'जय जवान, जय किसान' का नारा किसने दिया था? जानिए इसका इतिहास और महत्व

भारत के इतिहास में कई ऐसे नारे दिए गए, जिन्होंने देश की दिशा और सोच को बदल दिया। "जय जवान, जय किसान" भी ऐसा ही एक नारा है, जिसने भारतीय सेना (Indian Army) और किसानों (Indian Farmers) के महत्व को उजागर किया।

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Who gave the slogan of 'Jai Jawan, Jai Kisan'? Know its history and importance

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भारत के इतिहास में कई ऐसे नारे दिए गए, जिन्होंने देश की दिशा और सोच को बदल दिया। "जय जवान, जय किसान" भी ऐसा ही एक नारा है, जिसने भारतीय सेना (Indian Army) और किसानों (Indian Farmers) के महत्व को उजागर किया। यह नारा न केवल राष्ट्रभक्ति और कृषि के प्रति सम्मान का प्रतीक बना, बल्कि देशवासियों में जोश और आत्मनिर्भरता की भावना भी जगाई। इस लेख में हम जानेंगे कि 'जय जवान, जय किसान' का नारा किसने दिया था, इसका महत्व क्या है और यह आज भी क्यों प्रासंगिक है?


'जय जवान, जय किसान' का नारा किसने दिया?

"जय जवान, जय किसान" का नारा भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने 1965 में दिया था।
➡️ यह नारा उस समय दिया गया, जब भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध (Indo-Pak War 1965) लड़ रहा था और देश को भोजन संकट (Food Crisis in India) का भी सामना करना पड़ रहा था।
➡️ शास्त्री जी ने इस नारे के जरिए देश के जवानों (Indian Soldiers) और किसानों (Indian Farmers) दोनों के योगदान को सम्मानित किया।
➡️ उनका मानना था कि देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता दोनों का आधार जवान और किसान ही हैं।


'जय जवान, जय किसान' नारे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1️⃣ 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध

➡️ 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ।
➡️ उस समय भारतीय सेना (Indian Army) ने देश की रक्षा के लिए बहादुरी दिखाई और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।
➡️ इसी दौरान, प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए यह नारा दिया – "जय जवान, जय किसान"।

2️⃣ भारत का खाद्य संकट

➡️ 1965 के दौरान भारत में भारी खाद्य संकट था, जिससे देश को अनाज के लिए अमेरिका और अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता था।
➡️ शास्त्री जी ने हरित क्रांति (Green Revolution in India) को बढ़ावा दिया और किसानों को ज्यादा अनाज उत्पादन के लिए प्रेरित किया।
➡️ इस नारे से किसानों में आत्मनिर्भरता की भावना आई और भारत ने धीरे-धीरे खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल की।


'जय जवान, जय किसान' का महत्व

राष्ट्रीय एकता (National Unity): यह नारा देश की रक्षा और खाद्य सुरक्षा दोनों को जोड़ता है, जिससे भारत की संप्रभुता बनी रहती है।
सैनिकों का सम्मान (Respect for Soldiers): इससे भारतीय जवानों को यह एहसास हुआ कि पूरा देश उनके बलिदान का सम्मान करता है।
कृषि क्रांति (Agricultural Revolution): इस नारे ने किसानों को प्रोत्साहित किया, जिससे भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) को बढ़ावा मिला।
आत्मनिर्भर भारत (Self-Reliant India): यह नारा आत्मनिर्भरता (Self-Sufficiency) की प्रेरणा देता है, जिससे भारत अपनी रक्षा और खाद्य उत्पादन में मजबूत बना।


'जय जवान, जय किसान' नारा आज भी क्यों प्रासंगिक है?

1️⃣ भारतीय सेना की भूमिका

➡️ भारतीय जवान देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं और आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हैं।
➡️ आज भी हमारे सैनिक देश की सुरक्षा के लिए बलिदान दे रहे हैं, इसलिए यह नारा जवानों के लिए एक सम्मान और प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।

2️⃣ कृषि और किसानों की स्थिति

➡️ भारत की GDP का एक बड़ा हिस्सा कृषि (Agriculture) पर निर्भर है।
➡️ किसानों की समस्याओं जैसे सूखा, बाढ़, कर्ज और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को हल करने के लिए सरकारें लगातार काम कर रही हैं।
➡️ "जय किसान" आज भी किसानों को यह याद दिलाता है कि वे देश की रीढ़ की हड्डी हैं और उनकी मेहनत से ही देश आगे बढ़ता है।


लाल बहादुर शास्त्री की विरासत और इस नारे की प्रेरणा

1971 में इंदिरा गांधी ने इसमें "जय विज्ञान" (Jai Vigyan) जोड़ा, जिससे विज्ञान और तकनीक को भी सम्मान मिला।
आज "जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान" के रूप में यह नारा भारत की प्रगति का प्रतीक बन चुका है।
शास्त्री जी का यह नारा भारतीय संस्कृति और देशभक्ति का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।


🔍 FAQs – 'जय जवान, जय किसान' नारे से जुड़े सवाल

➡️ भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में यह नारा दिया था।

2️⃣ इस नारे का क्या महत्व है?

➡️ यह नारा भारतीय सेना और किसानों के योगदान को सम्मान देता है और राष्ट्रीय एकता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

3️⃣ इस नारे का इस्तेमाल कहां किया जाता है?

➡️ यह नारा राष्ट्रीय पर्वों, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, सेना दिवस और किसान आंदोलनों में प्रमुखता से बोला जाता है।

4️⃣ क्या इस नारे में कोई बदलाव हुआ है?

➡️ इंदिरा गांधी ने इसमें "जय विज्ञान" जोड़ा, जिससे यह नारा "जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान" बन गया।

5️⃣ क्या यह नारा आज भी प्रासंगिक है?

➡️ बिल्कुल! यह नारा देशभक्ति, कृषि और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है और आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है।


🔚 निष्कर्ष – 'जय जवान, जय किसान' की अनमोल सीख

🌟 "जय जवान, जय किसान" सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि भारत की ताकत, समर्पण और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
🌟 लाल बहादुर शास्त्री जी ने इसे 1965 में दिया था, जो आज भी भारतवासियों के लिए प्रेरणा बना हुआ है।
🌟 इस नारे ने भारतीय सेना, किसानों और विज्ञान के क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

👉 आइए, हम भी इस नारे की भावना को समझें और अपने जवानों और किसानों का सम्मान करें! 🚜💂‍♂️

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