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jungle story-Clever jackal
चालाक सियार की चतुराई- एक समय की बात है, जंगल में एक चालाक सियार रहता था जिसे मछली खाने का बहुत शौक था। एक दिन, उसका मन मछली खाने का हुआ तो वह नदी की ओर चल दिया। नदी के किनारे पहुंचकर उसने देखा कि दो ओटर एक बड़ी मछली को लेकर आपस में उलझ रहे हैं। दोनों ओटर मछली को आधा-आधा काटने की बात कर रहे थे लेकिन तय नहीं कर पा रहे थे कि कौन पहले इसे काटेगा और कौन पहला टुकड़ा लेगा।
चालाक सियार ने इसे अपने लिए एक सुनहरा अवसर समझा और ओटर्स के पास जाकर बोला, "क्या हो रहा है, मेरे दोस्तों? मैं देख सकता हूँ कि तुम दोनों किसी उलझन में हो। क्या मैं मदद कर सकता हूँ?"
ओटर्स ने उसे अपनी समस्या बताई। सियार ने तुरंत कहा, "चिंता मत करो, मैंने पहले भी ऐसे कई झगड़े सुलझाए हैं।" फिर उसने मछली का सिर और पूंछ दो हिस्सों में काटकर दोनों ओटर में बांट दिया।
जब ओटर्स ने पूछा कि मछली के बीच वाले हिस्से का क्या होगा, जो सबसे ज्यादा मांस वाला था, सियार ने चालाकी से कहा, "यह हिस्सा मेरा है क्योंकि मैंने तुम्हारी समस्या सुलझाई है। यह मेरी फीस है।" और वह खुशी-खुशी मछली के उस टुकड़े को लेकर चल दिया।
दोनों ओटर एक दूसरे से कहने लगे, "अगर हम खुद पर यकीन करके अपनी उलझने खुद ही सुलझा लें तो किसी तीसरे को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती और हमें बीच वाला हिस्सा भी मिल जाता।"
चालाक सियार की चतुराई से सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी समस्याओं को खुद ही सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। दूसरों पर निर्भर रहने से कभी-कभी हम अपने हिस्से का लाभ खो देते हैं। स्वावलंबन और स्वयं की समझदारी हमें अन्य लोगों के लालच से बचा सकती है।