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बच्चों की जंगल कहानी : भालू मामा को हुआ गलती का एहसास

भालू मामा कैसे अपने गुस्से और गलती पर पछताते हैं और सच्चे दोस्त की कीमत समझते हैं? बच्चों को माफी माँगने और गलती स्वीकार करने का मूल्य सिखाने वाली यह Moral Story ज़रूर पढ़ें।

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गलती करना और उसे स्वीकारना

प्यारे बच्चों, क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने गुस्से में या जल्दीबाजी में कोई गलती कर दी हो? हम सब इंसान हैं, और गलती करना स्वाभाविक है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि क्या हमें अपनी गलती का एहसास होता है? और क्या हममें इतनी हिम्मत होती है कि हम अपनी गलती मानकर, उस व्यक्ति से माफ़ी माँग लें जिसे हमने दुख पहुँचाया है? अपनी गलती स्वीकार करना ही हमारी सबसे बड़ी अच्छाई और ताकत होती है।

आज हम एक प्यारे और थोड़े से गुस्सैल भालू मामा की कहानी पढ़ेंगे, जिनका नाम 'गुस्सेलाल' था। यह कहानी हमें सिखाएगी कि कैसे गुस्से में की गई गलती दोस्ती को तोड़ सकती है, लेकिन सच्चे दिल से माँगी गई माफ़ी सब कुछ ठीक कर देती है।


जंगल के गुस्सैल भालू मामा और उनका दोस्त

एक घने जंगल में, जिसका नाम 'मीठीवन' था, वहाँ गुस्सेलाल नाम के एक भालू मामा रहते थे। भालू मामा दिल के तो बहुत अच्छे थे, लेकिन उन्हें बात-बात पर गुस्सा आ जाता था। जब उन्हें गुस्सा आता, तो वह चिल्लाने लगते और चीजों को इधर-उधर फेंक देते।

भालू मामा का सबसे अच्छा दोस्त था खरगोश, जिसका नाम 'फुर्तीलाल' था। फुर्तीलाल हमेशा शांत और खुशमिजाज रहता था। वह जानता था कि भालू मामा का गुस्सा बस पल भर का होता है, इसलिए वह उनके गुस्से को ज़्यादा दिल पर नहीं लेता था।

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भालू मामा को शहद बहुत पसंद था। एक दिन, उन्होंने फुर्तीलाल से कहा, "फुर्तीलाल, तुम बहुत तेज़ भागते हो। मेरे लिए दूर वाले पेड़ से मीठा शहद ले आओ।"

फुर्तीलाल खुशी-खुशी शहद लाने चला गया। भालू मामा इंतज़ार कर रहे थे। उन्हें बहुत भूख लगी थी और वह बिल्कुल भी इंतज़ार नहीं कर पा रहे थे।

गुस्से में हुई बड़ी गलती

फुर्तीलाल बहुत देर बाद वापस आया। वह थक गया था और उसके हाथ में जो शहद का मर्तबान था, वह गलती से उसके हाथ से फिसल गया और ज़मीन पर गिरकर टूट गया। सारा मीठा शहद मिट्टी में फैल गया।

यह देखकर भालू मामा को बहुत तेज़ गुस्सा आया।

"क्या किया तुमने फुर्तीलाल? तुम्हारा ध्यान कहाँ था? तुम हमेशा जल्दबाज़ी में सब कुछ बिगाड़ देते हो!" भालू मामा चिल्लाए।

  • फुर्तीलाल: (दुखी होकर) "मामा, मुझे माफ़ कर दो। मैं थक गया था और यह गलती से हो गया।"

  • भालू मामा: "बस, बस! मुझे तुम्हारा बहाना नहीं सुनना। तुम किसी काम के नहीं हो! आज से मैं तुमसे दोस्ती नहीं रखूँगा!"

भालू मामा गुस्से में वहाँ से गुर्राते हुए चले गए। फुर्तीलाल बहुत दुखी हुआ। उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह उदास होकर अपने घर लौट गया।


अकेलापन और गलती का एहसास

अगले दिन, भालू मामा का गुस्सा शांत हो गया था। उन्हें अब भी भूख लगी थी, लेकिन शहद नहीं था। उन्होंने फुर्तीलाल को याद किया।

'फुर्तीलाल कितना अच्छा था, वह झट से मेरे लिए काम कर देता था,' भालू मामा ने सोचा।

उन्होंने अकेले जंगल में घूमना शुरू किया। लेकिन फुर्तीलाल के बिना उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। कोई उनके साथ खेलने वाला नहीं था, कोई उनकी बातें सुनने वाला नहीं था।

तभी, भालू मामा को रात वाली घटना याद आई।

'मैंने फुर्तीलाल को कितनी बुरी तरह डांटा। उसने तो गलती से शहद गिराया था, और मैंने गुस्से में आकर उसे कितनी बड़ी बात कह दी कि मैं अब उससे दोस्ती नहीं रखूँगा। यह तो मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी,' भालू मामा को अपनी गलती का एहसास हुआ।

उन्होंने महसूस किया कि शहद का नुकसान तो थोड़ी देर का था, लेकिन सच्चे दोस्त को खोना एक बहुत बड़ी और दुखद बात थी।

सच्चे दिल से माँगी गई माफ़ी

भालू मामा को अब बहुत बुरा लग रहा था। उन्होंने तुरंत फैसला किया कि वह फुर्तीलाल से माफी माँगने जाएँगे।

भालू मामा फुर्तीलाल के घर पहुँचे। फुर्तीलाल उदास बैठा था।

"फुर्तीलाल," भालू मामा ने धीरे से कहा। "मुझे माफ़ कर दो।"

फुर्तीलाल ने ऊपर देखा। भालू मामा की आँखों में सच्चा पछतावा था।

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"मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। मुझे गुस्सा नहीं करना चाहिए था और न ही तुम्हें इतनी बुरी बातें कहनी चाहिए थीं। शहद तो फिर मिल जाएगा, लेकिन तुम जैसा सच्चा दोस्त खोना नहीं चाहता। क्या तुम मुझे माफ़ करोगे?" भालू मामा ने सच्चे दिल से माफ़ी माँगी।

फुर्तीलाल ने देखा कि भालू मामा सच में दुखी हैं। "हाँ मामा, मैं तुम्हें माफ़ करता हूँ। मुझे पता है, आप दिल के बहुत अच्छे हैं।"

दोनों दोस्त खुशी से गले मिले। भालू मामा ने उस दिन सीखा कि सच्चा दोस्त किसी भी शहद से ज्यादा मीठा होता है, और अपनी गलती का एहसास होना और उसे स्वीकार करना ही दोस्ती का असली आधार है। उस दिन के बाद, भालू मामा ने अपने गुस्से पर काबू रखने की बहुत कोशिश की।


सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि गुस्सा करना आसान है, लेकिन अपनी गलती को स्वीकार करना साहस का काम है। अगर हमसे कोई गलती हो जाए, तो हमें बिना देर किए माफ़ी मांगनी चाहिए। सच्चा दोस्त बहुत अनमोल होता है, और हमारी छोटी सी गलती या हमारा गुस्सा उसे हमसे दूर कर सकता है। अपनी गलती का एहसास होना और उसे सुधारना ही हमें एक अच्छा इंसान बनाता है।

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