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कोहरा और धुंध, दोनों ही मौसम की विशेषताएँ हैं जो वातावरण में नमी, तापमान, और प्रदूषण के स्तर के कारण उत्पन्न होती हैं। जब नमी अधिक होती है, हवा की गति कम होती है, और तापमान घटता है, तो कोहरा अपने आप बन जाता है। कोहरे की वजह से दृश्यता में कमी आती है, जो सड़क हादसों, रेल सेवाओं, और हवाई यात्रा पर बुरा असर डालती है।
दूसरी ओर, जब वायुमंडल में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, तब वह प्रदूषण के कणों के साथ मिलकर धुंध का निर्माण करता है। धुंध कोहरे की तुलना में अधिक घातक होती है, क्योंकि इसमें प्रदूषण के हानिकारक कण शामिल होते हैं। यह फेफड़ों और हृदय के लिए विशेष रूप से हानिकारक साबित होती है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
धुंध में उपस्थित उच्च सल्फर डाइऑक्साइड सामग्री क्रोनिक ब्रोंकाइटिस की समस्या पैदा कर सकती है, जबकि उच्च नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सामग्री से अस्थमा होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण के कण (जैसे पीएम 10 और पीएम 2.5) फेफड़ों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। पीएम 2.5 कण, जो 2.5 माइक्रोन से छोटे होते हैं, फेफड़ों के अस्तर में घुसकर सूजन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।
सावधानियाँ
अस्थमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के रोगियों को धुंध के दिनों में अपनी दवाइयाँ नियमित रूप से लेनी चाहिए। उन्हें अपनी डाइट का भी खास ख्याल रखना चाहिए। धुंध के समय बाहर जाने से बचना चाहिए और यदि आवश्यक हो, तो गाड़ी धीरे चलानी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, हृदय रोगियों को सुबह जल्दी उठकर वॉक करने से बचना चाहिए। उन्हें धुंध के दौरान शारीरिक गतिविधियों को कम करने की सलाह दी जाती है। फ्लू और निमोनिया के खिलाफ टीकाकरण करवाना भी बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वे मौसमी बीमारियों से सुरक्षित रह सकें।
इस प्रकार, कोहरा और धुंध न केवल दृश्यता को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए इन मौसम की परिस्थितियों में सजग रहना चाहिए और आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए। हमेशा याद रखें कि स्वच्छ हवा और स्वस्थ जीवनशैली ही सबसे बड़ा संरक्षण है।
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