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आज की तारीख में स्मार्टफोन मोबाइल एक ऐसा उपकरण है जो सबके पास है। इस दुनिया में अब बहुत कम लोग होंगे जो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ये वो उपकरण है जो हमें घर बैठे, सब कुछ दरवाजे में मुहैया कराने के साथ साथ दुनिया भर की जानकारियाँ देती है और सात समुंदर पार बैठे, दोस्त रिश्तेदारों के साथ बात भी करा देती है।
लेकिन ध्यान रहे, भले ही इस छोटी सी जादूई डिवाइस ने हमें इतनी सारी सुविधाएं दी है लेकिन इसने हमारी जिंदगी और दुनिया से बहुत कुछ खत्म भी कर दिया है । पहले हम हर सामान दुकानों से जाकर खरीदते थे, लकिन अब मोबाइल के जरिए हर सामान घर बैठे ऑनलाइन मँगवा लेते हैं। इस तरह दुकानों के रोज़गार खा गया ये मोबाईल। ऐसा चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब बाज़ार खत्म हो जाएगा। एक वक्त वो था जब लोग पढ़ने लिखने के लिए, या कोई भी जानकारी, खबर पाने के लिए अथवा कहानी पढ़ने के लिए किताबों, पत्र, पत्रिकाओं का सहारा लेते थे।
आज सबकुछ मोबाइल के जरिए ऑन स्क्रीन पढ़ा जा रहा है। इस तरह देखा जाए तो मोबाइल हमारी किताबें खा गया। पहले हम हिसाब या गणना के लिए कैलकुलेटर का इस्तमाल करते थे, अब मोबाइल में ही कैलकुलेटर होने से ये साफ़ है कि ये मोबाइल हमारे कैलकुलेटर भी खा गया। किसी ज़माने में हम गाने सुनने या रिकॉर्ड करने के लिए रेडियो, टेप रेकॉर्डर खरीदते थे और फोटो खींचने के कैमरे, अब ये सब कुछ इस छोटे से मोबाईल में उपलब्ध है। तो इस तरह यह मोबाईल एक साथ रेडियो, टेप रेकॉर्डर और कैमरे भी खा गया। मोबाईल और टेबलेट के आने से लोग पहले की तरह अब सिनेमा घर, नाटक गृह में जाकर फ़िल्में या नाटक नहीं देखते, क्योंकि सब कुछ इस छोटे से मोबाइल में दिख जाता है। यानी मोबाईल हमारे सिनेमा घर और नाटक गृह भी खा गया।
अब तो बच्चे भी दिन रात अपने मोबाइल में आँखे गड़ाये बैठे रहते है, न मैदान में खेलने जाते है न दोस्तों के साथ हँसते बोलते है। बच्चों का बचपन भी मोबाइल चट कर गया। वो भी क्या दिन थे जब बच्चे अपने नाना, नानी, दादा, दादी से कहानियां सुना करते थे, अब बच्चों को मोबाइल से फुर्सत नहीं। मोबाइल बुजुर्गों के मुँह से कहानी छीन कर खा गया। युवाओं को भी इस मोबाइल ने ऐसी लत लगा दी कि ना ये कोई काम करना पसंद करते हैं, ना अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहते है। मोबाइल आज के युवाओं की जवानी और स्वास्थ्य भी खा रहा है।
मोबाइल के आने के बाद लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से मिलना जुलना छोड़, सिर्फ फोन पर बात करके खाना पूर्ति करने लगे हैं। मोबाइल रिश्तों को खाने लगा है। यह एक ऐसी डिवाइस है जो बड़ो से लेकर बच्चों तक की नींदे खा जाती है, आँखों की रोशनी कम कर देती है । अब आगे चलकर ना जाने ये और क्या क्या खत्म करने वाली है। इसलिए हमें मोबाईल को एक लत की तरह नहीं इस्तमाल करना चाहिए। यदि हम मोबाईल को सावधानी और विवेक, बुद्धि के साथ इस्तमाल करें तो ये छोटा सा मोबाइल हमारे लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।
★सुलेना मजुमदार अरोरा★