दयालु हाथी शिवालिक और लालची राजू

यह motivational story for kids बच्चों को सिखाती है कि दया और उदारता सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन लालच हमें बर्बाद कर सकता है। इस कहानी में जंगल का रोमांच, जानवरों की बातें, और एक गहरी सीख है, जो बच्चों को पसंद आएगी।

New Update
Dayalu elephant Shivalik and greedy Raju
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00
"दयालु हाथी शिवालिक और लालची राजू: दया और परिणाम की कहानी" एक ऐसी कहानी है, जो हमें दया, लोभ, और सच्चे मूल्यों की गहरी सीख देती है। यह कहानी एक दयालु हाथी और एक लालची आदमी की है, जो जंगल में एक-दूसरे से मिलते हैं। हाथी अपनी दया और उदारता से उस आदमी की मदद करता है, लेकिन लालच में अंधा वह आदमी उसकी दया का गलत फायदा उठाता है। यह motivational story for kids बच्चों को सिखाती है कि दया और उदारता सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन लालच हमें बर्बाद कर सकता है। इस कहानी में जंगल का रोमांच, जानवरों की बातें, और एक गहरी सीख है, जो बच्चों को पसंद आएगी। आइए, इस inspirational Hindi story की सैर पर चलें और देखें कि कैसे एक दयालु हाथी ने अपनी उदारता से एक लालची आदमी को जीवन का सबसे बड़ा सबक सिखाया।

जंगल का दयालु राजा: शिवालिक

एक बार की बात है, एक घने और हरे-भरे जंगल में एक विशाल हाथी रहता था, जिसका नाम था शिवालिक। शिवालिक जंगल का राजा था और उसकी ताकत इतनी थी कि वह अस्सी हज़ार गजों पर राज करता था। उसकी सूंड सोने की तरह चमकती थी, और उसकी आँखों में दया और करुणा भरी थी। शिवालिक की सूंड इतनी सुंदर थी कि उसे देखकर लगता था जैसे उसमें सुहागे की चमक हो। जंगल के सारे जानवर उससे प्यार करते थे, क्योंकि वह हमेशा उनकी मदद करता था। शिवालिक का दिल इतना बड़ा था कि वह हर किसी की सहायता के लिए तैयार रहता था।
शिवालिक को दान और दया की साधना करने का शौक था। वह सोचता था, "अगर मैं अपनी ताकत और संपत्ति से किसी की मदद कर सकूँ, तो इससे बड़ा पुण्य और क्या हो सकता है?" वह हर दिन जंगल में घूमता और जो भी मुसीबत में होता, उसकी मदद करता। जंगल के जानवर उसे "दया का राजा" कहकर बुलाते थे।

जंगल में एक भटका हुआ आदमी

एक दिन, जब सूरज ढलने वाला था और जंगल में सुनहरी रोशनी फैल रही थी, शिवालिक जंगल में टहल रहा था। तभी उसने एक अजीब सी आवाज़ सुनी—"हाय... हाय..."। उसने अपनी लंबी सूंड उठाकर देखा तो उसे एक आदमी दिखाई दिया, जो एक पेड़ के नीचे बैठकर रो रहा था। उस आदमी का नाम था राजू। राजू जंगल में भटक गया था और उसे रास्ता नहीं मिल रहा था। वह डर के मारे रो रहा था और सोच रहा था, "हाय रे! मैं इस जंगल में खो गया हूँ। यहाँ तो जंगली जानवर होंगे। मैं कैसे बचूँगा?"
शिवालिक ने उसे देखा और समझ गया कि यह आदमी मुसीबत में है। उसने सोचा, "मुझे इसकी मदद करनी चाहिए। यह बेचारा डर रहा है।" शिवालिक धीरे-धीरे राजू की तरफ बढ़ा। लेकिन जैसे ही राजू ने शिवालिक को अपनी तरफ आते देखा, वह डर के मारे चिल्लाया, "बचाओ! यह हाथी मुझे मारने आ रहा है!" वह अपनी जान बचाने के लिए भागने लगा।
शिवालिक ने देखा कि राजू डर गया है। उसने अपनी सूंड हवा में उठाई और शांत स्वर में कहा, "डरो मत, मेरे दोस्त! मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।" लेकिन राजू उसकी बात नहीं सुन रहा था। वह भागता रहा। शिवालिक ने अपनी जगह पर खड़े होकर उसे शांत करने की कोशिश की। उसने अपनी सूंड को धीरे-धीरे हिलाया और एक दोस्ताना मुस्कान दी।
राजू ने जब देखा कि शिवालिक उसका पीछा नहीं कर रहा, तो वह रुक गया। उसने दूर से शिवालिक को देखा और सोचा, "यह हाथी तो खतरनाक नहीं लगता। शायद यह सच में मेरी मदद करना चाहता है।" शिवालिक ने फिर से धीरे-धीरे कदम बढ़ाया, लेकिन राजू फिर से डरकर भागने लगा। शिवालिक ने कई बार ऐसा किया—वह रुकता, फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ता। आखिरकार, राजू का डर खत्म हो गया। उसने समझ लिया कि शिवालिक कोई खतरनाक हाथी नहीं है।

