Moral Story : दान का कमाल प्राचीन काल में सोरठ राज्य के राजा वीर भद्र दान-पुण्य के लिए बड़े लोकप्रिय थे। द्वार पर आने वाला कोई भी याचक खाली हाथ न जाता था।, उनका यह सारा दान, अनीति और अधर्म की कमाई से होता था। By Lotpot 05 Sep 2020 | Updated On 05 Sep 2020 07:40 IST in Stories Moral Stories New Update Hindi Moral Story- दान का कमाल: प्राचीन काल में सोरठ राज्य के राजा वीर भद्र दान-पुण्य के लिए बड़े लोकप्रिय थे। द्वार पर आने वाला कोई भी याचक खाली हाथ न जाता था।, उनका यह सारा दान, अनीति और अधर्म की कमाई से होता था। सरकारी खजाने का कितना ही पैसा उनके ऐश और आराम पर खर्च हो रहा था जनता पर खर्च हो रहा था। जनता कर भार से दबी जा रही थी। मौका देख पड़ोसी राजा ने सोरठ राज्य पर चढ़ाई कर दी। दुर्ग को चारों ओर से घेर लिया गया, पर कुछ दिनों बाद वे दोनों शत्रु के बन्दी गृह से निकल भागे। प्राण रक्षा के लिए इधर-उधर घने जंगलों में भटकने लगे। एक दिन परेशान होकर रानी ने कहा। मैंने सुना है कि सोनल नगरी का एक सेठ पुण्य खरीदने का कार्य करता है। आप तो जीवन भर दान देते रहे हैं। यदि आप भी सोनल नगरी जा कर अपने पुण्य का एक अंश बेच दें तो उदर पूर्ति का साधन तो जुट ही सकता है। Hindi Moral Story और पढ़ें : बच्चो के लिए बाल कहानी : लड़ाई साँप और नेवले की राजा ने रानी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, पर उसके सामने केवल एक ही समस्या थी कि रास्ते में कई दिन लगेंगे। अतः भोजन की क्या व्यवस्था होगी? उस समय राजा रानी एक गांव में ठहरे हुए थे। अतः रानी गई और पड़ोसियों का आटा पीस कर मजदूरी कर थोड़ा आटा कमा लाई। आटा एक पोटली में बांधकर राजा वीर भद्र सोनल नगरी की ओर चल पड़े। चलते-चलते शाम हो गई तो एक गांव में ही ठहर गये। उन्होंने आसपास वृक्षों से लकड़ी तोड़कर आग सुलगाई और चार मोटी-मोटी रोटियां सेक ली। भगवान का भोग लगाकर ग्रास तोड़ने ही वाले थे कि एक भिखारी रोटी मांगता हुआ वहां आया और बुरी तरह गिड़गिड़ाने लगा। राजा को दया आ गई। उसने अपने सामने से दो रोटियां उठाकर भिखारी को दे दीं और शेष दो रोटियां से अपनी भूख मिटाई। वहां से चल कर राजा सोनल नगरी पहंुचा। सेठ के सामने पहुंचने पर उसने अपना परिचय दिया। सेठ ने कहा। आप जिन पुण्यों को बेचना चाहते हैं, उन्हें एक कागज पर लिखकर तराजू के पलड़े में रख दीजिए। राजा ने वैसा ही किया, पर तराजू ज्यों का त्यों रहा। सेठ ने वस्तु स्थिति समझते हुए कहा। मुझे ऐसा प्रतीत होता है, आपने अनीति और अधर्म की कमाई से दान दिया है। राजा बहुत लज्जित हुआ। वह पसीना-पसीना हो गया। अब उसके पास कहने के लिए शब्द ही कहां थे? अतः सेठ ने पुनः कहा, मुझे आपकी परेशानियों पर पूरी सहानुभूति है। आप किसी ऐसे पुण्य का स्मरण कर लें, जो ईमानदारी से अर्जित कमाई द्वारा संचित किया गया हो। यह सुनकर.... राजा काफी सोचता रहा। फिर उसे पिछले दिन की घटना याद आई। जब उसने अपने हाथ से रोटी बनाकर भिखारी को खिलाई थी। भिखारी को रोटी दान में देने की बात एक कागज पर लिखकर उसने तराजू के पलड़े में रख दी। Moral Story पढ़ें : मजेदार बाल कहानी : जब जान पर बन आये तब दूसरे ही क्षण राजा ने देखा कि पलड़ा नीचे झुक गया है। सेठ ने अनेक स्वर्ण मुद्राएँ उसमें रखीं, फिर भी कांटा बराबरी पर नहीं आ रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि छोटे से पुण्य के लिए सेठ को दस हजार स्वर्ण मुद्राएं रखनी पड़ीं। तब कहीं काँटा बीचोबीच आया। राजा मन ही मन पछता रहा था कि मैंने जीवन भर नैतिक साधनों से धन कमाकर दान दिया होता तो मेरे पास भी कमी न रहती और शायद दूसरे के आगे हाथ फैलाने की आवश्यकता न पड़ती। #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article