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चूहे और चिड़िया की दोस्ती: जंगल की एक अनोखी और साहसी कहानी

क्या एक उड़ने वाली चिड़िया और जमीन पर रहने वाला चूहा दोस्त बन सकते हैं? पढ़िए चूहे और चिड़िया की दोस्ती की यह कहानी जो सिखाती है कि असली ताकत एकता में है।

By Lotpot
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जंगल के नियम बड़े सख्त होते हैं—ताकतवर कमजोर को खाता है और हर जानवर अपनी बिरादरी में ही रहता है। लेकिन, कभी-कभी कुछ घटनाएं इन नियमों को बदल देती हैं। यह कहानी 'मटरू' नाम के एक समझदार चूहे और 'पिहू' नाम की एक चंचल चिड़िया की है। उनकी दुनिया अलग थी—एक आसमान में उड़ता था, दूसरा जमीन के नीचे रहता था—लेकिन एक घटना ने उन्हें पक्का दोस्त बना दिया। आइए जानते हैं कैसे।


चूहे और चिड़िया की दोस्ती (मुख्य कहानी)

घने जंगल के बीचों-बीच एक पुराना और विशाल बरगद का पेड़ था। उस पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर पिहू चिड़िया का घोंसला था और उसी पेड़ की जड़ों के बीच मटरू चूहे का बिल।

दोनों एक-दूसरे को रोज देखते थे, लेकिन कभी बात नहीं करते थे। पिहू सोचती, "यह चूहा तो बस गंदगी में रहता है," और मटरू सोचता, "यह चिड़िया तो बस दिन भर चहचहाती रहती है, काम कुछ करती नहीं।"

एक बरसात की रात और बदलती सोच

एक दिन जंगल में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। बारिश इतनी तेज थी कि पेड़ के नीचे पानी भरने लगा। मटरू चूहा अपने बिल में सोया हुआ था, उसे अंदाजा ही नहीं हुआ कि पानी तेजी से उसके घर में घुस रहा है।

अचानक पिहू चिड़िया ने ऊपर से देखा कि मटरू का बिल डूबने वाला है और मटरू बाहर नहीं आया है। उसने जोर-जोर से चीं-चीं करके शोर मचाया, लेकिन बादलों की गरज में मटरू को कुछ सुनाई नहीं दिया।

पिहू की समझदारी

पिहू जानती थी कि वह मटरू को उठा नहीं सकती (यही लॉजिक है, वह छोटी चिड़िया है)। उसने तुरंत अपनी चोंच में एक छोटा कंकड़ उठाया और सीधे नीचे जाकर मटरू के बिल के मुहाने पर सोए मटरू के पास गिराया। कंकड़ मटरू की पूंछ पर लगा।

मटरू हड़बड़ाकर जागा। उसने देखा कि पानी अंदर आ रहा है। वह तुरंत तैरकर बाहर निकला और पेड़ के एक सूखे कोटर (hollow trunk) में जा छिपा। अगर पिहू ने उसे न जगाया होता, तो वह डूब जाता। उस दिन मटरू को समझ आया कि आसमान में रहने वाला भी जमीन वाले की मदद कर सकता है।

जब शिकारी आया

बारिश के बाद धूप खिली, तो मटरू ने पिहू को धन्यवाद दिया। दोनों में बातें शुरू हो गईं। लेकिन असली परीक्षा अभी बाकी थी।

कुछ दिनों बाद, एक जंगली बिल्ली पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करने लगी। उसका निशाना पिहू के छोटे बच्चे थे, जो अभी उड़ना नहीं जानते थे। पिहू डर के मारे चिल्लाने लगी, लेकिन बिल्ली धीरे-धीरे ऊपर बढ़ रही थी। पिहू चोंच मार-मारकर उसे भगाने की कोशिश कर रही थी, पर बिल्ली बड़ी थी।

मटरू का जवाबी हमला

तभी मटरू ने नीचे से यह सब देखा। वह जानता था कि वह बिल्ली से लड़ नहीं सकता, लेकिन वह उसका ध्यान भटका सकता था। मटरू तेजी से पेड़ पर चढ़ा, लेकिन बिल्ली के पास जाने के बजाय, वह उस सूखी डाल की तरफ भागा जिस पर बिल्ली ने अपना पिछला पैर टिका रखा था।

मटरू ने अपने पैने दांतों से उस कमजोर छाल को तेजी से कुतरना शुरू कर दिया। जैसे ही बिल्ली ने आगे बढ़ने के लिए उस पैर पर जोर दिया, छाल उखड़ गई और बिल्ली का पैर फिसल गया।

"म्याऊँ!" बिल्ली संतुलन खो बैठी और धड़ाम से नीचे झाड़ियों में जा गिरी। चोट तो ज्यादा नहीं लगी, लेकिन वह इतनी डर गई कि वहां से भाग खड़ी हुई।

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कहानी से सीख (Moral of the Story)

"सच्चा दोस्त वह नहीं जो आपके जैसा दिखता हो, बल्कि वह है जो मुसीबत के समय अपनी समझदारी से आपकी जान बचाए।"

उस दिन के बाद से जंगल के जानवरों ने देखा कि चूहा और चिड़िया अक्सर साथ खाना खाते थे। पिहू पेड़ से फल गिराती और मटरू जमीन के कीड़े-मकौड़ों से पिहू को सावधान करता। उनकी दोस्ती ने साबित कर दिया कि मदद करने के लिए शरीर बड़ा होना जरूरी नहीं, बस नियत साफ होनी चाहिए।

तथ्य और संदर्भ

प्रकृति में अलग-अलग प्रजातियों के बीच सहयोग को विज्ञान की भाषा में 'सहजीविता' (Symbiosis) या 'पारस्परिकता' (Mutualism) कहा जाता है, जहाँ दो अलग जीव एक-दूसरे की मदद करते हैं।

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