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कामयाबी की मंजिल आसान नहीं है, लेकिन अगर हौसला बुलन्द हो तो कुछ भी कठिन नहीं है। इस बात का उदाहरण है अहमदाबाद के नैशनल गेम्स में सफ़लता का परचम लहराने वाला राम बाबू (Ram Baboo) जिसने पुरूषों की 35 किलोमीटर पैदल वॉक में राष्ट्रीय रेकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता। राम बाबू ने दो घंटे छत्तीस मिनट, चौंतीस सेकंड में यह दूरी तय करके यह खिताब हासिल किया।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बहुआरा गांव के रहने वाले राम बाबू एक गरीब परिवार से है। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण वे सातवीं से आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। उनके घर पर पानी का कोई पंप भी नहीं है, जिसके कारण उन्हें कई किलोमिटर दूर से पानी लाना पड़ता है। साल 2012 में एक दिन उन्होंने ओलिम्पिक देखा और उनके मन में भी अपने घर, परिवार और देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत होने लगी।
राम बाबू ने दौड़ने की प्रैक्टिस शुरू कर दी लेकिन दो वक्त के भोजन के लिए उन्हें कुछ काम भी करना था इसलिए वे एक होटल के वेटर बन गए और ऑर्डर लेने, खाना परोसने, टेबल साफ करने से लेकर दिन खत्म होने पर साफ़ सफाई का काम भी करते थे। कोई उनसे इज्जत से बात नहीं करता था और छोटू छोटू करके पुकारते थे। उन्होंने कोरियर कम्पनी में बोरियों की सिलाई का काम भी किया। दिन भर वे कड़ी मेहनत करते और सुबह मुँह अंधेरे उठकर दौड़ने की प्रैक्टिस भी करते थे। 2018 में वे रेस वॉकिंग में शामिल हो गए।
लेकिन अचानक कोविड 19 महामारी की त्रासदी के चलते राम बाबू के परिवार पर मुश्किलों का दौर शुरू हो गया। काम छूट जाने के कारण आर्थिक स्थिति खराब होने लगी तो वे अपने पिता के साथ मनरेगा योजना के तहत मिट्टी खोदने का काम करने लगे। प्रतिदिन 300 रुपये कमाने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी लेकिन फिर भी वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगातार वॉकिंग प्रैक्टिस करते रहे। मेहनत मजदूरी के साथ साथ , वे अपने बचे हुए समय में रोज़ चालीस किलोमीटर चलने की प्रैक्टिस करते थे जिससे उन्हें आराम करने का समय भी नहीं मिल पाता था।
आखिर उन्होंने जीवन में आगे बढ़ने का अपना सपना पूरा कर ही लिया और राष्ट्रीय खेलों 2022 में 35 किलोमीटर की चाल को सम्पूर्ण किया। एक तरफ जहां उसे रेकॉर्ड तोड़ने की खुशी हुई, वहीं उन्हें इस बात का अफसोस भी हुआ कि वे और भी अच्छा प्रदर्शन क्यों नहीं कर पाएं। लेकिन राम बाबू को यकीन है कि वे आगे भी इस तरह से और भी रेकॉर्ड तोड़ते जाएंगे। उनका सपना है कि वे पैरिस में होने वाले ऑलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर पाएं। राम बाबू का एक और सपना है कि वे सेना में भर्ती होकर देश की सेवा भी कर सके।
★सुलेना मजुमदार अरोरा