शिवालिक की दया और राजू की कृतघ्नता

शिवालिक ने राजू के पास पहुँचकर कहा, "मेरे दोस्त, तुम इस जंगल में क्यों रो रहे हो? क्या तुम खो गए हो?" राजू ने डरते-डरते जवाब दिया, "हाँ, मैं जंगल में भटक गया हूँ। मुझे रास्ता नहीं मिल रहा। मैं अपनी बस्ती वापस जाना चाहता हूँ।" शिवालिक ने मुस्कुराते हुए कहा, "चिंता मत करो। मैं तुम्हें तुम्हारी बस्ती तक पहुँचा दूँगा।"
शिवालिक ने अपनी लंबी सूंड से राजू को प्यार से उठाया और अपनी पीठ पर बिठा लिया। उसने कहा, "मेरे दोस्त, मैं तुम्हें पहले अपने घर ले चलता हूँ। वहाँ तुम्हें कुछ खाने को दूँगा।" शिवालिक राजू को अपने निवास स्थान पर ले गया, जो एक सुंदर गुफा थी। वहाँ उसने राजू को तरह-तरह के फल, जैसे आम, केले, और अनार, खिलाए। राजू ने पेट भरकर खाया और खुश हो गया। उसने कहा, "शिवालिक, तुम बहुत दयालु हो। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक हाथी इतना अच्छा हो सकता है।"
खाना खाने के बाद, शिवालिक ने राजू को फिर से अपनी पीठ पर बिठाया और उसे जंगल के बाहर उसकी बस्ती के करीब छोड़ दिया। जाते समय शिवालिक ने कहा, "सावधान रहना, मेरे दोस्त! अगर कभी तुम्हें मेरी ज़रूरत हो, तो इस जंगल में आना। मैं हमेशा तुम्हारी मदद करूँगा।" राजू ने शिवालिक को धन्यवाद दिया और अपनी बस्ती की ओर चला गया।

राजू का लालच और शिवालिक की उदारता

लेकिन राजू का दिल लालच और कृतघ्नता से भरा हुआ था। उसने सोचा, "शिवालिक के दाँत तो बहुत कीमती हैं। अगर मैं उसके दाँत ले जाकर बेच दूँ, तो मैं बहुत अमीर बन जाऊँगा।" उसने तुरंत एक योजना बनाई और शहर के बाजार में एक बड़े व्यापारी से हाथी दाँत का सौदा कर लिया। कुछ दिनों बाद, वह आरी और औज़ार लेकर शिवालिक के निवास स्थान पर पहुँच गया।
Dayalu elephant Shivalik and greedy Raju
शिवालिक ने उसे देखकर खुशी से कहा, "राजू, तुम फिर से यहाँ कैसे आए? क्या तुम फिर से भटक गए हो?" राजू ने झूठ बोलते हुए कहा, "नहीं, शिवालिक, मैं भटका नहीं हूँ। मैं बहुत गरीब हूँ। मेरे पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। अगर तुम मुझे अपने दाँत दे दो, तो मैं उन्हें बेचकर अपनी गरीबी दूर कर लूँगा।" शिवालिक ने उसकी बात सुनी और सोचा, "मैं दान की साधना कर रहा हूँ। अगर मेरे दाँत से इसकी गरीबी दूर हो सकती है, तो मैं इसे दे दूँगा।"
शिवालिक ने अपनी सूंड हिलाई और कहा, "मैं तुम्हारी मदद करने को तैयार हूँ, राजू। मेरे दाँत तुम्हारे लिए हैं।" उसने घुटनों पर बैठकर राजू को अपने दाँत काटने की इजाज़त दे दी। राजू ने आरी से शिवालिक के एक दाँत को काट लिया और उसे लेकर शहर चला गया। उसने दाँत को बेचकर बहुत सारा पैसा कमा लिया। लेकिन उसका लालच यहीं नहीं रुका।
कुछ दिनों बाद, राजू फिर से शिवालिक के पास पहुँचा। उसने कहा, "शिवालिक, तुमने मेरी बहुत मदद की, लेकिन मैं अभी भी गरीब हूँ। क्या तुम मुझे अपने बाकी दाँत दे सकते हो?" शिवालिक ने उसकी बात सुनी और बिना किसी शिकायत के फिर से घुटनों पर बैठ गया। उसने कहा, "जो तुम्हें चाहिए, ले लो, राजू। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।" राजू ने शिवालिक के बाकी दाँत भी काट लिए और उन्हें बेचकर और पैसे कमा लिए।

