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जानकारी : गंगाजल को अमृत क्यों कहा जाता है?

हमारे देश में लगभग सभी नदियों को देवी की तरह पूजा जाता है, विशेषकर गंगा नदी को, लेकिन अब सिर्फ भारत देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में गंगा नदी की महिमा सब मानने लगे है। बताया जाता है कि गंगा का पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत उपकारी होता है जिसके कारण अमेरीका में एक लीटर गंगाजल की कीमत 250 डॉलर है।  इतिहासकारों के अनुसार जब अंग्रेज लोग भारत में राज कर रहे थे तो जहाजों से लंबी यात्रा करते समय पीने के लिए गंगाजल ले जाते थे क्योंकि गंगाजल सड़ता नहीं, बाकी कोई भी पानी कुछ ही समय में सड़ जाता है।

By Lotpot 12 May 2022 | Updated On 12 May 2022 08:31 IST in Stories Interesting Facts
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Information: Why is Gangajal called GANGAJAL?

हमारे देश में लगभग सभी नदियों को देवी की तरह पूजा जाता है, विशेषकर गंगा नदी को, लेकिन अब सिर्फ भारत देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में गंगा नदी की महिमा सब मानने लगे है। बताया जाता है कि गंगा का पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत उपकारी होता है जिसके कारण अमेरीका में एक लीटर गंगाजल की कीमत 250 डॉलर है।  इतिहासकारों के अनुसार जब अंग्रेज लोग भारत में राज कर रहे थे तो जहाजों से लंबी यात्रा करते समय पीने के लिए गंगाजल ले जाते थे क्योंकि गंगाजल सड़ता नहीं, बाकी कोई भी पानी कुछ ही समय में सड़ जाता है।

बताया जाता है कि सवा सौ साल पहले आगरा में प्रैक्टिस कर रहे एक ब्रिटिश डॉक्टर एम ई हॉकिन ने अपने वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ये सिद्ध किया था कि गंगाजल में हैजे का बैक्टीरिया कुछ ही समय में मर जाता है। कहा जाता है कि आज के मॉडर्न डॉक्टर ने भी शोध से पाया कि गंगाजल में कई तरह के बैक्टीरिया को मारने की अद्भुत क्षमता है। खबरों की माने तो, लखनऊ के नैशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट एनबीआरआई के निदेशक डॉक्टर चंद्र शेखर नौटीयाल ने अपने शोध से ये प्रमाणित किया है कि गंगाजल में ई-कोली बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है।

Information: Why is Gangajal called GANGAJAL?

उनके अनुसार गंगा नदी जब गंगोत्री और हिमालय से बहकर उतरती है तो वहां की जड़ी बूटियां, औषधीय मिट्टी और कई तरह के खनिज पदार्थ बहाकर ले आती है जिससे गंगाजल में औषधीय गुण समा जाते हैं। बताया जाता है कि डॉक्टर नौटीयाल ने एक परिक्षण के दौरान ताजा गंगाजल, आठ दिन पुराना गंगाजल और सोलह साल पुराना गंगाजल में अलग अलग ई कोली बैक्टीरिया डाला, तो ताजे पानी में बैक्टीरिया तीन दिन में मर गया, आठ दिन पुराने पानी में हफ्ते भर में मरा और सोलह साल पुराने पानी में पंद्रह दिन में मर गया क्योंकि गंगाजल में बैक्टीरिया को मारने वाले बैक्टीरियोफाज़ वायरस होता है जो पानी में बैक्टीरिया के आते ही उसे मार देते हैं।

आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेन्द्र स्वरुप अपने शोध से यह बताते हैं कि गंगा को शुद्ध रखने के तत्व गंगा की तलहटी में है और साथ ही गंगाजल में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की क्षमता होती है। गंगा में गिरी कोई भी गन्दगी, अन्य नदियों  की तुलना में बीस गुण ज्यादा साफ हो जाती है, इसलिए ही तो गंगा के पानी को अमृत कहा जाता है।

-सुलेना मजुमदार अरोरा

#Lotpot Positive News
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