दो मछली और एक मेंढक की दोस्ती

दो बड़ी मछलियां सहसराबुद्धि और सताबुद्धि एक बड़े तालाब में रहती थी। दोनों एक मेंढक एकाबुद्धि की बहुत अच्छी दोस्त थी। तीनों तालाब में बहुत अच्छा वक्त बीताते थे।

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Friendship of two fish and a frog jungle stories
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दो मछली और एक मेंढक की दोस्ती  - दो बड़ी मछलियां सहसराबुद्धि और सताबुद्धि एक बड़े तालाब में रहती थी। दोनों एक मेंढक एकाबुद्धि की बहुत अच्छी दोस्त थी। तीनों तालाब में बहुत अच्छा वक्त बीताते थे। एक शाम वे तीनों तालाब में इकट्ठा हुए, उन लोगों ने देखा कि कुछ मछवारे अपने हाथों में जाल और बड़ी टोकरी लिए सामने से जा रहे हैं और उनके पास ढेर सारी मछलियां भी हैं। तालाब के पास से गुजरते वक्त वे लोग एक दूसरे से बातें कर रहे थे। ‘ये तालाब तो मछलियों से भरा हुआ है, उनमें से एक मछवारे ने कहा, ‘कल सुबह हम यहां मछलियां पकड़ने आएंगे। तालाब ज्यादा गहरा नहीं है ’। दूसरे दिन वे उस तालाब में आने के लिए तैयार हो गए। 

मेंढक मछवारों की बात सुनकर दुखी हो गया। उसने अपने दोस्तों से कहा, ‘अब हमें बचने के लिए कुछ उपाय निकालने होंगे। या तो हमें भागना पड़ेगा या फिर छिपना पड़ेगा’।
मछलियों को इस बात से ज्यादा चिंता नहीं हुई।‘एक मछली ने दूसरी से कहा, कुछ नहीं होगा, वे मछवारे तो बस ऐसे ही बातें कर रहे थे। वे यहां नहीं आएंगे। अगर आ भी जाते हैं तो मुझे पता है, मैं उनसे निपट लूंगी। मुझे पानी के बहुत सारे ट्रिक्स आते हैं। मैं तुम्हे और खुद को बचा लूंगी।

दूसरी मछली ने भी यही कहा कि वो भी अपनी और परिवार की जान बचाने में सक्षम है। दोनों मछलियां एक दूसरे के सपोर्ट में आ गई। दोनों ने ही कहा कि वे चंद मछवारों की वजह से अपने पुर्वजों का घर छोड़कर नहीं जाएंगी, लेकिन मेंढक नहीं माना। उसने बोला कि वो अपने परिवार को लेकर कल सुबह होने से पहले ही किसी और तालाब में चला जाएगा। दूसरे दिन सुबह मछवारे आए और उन लोगों ने अपने बड़े-बड़े जाल बिछाए।

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तालाब से मछली केंकड़े, कछुआ और मेंढक पकड़ रहे थे। दोनों मछलियां बचने की कोशिश करती रही, लेकिन बच नहीं पाई। उनकी एक भी चालाकी काम नहीं आई। मछवारों ने उन्हें पकड़ लिया और जब जाल में उन्हें दबोचा तो वे मर चुकी थी। मछवारे इतनी बड़ी दो मछलियां पकड़कर बहुत खुश और गर्वित थे। वे सबको दिखाकर घर जा रहे थे। इस बीच, मेंढक को रहने के लिए एक जगह मिल गई थी, लेकिन वो अपने दोस्तों के लिए डरा हुआ था। फिर जब उसे अपने दोस्त की मौत के बारे में पता चला वो दुखी हो गया।

मेंढक परिवार से कहने लगा, ‘उनके पास बहुत हुनर था, लेकिन जिस हुनर की ज्यादा जरूरत थी वही नहीं था। लेकिन मेरे पास वही एक हुनर था। मैं अपने परिवार के साथ ही तैरना चाहता हूं और खुश हूं। 

कहानी की सीख:

यह कहानी हमें सतर्कता, समझदारी और दूरदर्शिता की महत्वपूर्ण सीख देती है।

  1. सावधानी और सतर्कता: हमेशा आने वाले खतरों को समय पर पहचानें और उनकी तैयारी करें। जैसे मेंढक ने मछवारों की बात सुनकर सही निर्णय लिया और अपने परिवार को सुरक्षित किया।

  2. अहम का त्याग: मछलियों का अपनी क्षमताओं पर अधिक भरोसा और तालाब छोड़ने से इनकार करना उनकी सबसे बड़ी गलती थी। इससे हमें सीख मिलती है कि आत्मविश्वास होना अच्छी बात है, लेकिन उसे अति-अहम नहीं बनने देना चाहिए।

  3. परिस्थिति को समझें: केवल हुनर होने से कुछ नहीं होता; सही समय पर उसे उपयोग करने की समझ भी जरूरी है। मछलियां अपनी चालाकी पर गर्व कर रही थीं, लेकिन स्थिति की गंभीरता को समझने में असफल रहीं।

  4. दूरदर्शिता का महत्व: मेंढक की दूरदर्शिता ने उसके परिवार को बचा लिया। यह दिखाता है कि किसी भी निर्णय को सोच-समझकर लेना कितना जरूरी है।

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