ज्ञान का बंटवारा - किसी जमाने में जंगल के जानवर बेहद भोले-भाले और अज्ञानी थे। उन्हें न तो सही तरीके से अपना पेट भरने की समझ थी और न ही मुसीबत में अपनी जान बचाने की कला। शिकारियों के जाल में फंसकर वे अपनी जान गंवा बैठते थे। जंगल का हर जीव अपनी इस लाचारी को लेकर बेहद दुखी था।
एक दिन, जंगल की सबसे चालाक मानी जाने वाली लोमड़ी पानी पीने के लिए नदी किनारे गई। वहां उसने एक ऋषि को देखा, जो अपने शिष्यों को ज्ञान का पाठ पढ़ा रहे थे। ऋषि बता रहे थे कि जीवन की कठिनाइयों से कैसे बुद्धिमानी से निपटा जा सकता है और कैसे अच्छा जीवन जिया जा सकता है। साथ ही, ऋषि ने यह भी बताया कि ज्ञान को बांटना चाहिए, क्योंकि बांटा गया ज्ञान ही सच्चा ज्ञान होता है। जो अपने ज्ञान को छुपाकर रखता है, वह कभी गुरु नहीं बन सकता और न ही दुनिया में उसका सम्मान होता है।
लोमड़ी ने ऋषि की सारी बातें ध्यान से सुनीं और समझ गई कि बुद्धि और ज्ञान का उपयोग जीवन को आसान बनाने के लिए किया जा सकता है। ऋषि की बातें सीखकर लोमड़ी भी ज्ञानी और बुद्धिमान बन गई। वह अपने जंगल में वापस आई और अपनी बुद्धिमानी से हर समस्या को हल करने लगी। उसकी बुद्धिमानी देखकर जंगल के अन्य जानवरों ने उससे मदद मांगनी शुरू कर दी। लेकिन लोमड़ी स्वार्थी हो गई। उसने सोचा, "अगर मैं अपना ज्ञान दूसरों को बांट दूंगी, तो वे भी मुझसे ज्यादा चालाक बन जाएंगे।"
ज्ञान को छुपाने की कोशिश
स्वार्थी लोमड़ी ने फैसला किया कि वह अपना सारा ज्ञान छुपाकर रखेगी। उसने ऋषि के दिए ज्ञान को एक मिट्टी के घड़े में बंद कर लिया और उसे अपनी छाती से बांध लिया। फिर उसने उस घड़े को जंगल के सबसे ऊंचे खजूर के पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर छुपाने की कोशिश की। लेकिन छाती पर भारी घड़ा बंधा होने के कारण वह बार-बार असफल हो रही थी।
खरगोश की सलाह
तभी वहां से एक नन्हा खरगोश गुजरा। उसने लोमड़ी को परेशान देखकर कहा, "लोमड़ी मौसी, घड़ा छाती पर बांधकर पेड़ पर चढ़ना मुश्किल है। इसे पीठ पर बांध लो, फिर आसानी से चढ़ पाओगी।"
खरगोश की सलाह सुनकर लोमड़ी को गुस्सा आ गया। उसने सोचा, "एक छोटा सा खरगोश मुझे सलाह देगा? मैं सबसे चालाक हूं। इसे सबक सिखाना पड़ेगा।"
घड़े का टूटना और ज्ञान का फैलना
लोमड़ी ने गुस्से में घड़ा उठाकर खरगोश पर फेंक दिया। खरगोश तो फुर्ती से भाग गया, लेकिन घड़ा जमीन पर गिरकर टूट गया। जैसे ही घड़ा टूटा, उसमें बंद सारा ज्ञान हवा में फैल गया और जंगल के हर जीव में समा गया। अचानक, सभी जानवर बुद्धिमान और आत्मनिर्भर हो गए। उन्होंने शिकारियों से बचने और अपना पेट भरने के नए तरीके सीख लिए।
लोमड़ी की हार और पश्चाताप
लेकिन लोमड़ी को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ। उसने देखा कि अब जंगल के सभी जानवर अपने जीवन में खुश हैं, लेकिन वह अकेली रह गई। उसकी चालाकी और स्वार्थ ने उसे गुरु बनने का मौका हमेशा के लिए छीन लिया। वह अब जंगल में "धूर्त लोमड़ी" के नाम से जानी जाने लगी।
ज्ञान का बंटवारा की कहानी से सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि ज्ञान का मूल्य उसे बांटने में है। स्वार्थ और चालाकी केवल नुकसान ही पहुंचाते हैं। जो ज्ञान बांटता है, वह सच्चे गुरु का स्थान पाता है। इसलिए, हमें अपने ज्ञान और बुद्धिमानी का उपयोग सबकी भलाई के लिए करना चाहिए।