बेटी हो तो रोहिणी आचार्य जैसी अक़्सर देखा गया है कि जब बच्चे छोटे होते है तो उनके माता पिता अपनी हैसियत के अनुसार उनके लालन पालन में कोई कमी नहीं रखते, लेकिन जब बच्चे बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं और उनके माता पिता धीरे धीरे बूढे तथा अशक्त होने लगते है तब वही बच्चे अपने इन वृद्ध पैरेंट्स को छोड़कर चले जाते हैं या साथ रहकर भी उनकी देखभाल नहीं करते तथा बात बात पर अपमानित करते है। By Lotpot 08 Dec 2022 | Updated On 08 Dec 2022 06:04 IST in Stories Positive News New Update अक़्सर देखा गया है कि जब बच्चे छोटे होते है तो उनके माता पिता अपनी हैसियत के अनुसार उनके लालन पालन में कोई कमी नहीं रखते, लेकिन जब बच्चे बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं और उनके माता पिता धीरे धीरे बूढे तथा अशक्त होने लगते है तब वही बच्चे अपने इन वृद्ध पैरेंट्स को छोड़कर चले जाते हैं या साथ रहकर भी उनकी देखभाल नहीं करते तथा बात बात पर अपमानित करते है। ऐसे माहौल और समय में जब रोहिणी आचार्य जैसी भारत की एक बेटी ने, अपने बीमार वृद्ध पिता के लिए अपना किडनी दान किया तो लगता है जैसे आज भी यह दुनिया जीने के लिए एक सुन्दर जगह है जहाँ माता पिता को भगवान मानने वाले संतान भारत की भूमि को गर्वित करके दुनिया के हर संतान के लिए एक मिसाल कायम कर रही है। कौन है यह बेटी रोहिणी आचार्य और क्यों हो रही है पूरी दुनिया में इनकी भूरि भूरि प्रशंसा? क्यों सोशल मीडिया में छाई हुई है यह प्यारी सी, सुन्दर सी बिटिया रानी ? आइए जानते हैं। बिहार के पूर्व सी एम, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की दूसरे नंबर की बेटी है रोहिणी आचार्य। रोहिणी खुद एक डॉक्टर है और अपने परिवार के साथ सिंगापुर में रहती है। लालू प्रसाद यादव (74 वर्ष ) पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें किडनी की भी तकलीफें थी। ऐसे में जब डॉक्टर्स ने उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की राय दी, तो सही समय में मैचिंग और निरोगी किडनी ढूँढ पाने की चुनौती सामने आई। लेकिन रोहिणी जैसी बेटी के रहते भला पिता लालू प्रसाद यादव के इलाज में कोई कमी कैसे रह जाती ? जब रोहिणी ने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी उन्हें दान देने का फैसला किया तो पिता लालू प्रसाद ने बेटी के इस फैसले का विरोध किया। वे अपनी जान बचाने के लिए बेटी को कोई तकलीफ नहीं देना चाहते थे। लेकिन रोहिणी नहीं मानी। वे अपने निर्णय में दृढ़ रही। रोहिणी का परिवार, पति समरेश सिंह और बच्चों ने भी उनके फैसले का समर्थन किया और आखिर पिता लालू प्रसाद यादव को बेटी रोहिणी आचार्य की एक किडनी सफ़लतापूर्वक ट्रांसप्लांट की गई। इस बारे में रोहिणी का कहना है, "पापा के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ। जिस पिता ने इस दुनिया में मुझे आवाज़ दी, जो मेरे लिए सबकुछ हैं, उनके लिए अगर मैं अपने जीवन का यह छोटा सा योगदान दे पाऊँ तो यह मेरा परम सौभाग्य है। धरती पर हमारे भगवान माता पिता होते हैं, इनकी पूजा और सेवा हर बच्चे का फर्ज है। माँ, पिता मेरे लिए भगवान है, मैं उनके लिए कुछ भी कर सकती हूँ।" सच बेटी हो तो रोहिणी आचार्य जैसी। कई लोग प्रश्न पूछते हैं कि रोहिणी का सरनेम यादव या सिंह के बदले आचार्य क्यों है? तो इसके पीछे भी एक भावनात्मक कहानी बताई जा रही है। रोहिणी का जन्म ऑपरेशन से हुआ था। ऑपरेशन किया था सुप्रसिध्द महिला डॉक्टर कमला आचार्य ने जो लालू प्रसाद यादव का बहुत सम्मान करती थी। जब लालू प्रसाद उन्हें फीस अदा करने लगे तो डॉक्टर कमला आचार्य ने फीस लेने से इंकार कर दिया। लालू प्रसाद नहीं माने तो कमला आचार्य ने कहा कि अगर आप फीस देना ही चाहते हैं तो इस बिटिया को मेरा सरनेम दे दीजिए। लालू प्रसाद ने कहा, "ऐसा ही होगा।" तब से रोहिणी बन गई रोहिणी आचार्य। You May Also like Read the Next Article