26 दिसंबर का इतिहास: एक नजर महत्वपूर्ण घटनाओं पर : इतिहास के पन्नों में 26 दिसंबर का दिन कई महत्वपूर्ण घटनाओं और यादगार पलों से भरा हुआ है। यह दिन केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के इतिहास में भी खास स्थान रखता है। आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी प्रमुख घटनाओं और महान व्यक्तित्वों के बारे में। 26 दिसंबर: भारत में घटित प्रमुख घटनाएं साहिबजादों का बलिदान (1705):इस दिन को भारत में "वीर बाल दिवस" के रूप में भी मनाया जाता है। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह, गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे पुत्रों को सरहिंद के नवाब ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था। उनका बलिदान धर्म और मानवता के लिए प्रेरणादायक है। नारायण गुरु का जन्म (1856):26 दिसंबर को महान समाज सुधारक और संत नारायण गुरु का जन्म हुआ था। उन्होंने समाज में समानता और शिक्षा का प्रचार किया। अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप (1996):भारत ने इस दिन अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में पहला स्वर्ण पदक जीता, जिसने भारतीय खेलों में एक नया इतिहास लिखा। दुनिया में 26 दिसंबर की ऐतिहासिक घटनाएं त्सुनामी आपदा (2004):इस दिन हिंद महासागर में आई विनाशकारी सुनामी ने कई देशों को प्रभावित किया था। यह एक प्राकृतिक आपदा थी, जिसमें लाखों लोग मारे गए और करोड़ों लोग प्रभावित हुए। चार्ल्स बाबेज की मृत्यु (1871):कंप्यूटर के जनक माने जाने वाले चार्ल्स बाबेज का निधन 26 दिसंबर को हुआ था। उनका योगदान आधुनिक तकनीक की नींव रखने में अविस्मरणीय है। माओ त्से तुंग का जन्म (1893):चीन के महान क्रांतिकारी नेता और राजनीतिक विचारक माओ त्से तुंग का जन्म इसी दिन हुआ था। उनकी नीतियों ने चीन के भविष्य को गहराई से प्रभावित किया। 26 दिसंबर से जुड़े अन्य रोचक तथ्य इस दिन को कई जगह "शौर्य दिवस" के रूप में भी मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में आज के दिन धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। साहित्य, विज्ञान, और खेल के क्षेत्रों में इस दिन कई ऐतिहासिक उपलब्धियां दर्ज की गई हैं। 26 दिसंबर: यह दिन क्यों खास है? 26 दिसंबर का दिन हमें इतिहास से सीखने और प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है। साहिबजादों के बलिदान से धर्म और मानवता की रक्षा का संदेश मिलता है। वहीं, त्सुनामी जैसी आपदाओं से हमें प्राकृतिक संसाधनों के प्रति अधिक सतर्क रहने की सीख मिलती है। इतिहास के इस विशेष दिन पर हमें अपनी जड़ों को याद करते हुए भविष्य की ओर बढ़ना चाहिए। 26 दिसंबर के बलिदान और उपलब्धियां हमें एक बेहतर समाज की दिशा में प्रेरित करते हैं। यह भी जानें:- चंद्रमा: पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह ऊँची कूद की तकनीक कब और कहाँ से आई उल्कापिंड क्या होते हैं? Fun Facts: हमारा सोलर सिस्टम