/lotpot/media/media_files/2025/07/18/balidan-ka-mantra-jungle-kahani-2025-07-18-15-08-20.jpg)
बलिदान का मंत्र: हिमालय का वीर वानर- यह कथा हिमालय के वीर वानर बजरंगी की है, जिसने अपने साथियों को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया। राजा रणवीर ने उसकी वीरता को देखकर सम्मान किया और सबक सीखा। यह कहानी बलिदान और साहस का प्रतीक है।
शुरुआत: हिमालय का अनमोल वृक्ष
हिमालय की ऊँची पहाड़ियों में एक सुनसान नदी के किनारे एक अनोखा वृक्ष उगा था, जिसकी फलियाँ अपनी सुंदरता और मादक सुगंध के लिए मशहूर थीं। इस वृक्ष की शाखाएँ दूर तक फैली थीं, और उनकी हरियाली मन को मोह लेती थी। इस वृक्ष पर एक वानरों का समूह रहता था, जो स्वतंत्रता से इन फलों का आनंद लेता था। इनमें एक वानर, जिसे बजरंगी के नाम से जाना जाता था, अपने बल, बुद्धि और नेकदिली के लिए सभी का नेता था। वह अपने साथियों को सिखाता था, “दोस्तों, इस वृक्ष की कोई भी फल नदी के ऊपर वाली टहनियों पर मत छोड़ना, वरना खतरा हो सकता है।”
वानरों ने बजरंगी की सलाह को गंभीरता से लिया, क्योंकि उन्हें पता था कि अगर कोई फल नदी में गिरकर इंसानों तक पहुँच गया, तो उनके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। वे हर दिन फलों को सावधानी से तोड़कर खाते और बेकार फलों को दूर फेंक देते। बजरंगी अक्सर कहता, “सावधानी ही हमारी रक्षा है।”
दुर्भाग्य का दिन
एक दिन, हवा के तेज झोंके के कारण एक पका फल टहनी से टूटकर नदी में गिर गया और बहने लगा। उसी समय, उस इलाके का राजा रणवीर अपनी रानियों और सेवकों के साथ नदी के किनारे सैर कर रहा था। फल की सुगंध हवा में फैल गई, और राजा का ध्यान उसकी ओर गया। उन्होंने उत्साह से कहा, “यह सुगंध कहाँ से आ रही है? जाओ, इसका स्रोत ढूंढो!” उनके सिपाही तुरंत नदी किनारे दौड़े और उस फल को बटोर लाए।
फल की जाँच की गई, और यह पता चला कि यह जहरीला नहीं था। राजा ने फल का स्वाद चखा और मुस्कुराए, “वाह, यह तो अमृत के समान है! हमें इस फल के वृक्ष को ढूंढना होगा।” सिपाहियों ने वृक्ष का पता लगा लिया, लेकिन वहाँ वानरों को देखकर वे नाराज हो गए। एक सिपाही बोला, “ये बंदर हमारे फलों को खा रहे हैं, इन्हें भगाओ!” उन्होंने वानरों पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए।
बजरंगी का बलिदान
बजरंगी ने स्थिति को भाँप लिया। वह चिल्लाया, “भाइयों, डरो मत! मैं तुम्हें बचाऊँगा।” उसने तेजी से कूदकर नदी के पास एक मजबूत बेंत की लकड़ी को अपने पैरों से जकड़ा और दोनों हाथों से वृक्ष की टहनी को पकड़ लिया। फिर वह अपने शरीर को पुल की तरह फैलाकर बोला, “जल्दी करो, मेरे ऊपर से कूदकर दूसरी पहाड़ी पर पहुँचो!” वानरों ने डरते हुए उसकी बात मानी और एक-एक करके उसके ऊपर से कूदकर सुरक्षित पहुँच गए।
लेकिन इस प्रक्रिया में बजरंगी का शरीर वानरों के वजन से कुचल गया। उसकी चमड़ी फट गई, और खून बहने लगा। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और आखिरी वानर को भी पार करवाया। जब सारे वानर सुरक्षित हो गए, तो वह थककर नीचे गिर पड़ा। राजा रणवीर ने यह सब देखा और सोचा, “यह वानर तो वीर है!” उन्होंने तुरंत अपने सिपाहियों को आदेश दिया, “इसे जिंदा पकड़ो और मेरे पास लाओ।”
राजा का सम्मान और अंतिम विदाई
सिपाहियों ने बजरंगी को सावधानी से उठाया, लेकिन उसकी हालत बहुत नाजुक थी। राजा ने उसे महल में लाकर चिकित्सा की सारी व्यवस्था की। वैद्यों ने कोशिश की, लेकिन बजरंगी की आँखें धीरे-धीरे बंद हो गईं। उसकी आखिरी सांस के साथ उसने फुसफुसाया, “भाइयों… सुरक्षित रहो।” राजा ने उसकी वीरता को सलाम किया और कहा, “यह वानर मेरे लिए प्रेरणा है।”
राजा ने अपने दरबार में बजरंगी की कहानी सुनाई और आदेश दिया कि उसकी याद में एक स्मारक बनाया जाए। वानरों ने भी अपने नेता को श्रद्धांजलि दी। एक छोटा वानर रोते हुए बोला, “बजरंगी भैया, तुमने हमारी जान बचाई।” दूसरा वानर ने कहा, “हाँ, अब हम सावधानी से रहेंगे।”
नई शुरुआत और सबक
इस घटना के बाद राजा ने उस वृक्ष को संरक्षित करने का फैसला किया और वानरों को परेशान न करने का हुक्म दिया। उसने अपने सिपाहियों को समझाया, “प्रकृति और उसके जीवों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।” वानरों ने भी एक नया नेता चुना, जो बजरंगी के दिखाए रास्ते पर चलने की कसम खाई। हिमालय की उस पहाड़ी पर अब बजरंगी की याद में एक पत्थर लगा, जहाँ बच्चे आते और उसकी कहानी सुनते।
सीख
जीवन में दूसरों की भलाई के लिए अपने हितों को त्यागना ही सच्चा बलिदान है। सावधानी और समझदारी से खतरे से बचा जा सकता है, और वीरता हमेशा याद रखी जाती है।
Tags: बलिदान का मंत्र, मोटिवेशनल स्टोरी, हिंदी कहानी, हिमालय की कहानी, वीरता, बेस्ट हिंदी स्टोरी, मोटिवेशनल स्टोरी, प्रेरणादायक कहानी, हिमालय की कथा, वानर का बलिदान, जीवन का सबक
और पढ़ें
बाज का पछतावा – जंगल की अनमोल सीख