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प्रेरक कहानी : विचार विमर्श और एकता का महत्व - एक शहर के छात्रावास में 100 छात्र रहते थे। उन छात्रों को इस बात की दिक्कत थी कि वहां जो नाश्ता मिलता था उसमें कोई वैराइटी नहीं होती थी । हर सुबह छात्रों को नाश्ते में सिर्फ उपमा ही परोसा जाता था। इन सौ छात्रों में से 80 छात्रों को रोज रोज उपमा खाना बिलकुल पसंद नहीं था और वे बदलाव के लिए तरस रहे थे। उनका मानना ​​था कि उनके नाश्ते में विविधता लाने के लिए अलग अलग व्यंजन बनाया जाना चाहिए।
लेकिन सौ छात्रों में से 20 छात्र ऐसे भी थे जिन्हे उपमा बहुत पसंद था और वे रोज नाश्ते में उपमा खाकर काफी संतुष्ट थे। जल्द ही 80 छात्रों ने रोज कुछ अलग व्यंजन की मांग की। बात छात्रावास के वार्डन तक पहुंची
इस मुद्दे को हल करने के लिए, बुद्धिमान वार्डन ने वोटिंग द्वारा उपाय और समाधान प्रस्तावित किया। वार्डन ने समझाया कि प्रत्येक छात्र को नाश्ते के लिए क्या व्यंजन चाहिए, यह बात वो वोट डालकर तय करे। जिस व्यंजन को सबसे ज्यादा वोट मिलेगा वही नाश्ते के लिए तैयार किया जाएगा। इस लोकतांत्रिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में छात्रों ने उत्सुकता से भाग लिया।
अगली सुबह, जब वोटों की गिनती की गई, तो पता चला कि 20 छात्र, जिन्हे उपमा पसंद था उन्होने तो उपमा के पक्ष में ही मतदान किया था, जबकि शेष 80 छात्रों की पसंद कई अन्य व्यंजनों में बँटी हुई थी। वोटों की गिनती इस प्रकार थीरू मसाला डोसा के लिए 18 वोट, आलू परांठे और दही के लिए 16 वोट, रोटी और सब्जी के लिए 14 वोट, ब्रेड और मक्खन के लिए 12 वोट, नूडल्स के लिए 10 वोट और इडली सांभर के लिए 10 वोट।
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सबसे अधिक वोटों के साथ उपमा एक बार फिरं विजेता बनकर उभरी। ऐसा लग रहा था मानो अपने वफादार फैंस के लिए उपमा फिर से हॉस्टल में नाश्ते का मुख्य केंद्र बन गई हो। वार्डन ने, नाश्ते के बदलाव की इच्छा रखने वाले 80 छात्रों के चेहरों पर निराशा देखी तो उन्होने सभी छात्रों को इकट्ठा किया और उन्हे एकता की ताकत के बारे में बताते हुए कहा कि आप सब एक दूसरे के स्वाद और रुचि की परवाह ना करते हुए सिर्फ अपनी पसंद को प्राथमिकता देने की होड़ में लगे हुए थे। जबकि उपमा को लेकर बीसों के बीस छात्र एकजुट थे और उन सबने विचार विमर्श करके अपनी अपनी पसंद को एकता के साथ प्रस्तुत किया, जिसके कारण उपमा के लिए 20 वोट पड़े और बाकी छात्रों ने अपनी अपनी पसंद के अनुसार अलग अलग व्यंजन पर वोट देकर बहुमत खो दिया। अर्थात विचार विमर्श और एकता का महत्व हर हर जगह है। लेकिन छात्रों की निराशा देख वार्डन ने एक नई योजना प्रस्तावित की। जिसमें एक दिन छोड़कर एक दिन उपमा बनाने की पेशकश की गई जबकि अन्य व्यंजनों को बाकी के दिनों में एक एक करके तैयार करना तय किया गया। इस प्रस्ताव से सब खुश हो गए।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर विषय में एक दूसरे को सुनना, मतभेदों का सम्मान करना और सभी की प्राथमिकताओं को शामिल करना महत्वपूर्ण है।
