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हमारे दिमाग की मेमोरी कितनी होती है ?

क्या आपने कभी सोचा है कि आपका दिमाग कितना कुछ याद रख सकता है? क्या यह आपके फोन या कंप्यूटर से भी ज्यादा ताकतवर है? अगर आप लगातार 300 साल तक वीडियो देखते रहें

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hamare dimag ki memory
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क्या आपने कभी सोचा है कि आपका दिमाग कितना कुछ याद रख सकता है? क्या यह आपके फोन या कंप्यूटर से भी ज्यादा ताकतवर है? अगर आप लगातार 300 साल तक वीडियो देखते रहें, तो भी आपके दिमाग की मेमोरी खत्म नहीं होगी!

इंसानी दिमाग की मेमोरी को वैज्ञानिक लगभग 2.5 पेटाबाइट (PB) मानते हैं। यानी करीब 10 लाख GB। इस क्षमता में आप 30 करोड़ तस्वीरें या 30 लाख घंटे की HD वीडियो स्टोर कर सकते हैं।

यह आंकड़ा सिर्फ अनुमान नहीं है। हमारे दिमाग में लगभग 86 अरब न्यूरॉन्स (Neurons) होते हैं और हर न्यूरॉन हजारों अन्य न्यूरॉन्स से जुड़ा होता है। इससे 100 से 1000 खरब सिनेप्स (Synapses) बनते हैं, जो दिमाग में सूचना को जोड़ते हैं।

कंप्यूटर सिर्फ 0 और 1 के रूप में डाटा रखता है, लेकिन सिनेप्स कई स्तरों पर जानकारी स्टोर कर सकते हैं। एक सिनेप्स कम से कम 26 अलग-अलग सूचना स्तर रख सकता है। यही वजह है कि हमारा दिमाग एक जैविक सुपरकंप्यूटर कहलाता है।

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हमारा मस्तिष्क स्थिर नहीं होता — यह लगातार नई बातें सीखता और पुरानी जानकारी हटाता रहता है। इसे न्यूरोप्लास्टिसिटी (Neuroplasticity) कहा जाता है।
कंप्यूटर एक बार में एक काम करता है, लेकिन दिमाग एक साथ लाखों न्यूरॉन्स को सक्रिय कर सकता है ,  जिससे हम सोचते, बोलते और काम करते हैं।

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मानव शरीर और दिमाग मिलकर एक ऐसी जैविक मशीन बनाते हैं जो किसी भी सुपरकंप्यूटर से लाखों गुना अधिक जटिल और शक्तिशाली है।  तो आइए, जानते हैं कि कैसे हमारे शरीर के अंदर हर पल विज्ञान का एक नया चमत्कार घटता रहता है।
दिमाग की बिजली:
इंसानी दिमाग में इतने विद्युत संकेत बनते हैं कि अगर उन्हें मापा जाए तो एक 10-वॉट का बल्ब जल सकता है।
ब्लड वेसल्स की लंबाई:
अगर आप अपने शरीर की सारी रक्त-नलिकाएँ (Blood Vessels) सीधी फैलाएँ, तो उनकी लंबाई लगभग 96,000 किलोमीटर होगी — यानी पूरी पृथ्वी को दो बार लपेट सकती हैं!
दिल का तालमेल:
जब आप किसी प्रिय व्यक्ति को गले लगाते हैं, तो कुछ सेकंड में दोनों के दिल की धड़कनें एक जैसी हो जाती हैं — इसे Biological Synchronization कहते हैं।
हड्डियों की मजबूती:
मानव हड्डियाँ स्टील से भी ज्यादा मजबूत होती हैं — एक इंच मोटी हड्डी लगभग 8 टन तक का भार सह सकती है।
त्वचा की उम्र:
हमारी त्वचा हर 27 दिनों में खुद को पूरी तरह नया बना लेती है। यानी हर महीने हम एक “नई त्वचा” में रहते हैं!
DNA की लंबाई:
अगर किसी व्यक्ति के शरीर के सभी DNA को एक लाइन में जोड़ा जाए, तो वह सूरज से धरती तक 600 बार आने-जाने जितनी दूरी तय करेगा।
मस्तिष्क की ऊर्जा खपत:
दिमाग हमारे शरीर के कुल वजन का सिर्फ 2% होता है, लेकिन यह कुल ऊर्जा का 20% इस्तेमाल करता है।
आँखों की पहचान:
आपकी आँखों की पुतलियों (Iris) का पैटर्न आपके फिंगरप्रिंट से भी अधिक यूनिक होता h है — दो लोगों की आँखों का पैटर्न कभी एक जैसा नहीं होता।
नींद और दिमाग:
जब आप सोते हैं, तो आपका दिमाग “स्मृतियों को व्यवस्थित” करता है — यानी नींद वास्तव में Memory Cleaning की प्रक्रिया है।
हँसी की शक्ति:
हँसने से शरीर में एंडोर्फिन (Endorphin) निकलते हैं जो दर्द और तनाव दोनों को कम कम करते हैं। यह वैज्ञानिक रूप से एक Natural Painkiller है।

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