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Kids Jokes:- नटखट नीटू और चेलाराम की शरारतें- इस संग्रह में नटखट नीटू और चेलाराम की शरारतों के माध्यम से हास्य के विविध रंग पेश किए गए हैं, जिनकी बातचीत से पाठकों को जीवन की साधारण स्थितियों में भी मजेदार पहलुओं को देखने का मौका मिलता है।
पहले जोक्स में, नटखट नीटू के पिता उससे उसके परीक्षा के परिणाम के बारे में पूछते हैं। नीटू अपने पिता को जवाब देता है कि उसे 80% अंक मिले हैं। हालांकि, जब पिता मार्कशीट देखते हैं तो उसमें केवल 40% अंक दर्ज होते हैं। नीटू का जवाब और भी मजेदार होता है; वह कहता है कि बाकी के 40% अंक आधार कार्ड से लिंक होने के बाद सीधे उसके अकाउंट में आएंगे। यह जवाब न सिर्फ हास्यप्रद है बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से आधुनिक तकनीकी युग में बच्चे अधिक सजग और चतुर हो गए हैं।
दसूरे जोक्स में, यामुंडा से उसके शिक्षक पूछते हैं कि गणित की किताब को देखकर अक्सर लोग क्यों मायूस हो जाते हैं। यामुंडा का उत्तर सरल और सीधा होता है—क्योंकि उसमें किसी भी सवाल का हल नहीं होता। यह विद्यार्थियों की उस आम भावना को प्रकट करता है जिसे वे गणित की कठिनाइयों का सामना करते समय महसूस करते हैं।
तीसरे जोक्स में, चेलाराम अपनी माँ से पूछता है कि वह कब इतना बड़ा होगा कि वह उससे पूछे बिना बाजार जा सके। माँ का उत्तर बहुत ही रोचक होता है; वह कहती है कि इतने बड़े तो उसके पापा भी नहीं हुए हैं। यह जवाब पारिवारिक संबंधों में मजाकिया लेकिन सत्यापित तथ्य को दर्शाता है कि कैसे कुछ प्रतिबंध उम्र के साथ बदलते नहीं हैं।
रिजल्ट
पिता : बेटा, तुम्हारे रिजल्ट का क्या हुआ?
नटखट नीटू : पापा, 80% आए हैं।
पिता : लेकिन मार्कशीट पर तो 40% लिखा है।
नटखट नीटू : बाकी के 40% आधार कार्ड लिंक होने पर सीधे अकाउंट में आएंगे।
गणित की किताब
टीचर : बताओ, गणित की किताब देखकर अक्सर सब लोग मायूस क्यों हो जाते हैं?
यामुंडा : क्योंकि, इसमें किसी भी सवाल का हल नहीं होता है।
बड़ा
चेलाराम : मम्मी, मैं इतना बड़ा कब होऊँगा कि आपसे बिना पूछे बाजार जा सकूँ?
माँ : बेटा, इतने बड़े तो तेरे पापा भी नहीं हुए हैं।