सारस और लोमड़ी की चतुराई – सारस और लोमड़ी की कहानी

बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक चतुर लोमड़ी और समझदार सारस रहते थे। दोनों में अच्छी दोस्ती थी। वे अक्सर मिलते और जंगल की बातें करते। लेकिन लोमड़ी स्वभाव से थोड़ी चालाक थी और दूसरों को धोखा देना उसकी आदत थी।

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Cleverness of stork and fox - Story of stork and fox

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सारस और लोमड़ी की चतुराई – सारस और लोमड़ी की कहानी : बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक चतुर लोमड़ी और समझदार सारस रहते थे। दोनों में अच्छी दोस्ती थी। वे अक्सर मिलते और जंगल की बातें करते। लेकिन लोमड़ी स्वभाव से थोड़ी चालाक थी और दूसरों को धोखा देना उसकी आदत थी। (लोकप्रिय पंचतंत्र की कहानी)


📜 लोमड़ी की चालाकी

एक दिन लोमड़ी ने सोचा, "क्यों न सारस के साथ मजाक किया जाए!" वह सारस के पास गई और मधुर स्वर में बोली,

"नमस्ते सारस भाई! कैसे हो?"

सारस ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, "मैं अच्छा हूँ लोमड़ी बहन, तुम अपनी बताओ?"

लोमड़ी को एक शरारत सूझी और उसने तुरंत कहा, "कल मैं तुम्हें अपने घर भोजन पर बुलाना चाहती हूँ। हम साथ बैठकर स्वादिष्ट खाना खाएंगे!"

सारस को यह सुनकर बहुत खुशी हुई और उसने तुरंत स्वीकृति दे दी। (नैतिक कहानियाँ हिंदी में)


🍲 लोमड़ी की दावत

अगले दिन सारस लोमड़ी के घर पहुँचा। लोमड़ी ने बड़ी-बड़ी थालियों में पतली खिचड़ी परोसी और कहा, "आओ सारस भाई, खाना खाइए!"

लोमड़ी ने जल्दी-जल्दी खिचड़ी खाना शुरू कर दिया, लेकिन सारस की लंबी चोंच थाली से खिचड़ी नहीं उठा पा रही थी। वह भूखा ही बैठा रहा। लोमड़ी ने मन ही मन बहुत मज़ा लिया और बनावटी चिंता दिखाते हुए पूछा, "क्या हुआ सारस भाई, खाना पसंद नहीं आया?"

सारस समझ गया कि लोमड़ी ने उससे चालाकी की है। वह शांत रहा और बिना गुस्सा किए बोला, "खाना बहुत अच्छा था लोमड़ी बहन! अब कल तुम मेरे घर खाने जरूर आना।"

लोमड़ी ने तुरंत हामी भर दी। (बच्चों के लिए प्रेरणादायक कहानी)


🍛 सारस की चतुराई

अगले दिन लोमड़ी उत्साहित होकर सारस के घर पहुँची। दोनों ने मिठास भरी बातें कीं। फिर सारस ने कहा, "आज मैंने तुम्हारे लिए स्वादिष्ट मछलियाँ पकाई हैं!"

यह सुनकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। लेकिन जब सारस खाना लाया, तो लोमड़ी हैरान रह गई!

सारस ने मछलियाँ लंबी और पतली सुराही में परोसी थीं, जिसका मुँह बहुत छोटा था। फिर वह अपनी लंबी चोंच से आसानी से मछलियाँ खाने लगा।

अब लोमड़ी का बड़ा मुँह उस संकरी सुराही में नहीं जा पा रहा था। उसने बहुत कोशिश की, लेकिन वह एक भी मछली नहीं खा सकी।

सारस ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्या हुआ लोमड़ी बहन, खाना पसंद नहीं आया?"

लोमड़ी को अब अपनी गलती समझ आ गई। वह शर्मिंदा हो गई और बिना कुछ खाए ही घर लौट गई। (मोरल स्टोरी इन हिंदी)


🌟 कहानी से सीख

जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही हमें वापस मिलता है।
दूसरों के साथ चालाकी या धोखा करने से हमें भी नुकसान हो सकता है।
बुद्धिमानी से अपने अपमान का जवाब देना सबसे अच्छा तरीका है।

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