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👦 बच्चों, क्या आपने कभी किसी को इतना चालाक देखा है कि वो अपनी बातों से दूसरों को बेवकूफ बना ले? लेकिन क्या वो चालाकी हमेशा काम आती है? नहीं न? चलिए, इस कहानी में जानिए क्यों नहीं!
🌲चिलबिल जंगल में चालाक सियार
बहुत दूर, एक हरे-भरे जंगल में रहता था एक सियार — नाम था ललुआ।
ललुआ बाकी जानवरों से थोड़ा अलग था। ना वो ज्यादा ताक़तवर था, ना ही तेज़। लेकिन उसमें एक खास बात थी — उसकी ज़बान! वो ऐसे-ऐसे झूठ बोलता कि सामने वाला भी सोच में पड़ जाए।
🐾 "अगर मैं कहूं कि सूरज रात को निकलता है, तो भी खरगोश मान जाएगा!" — ये था ललुआ का दावा।
(सियार की धूर्तता की कहानी बच्चों के लिए)
🍇 कहानी शुरू होती है... एक झूठ से
एक दिन जंगल में जामुनों का पेड़ लगा — मीठे, रसीले जामुन, जो सबको पसंद थे।
शेर राजा ने सब जानवरों से कहा:
"हर दिन हर जानवर को थोड़े-थोड़े जामुन मिलेंगे, बारी-बारी से।"
अब ललुआ सोच में पड़ गया —
"इतना मीठा फल... और मुझे सिर्फ थोड़े? ये तो नाइंसाफी है!"
उसने चाल चली। अगली सुबह वो सबसे पहले पेड़ के पास गया और मुंह लटकाकर बैठ गया।
बंदर आया और पूछा:
"क्या हुआ ललुआ भाई?"
ललुआ (उदास होकर): "कल रात शेर ने मुझे बुलाकर कहा, ‘बंदर बहुत लालची है, जामुन मत देना।’ मुझे बुरा लगा... लेकिन क्या करूं?"
बंदर गुस्से में: "क्या! ऐसा कहा राजा ने? अब देखता हूँ!"
बंदर गया और शेर से बहस करने लगा। तब तक ललुआ हँसता-हँसता पूरा पेड़ साफ कर गया।
🐰 H3: ललुआ की चालें चलती रहीं...
अब खरगोश से बोला —
"बंदर कह रहा था, खरगोश सबसे डरपोक है। उससे तो जामुन भी चुरवा लो, आवाज़ नहीं निकलेगी।"
खरगोश को गुस्सा आ गया और उसने भी शेर से शिकायत की। जंगल में तनाव बढ़ता गया।
ललुआ हर बार नई कहानी बनाता और हर बार अपने लिए फल, रोटियाँ, गाजरें, कभी दूध — सब हासिल करता।
🍪 बच्चों, ललुआ की ये आदत बन गई थी — दूसरों को लड़ाकर खुद फायदा उठाना।
(Clever animal jungle story in Hindi)
🕊️ लेकिन हर चालाकी का आता है एक अंत
जंगल का सबसे शांत जानवर था — गोलू कबूतर।
गोलू ज्यादा बोलता नहीं था, लेकिन सबको ध्यान से देखता था।
उसने सब जानवरों को एक दिन बुलाया और कहा:
"एक खेल खेलते हैं — 'सच का आइना'। हर जानवर अपनी बात बोलेगा, लेकिन बिना गुस्से के।"
सब तैयार हो गए।
पहले बंदर बोला, फिर खरगोश, फिर तोता — सबने बताया कि कैसे ललुआ ने उन्हें एक-दूसरे से भिड़वाया।
अब बारी थी ललुआ की।
ललुआ थोड़ा हँसा, फिर बोला:
"मैंने सबको बेवकूफ बनाया... लेकिन मुझे भी डर था — अगर कभी पकड़ा गया तो क्या होगा?"
शेर उठे और बोले:
"तुम्हारी चालाकी अब तुम्हारे खिलाफ हो गई है। पर हम तुम्हें सज़ा नहीं देंगे — हम तुम्हें बदलने का मौका देंगे।"
🧹 ललुआ की नई ज़िंदगी
अब ललुआ को जंगल की सफाई और घायल जानवरों की देखभाल का काम सौंपा गया।
शुरू में उसे अच्छा नहीं लगा, पर धीरे-धीरे जब जानवरों ने उसे माफ किया, तो उसका दिल भी बदलने लगा।
अब वो बच्चों को कहानी सुनाता —
"एक बार एक सियार था... बहुत धूर्त था, लेकिन फिर उसने सीखा कि सच्चाई और दोस्ती सबसे बड़ी चीज़ है!"
💡 बच्चों के लिए सीख
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झूठ से हो सकता है तात्कालिक लाभ, लेकिन अंत में सच की जीत होती है।
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चालाकी तब तक अच्छी है जब तक वो सबके भले के लिए हो।
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माफ़ी मांगना कमजोरी नहीं, बहादुरी होती है।
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🎯 निष्कर्ष: धूर्तता से दोस्ती तक – सियार की सच्ची कहानी
"सियार की धूर्तता" सिर्फ एक कहानी नहीं — ये हमें सिखाती है कि जैसे हम दूसरों के साथ करेंगे, वैसा ही हमारे साथ होगा।
👉 अगर आप भी किसी ललुआ जैसे दोस्त को जानते हो, तो उसे प्यार से समझाओ —
👉 और अगर कभी खुद कोई चाल चले, तो वक्त रहते संभल जाओ।
क्योंकि जो दोस्त सबको जोड़ता है, वो ही असली चालाक होता है।
अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो इसे बच्चों को ज़रूर सुनाएं और बताएं — सच्चाई और दोस्ती से बड़ा कोई जादू नहीं। 🦊🌳💚
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