/lotpot/media/media_files/2025/12/16/buddhi-aur-vivek-jungle-story-hindi-kids-moral-1-2025-12-16-15-58-18.jpg)
बच्चों, हम अक्सर सुनते हैं कि "अकल बड़ी या भैंस?" लेकिन क्या आपको पता है कि बुद्धि (Intelligence) और विवेक (Wisdom) में भी एक बड़ा फर्क होता है?
बुद्धि का मतलब है—किसी काम को करने का तरीका जानना।
विवेक का मतलब है—यह जानना कि वह काम करना सही है या गलत, और उसका अंजाम क्या होगा।
आज की कहानी नंदनवन के दो दोस्तों की है, जो आपको यह फर्क बहुत आसानी से समझा देगी।
कहानी: शहद का लालच और लोहे का पिंजरा
नंदनवन नाम का एक घना जंगल था। वहां सियार
एक दिन दोनों जंगल में घूम रहे थे कि उन्हें एक पुरानी गुफा के पास एक अजीब सी चीज दिखाई दी। वह लोहे का एक बड़ा सा पिंजरा था, जिसका दरवाजा खुला हुआ था। पिंजरे के अंदर एक पत्तल पर ताजा, रसीला और खुशबूदार शहद रखा हुआ था।
जग्गू की 'बुद्धि' (The Calculation)
शहद की खुशबू सूंघते ही जग्गू सियार के मुंह में पानी आ गया। उसने अपनी बुद्धि दौड़ाई।
उसने पिंजरे का मुआयना किया और धीरू से बोला, "अरे धीरू! देख, कितना सारा शहद! मेरी बुद्धि कहती है कि मैं अपनी रफ्तार से अंदर जाऊंगा, शहद का बड़ा टुकड़ा मुंह में दबाऊंगा और दरवाजा बंद होने से पहले ही फुर्ती से बाहर आ जाऊंगा। इसमें मुश्किल से 2 सेकंड लगेंगे।"
जग्गू ने गणित लगा लिया था। उसे अपनी स्पीड और टाइमिंग पर पूरा भरोसा था। यह उसकी 'बुद्धि' थी।
धीरू का 'विवेक' (The Wisdom)
धीरू कछुआ थोड़ा पीछे हटा और उसने अपने विवेक का इस्तेमाल किया। उसने सोचा—"जंगल के बीचों-बीच, इंसानों का पिंजरा और उसमें इतना स्वादिष्ट शहद? यह मुफ्त का खाना नहीं, मौत का बुलावा है।"
धीरू ने जग्गू को रोका, "रुको दोस्त! यह जाल है। शिकारी ने यह शहद हमें खिलाने के लिए नहीं, बल्कि फंसाने के लिए रखा है। तुम्हारी बुद्धि बता रही है कि 'कैसे' अंदर जाना है, लेकिन विवेक कह रहा है कि अंदर जाना ही 'गलत' है।"
जग्गू हंसा, "तू तो डरपोक है धीरू! तू अपनी धीमी चाल के कारण जल रहा है। देख, मैं कैसे अपनी होशियारी से शहद लाता हूं।"
जल्दबाजी का नतीजा
जग्गू ने धीरू की एक न सुनी। उसने छलांग लगाई और पिंजरे के अंदर पहुंच गया। जैसे ही उसने शहद के टुकड़े को मुंह में दबाकर खींचना चाहा, वह टुकड़ा एक पतले तार से बंधा हुआ था। तार खिंचते ही पिंजरे का स्प्रिंग वाला दरवाजा 'खटाक' से बंद हो गया।
जग्गू सियार पिंजरे में कैद हो गया। उसकी सारी फुर्ती और गणित धरा का धरा रह गया।
वह रोने लगा, "धीरू भाई! मुझे बचाओ! मेरी बुद्धि ने तो बताया था कि मैं निकल जाऊंगा, पर यह तार तो मुझे दिखा ही नहीं।"
धीरू बाहर खड़ा था। वह घबराया नहीं। उसने अपने विवेक से काम लिया। उसे पता था कि वह जग्गू को खींचकर बाहर नहीं निकाल सकता।
विवेक ने बचाई जान
/filters:format(webp)/lotpot/media/media_files/2025/12/16/buddhi-aur-vivek-jungle-story-hindi-kids-moral-2-2025-12-16-15-59-11.jpg)
धीरू ने देखा कि पिंजरे की कुंडी (latch) बाहर से लगी है, जो तार खींचने पर गिरी थी। अगर उसे वापस ऊपर उठा दिया जाए, तो दरवाजा खुल सकता है। लेकिन धीरू का हाथ वहां तक नहीं पहुंच रहा था।
धीरू ने अपनी नजर दौड़ाई। पास ही एक मजबूत सूखी लकड़ी पड़ी थी। उसने लकड़ी को अपने मुंह में दबाया और कुंडी के नीचे फंसाकर जोर से ऊपर की ओर धकेला।
क्लिक! आवाज आई और दरवाजा थोड़ा सा खुल गया।
धीरू चिल्लाया, "जग्गू, जल्दी बाहर निकलो!"
जग्गू ने शहद वहीं छोड़ा और अपनी जान बचाकर बाहर भागा। दोनों वहां से सरपट भागे और दूर जाकर सांस ली।
जग्गू ने कान पकड़कर कहा, "भाई, आज समझ आया। मेरी बुद्धि ने सिर्फ 'फायदा' देखा, लेकिन तुम्हारे विवेक ने 'खतरा' देखा।"
कहानी से सीख (Seekh / Moral)
बच्चों, इस कहानी से हमें दो बहुत बड़ी बातें सीखने को मिलती हैं:
बुद्धि बनाम विवेक: बुद्धि हमें बताती है कि कोई काम कैसे किया जा सकता है, लेकिन विवेक हमें बताता है कि वह काम करना चाहिए या नहीं।
लालच बुरी बला है: बिना सोचे-समझे लिया गया रिस्क (जोखिम) हमेशा मुसीबत में डालता है।
जीवन में सिर्फ स्मार्ट (Smart) होना काफी नहीं है, समझदार (Wise) होना भी जरूरी है। जब भी कोई फैसला लो, तो जग्गू की तरह सिर्फ 'फायदा' मत देखो, धीरू की तरह उसका 'अंजाम' भी सोचो।
और पढ़ें :
जंगल कहानी : स्मार्ट कबूतर की चतुराई
Jungle Story : चुहिया की होशियारी
Tags : bachon ki jungle kahani | best hindi jungle story | Best Jungle Stories | Best Jungle Story | Best Jungle Story for Kids | clever animal moral story
