा है। वह हमारे वंश को एक दिन समाप्त कर देंगा।’’

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बब्बर शेर अपनी पूरी जान लगा के बोला“ ‘‘हमें यह ब्रह्मा देवता को बताना चाहिए।’’

चीता, शेर, भालू, बारह सिंगा, रीछ, हाथी और न जाने कितने जानवर जो देश-विदेशों से आए थे, सभी ने आदमी के अत्याचार की कहानियां सुनाई।

तीन दिन यह सम्मेलन चलता रहा। सभी जानवर तथा जीव-जन्तुओं ने सफेद शेर को अपना प्रतिनिधि बनाया। वह ब्रह्मा के पास जाकर आदमी के अन्याय का हाल सुनाए ब्रह्मा से अनुरोध करे कि आदमी को किसी अलग देश में बसाए ताकि वह अत्याचार न कर सके। कानों कान इसकी खबर आदमी के पास पहुंच गयी। मानव जाति बहुत घबरा उठी, ‘‘ब्रह्मा ने हमारे अत्याचार की बात सुनी तो वे अवश्य गुस्सा हो जाएंगे और कोई श्राॅप मानव को दे ही देंगे।

दूत के जाने का समय आ पहुंचा। सफेद शेर ने अपना सामान एक नाव पर रख के उसे समुन्द्र में डाल दिया आकाश में पूरा चन्द्रमा चमक रहा था। यह शरद पूर्णिमा का पवित्र दिन था। समुन्द्र में डाल दिया आकाश में पूरा चन्द्रमा चमक रहा था। यह शरद पूर्णिमा का दिन था। समुन्द्र में जोर की लहरें उठी। पूर्णिमा की रात्रि समुन्द्र में ज्वार भाटा आता है। शेर अपनी नाव में बैठ गया। लहरें ऊपर उठती गयीं। लहरें आसमान को जब छूने लगी तो सफेद शेर ने पूरे जोर से एंक छलांग लगायी और वह आकाशगंगा में पहुंच गया। आसमान में रात को देखने से फुलझड़ियों जैसे एक प्रदेश दिखाई देता है। उसी रास्ते वह सफेद शेर ब्रह्मा के पास पहुंच गया। आदमी भी बड़ा चालाक निकला। उसे भय था कि ब्रह्मा के पास शिकायत हुई तो उनको इस पाप का दण्ड अवश्य मिलेगा। आदमी ने भी अपना एक दूत ब्रह्मा के पास पहुंचने से पहले ही कोई तरकीब करे।

आदमी के दूत ने ब्रह्मा के प्राइवेट सेक्रेटरी को एक बड़ी रकम घूस में दी। जब साहब थके हों या गुस्से में हो, तब उनके पास जाने देना।

प्राइवेट सेक्रेटरी यह बात मान गया।

दोपहर के बाद ब्रह्मा गुस्से से आग बबूला हो उठे। प्राइवेट सेक्रेटरी ने उसी समय सफेद शेर को अन्दर भेज दिया। शेर ने अपनी ऊंची आवाज में प्रणाम किया। ब्रह्मा ने कहा, ‘‘थोड़े से शब्दों में अपनी बात बताओं। मैं बहुत थका हुआ हुँ।

शेर ने उसी तरह अपनी ऊंची आवाज में बोलना शुरू किया, ‘‘पृथ्वी पर आदमी हमारे जानवरों पर बड़ा अत्याचार कर रहा है...’’ ब्रह्मा को उसकी भद्दी और ऊंची आवाज से घृणा हुई। ब्रह्मा ने सोचा, ये जानवर पृथ्वी में कितना जोर-जोर से बातें करते होंगे। ब्रह्मा ने गुस्से में श्राॅप दिया, ‘‘तुम्हारी बोलने की शक्ति खत्म करता हूं। अब से तुम बोल नहीं सकोगे।

उसे वहीं एक चमकदार तारे में बदल जाने का श्राॅप दिया। वह सफेद शेर अब आकाशगंगा में एक सफेद चमकदार फुलझड़ी की तरह चमकता एक सितारा बन गया है। पृथ्वी में उसी समय सारे जीव-जन्तुओं की वाक्य शक्ति जाती रही। अब वे आपस में आदमी की तरह बातें नहीं कर सकते थे। अब वे आवाज ही कर सकते थे।

कई युग बीत गए है परन्तु जानवर और जन्तु आकाश की ओर अपने गए दूत का रास्ता निहारते रहते है। वह दूत शायद कभी वापस आ जाए। जिन जानवरों ने सभा में सक्रिय रूप से भाग लिया था, आदमी ने उन जानवरों के वंश का नाश ही कर दिया है।

जानवरों के दण्ड से बचने के लिए, आदमी को भय लगा रहता है कि कहीं ब्रह्मा को उसकी चालाकी का पता न लग जाए।

 

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