लालच की सजा और शिवालिक का बलिदान

राजू का लालच अब और बढ़ गया। वह तीसरी बार शिवालिक के पास पहुँचा और कहा, "शिवालिक, मेरे पास अभी भी पैसे कम हैं। क्या तुम मुझे अपने बाकी दाँत दे सकते हो?" शिवालिक के पास अब कोई दाँत नहीं बचा था, लेकिन उसने फिर भी राजू की बात मान ली। उसने कहा, "मेरे दोस्त, अगर मेरे दाँतों से तुम्हारी ज़िंदगी बेहतर हो सकती है, तो मैं यह बलिदान देने को तैयार हूँ।"
राजू ने बेरहमी से शिवालिक के मसूड़ों को काटना शुरू कर दिया। उसने शिवालिक के सारे दाँत समूल निकाल लिए। शिवालिक दर्द से कराहने लगा। उसका मुँह खून से लथपथ हो गया, और वह बेहोश होकर गिर पड़ा। कुछ ही देर में, दर्द और खून की कमी की वजह से शिवालिक की मृत्यु हो गई। राजू ने शिवालिक की मौत की परवाह नहीं की और दाँत लेकर जंगल से बाहर निकलने लगा।
लेकिन वह जंगल की सीमा भी पार नहीं कर पाया था कि अचानक धरती फट गई। एक बड़ा सा गड्ढा बन गया, और राजू उसमें गिरकर काल के गाल में समा गया। उसी समय, जंगल में रहने वाली एक यक्षिणी प्रकट हुई। उसने एक सुंदर गीत गाया, "मांगती है तृष्णा और... और, मिटा नहीं सकता जिसकी भूख को सारा संसार...!!" यक्षिणी ने कहा, "लालच की भूख कभी खत्म नहीं होती। यह इंसान को तब तक खींचती है, जब तक वह बर्बाद न हो जाए।"

कहानी की गहरी सीख

यह कहानी हमें कई motivational lessons सिखाती है:
  1. लालच से बचें: राजू का लालच उसे बर्बाद कर गया। यह हमें सिखाता है कि हमें लालच नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह हमें गलत रास्ते पर ले जाता है।
  2. दया और उदारता की ताकत: शिवालिक ने अपनी दया और उदारता से राजू की मदद की, लेकिन उसकी दया का गलत फायदा उठाया गया। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा दयालु बनना चाहिए, लेकिन अपनी सीमाओं का भी ध्यान रखना चाहिए।
  3. कृतज्ञता का महत्व: राजू ने शिवालिक की मदद की कद्र नहीं की और उसकी दया का गलत फायदा उठाया। यह हमें सिखाता है कि हमें दूसरों की मदद का सम्मान करना चाहिए और कृतज्ञ रहना चाहिए।
  4. लालच की सजा: राजू को उसके लालच की सजा मिली। यह हमें सिखाता है कि गलत काम का अंजाम हमेशा बुरा होता है।
  5. सच्ची खुशी: सच्ची खुशी लालच में नहीं, बल्कि दया, प्रेम, और संतुष्टि में है। हमें जो मिला है, उसकी कद्र करनी चाहिए। 

निष्कर्ष

"दयालु हाथी शिवालिक और लालची राजू: दया और परिणाम की कहानी" एक ऐसी motivational story है, जो बच्चों को सिखाती है कि लालच हमें बर्बाद कर सकता है, जबकि दया और कृतज्ञता हमें सच्ची खुशी देती है। शिवालिक की उदारता और राजू का लालच हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए, लेकिन लालच से बचना चाहिए। बच्चों, हमेशा याद रखो कि सच्ची खुशी पैसे या चीज़ों में नहीं, बल्कि प्यार, दया, और संतुष्टि में है। 
Tags : kids moral story in hindi | moral story in Hindi for kids | moral story in hindi | बच्चों के लिए जंगल की कहानी | जंगल की कहानी | inspirational story for children | लालच की कहानी | New Hindi Story for Kids | Interesting Hindi Story for Kids | Hindi story for kids with moral | Hindi story for kids with message | Hindi story for kids | बच्चों के लिए कहानी | motivational story in hindi | प्रेरणादायक कहानी