जंगल की मजेदार कहानी - लोमड़ी और कौवा :- एक बार की बात है, एक हरा-भरा जंगल था जहां कई जानवर मिल-जुलकर रहते थे। एक बड़े पेड़ की ऊंची डाल पर एक चालाक कौवा रहता था। वह अपने भोजन को चुराने से लेकर बचाने तक के लिए मशहूर था। एक दिन कौवा अपनी चोंच में एक स्वादिष्ट रोटी दबाए पेड़ की टहनी पर बैठा था। नीचे से एक भूखी लोमड़ी गुजर रही थी। उसने कौवे को रोटी खाते देखा और उसके मन में चालाकी सूझी। लोमड़ी ने अपनी मीठी आवाज में कौवे से कहा,"कौवा भाई, तुम कितने सुंदर और बुद्धिमान हो! तुम्हारी काली चमचमाती पंख और तेज चोंच देखकर तो ऐसा लगता है कि तुम जंगल के राजा हो। पर एक बात समझ नहीं आती।" कौवा ने अपनी गर्दन घुमाई और चौंकते हुए पूछा,"क्या बात समझ नहीं आती, लोमड़ी बहन?" लोमड़ी ने चतुराई से कहा,"इतने सुंदर और बुद्धिमान कौवे की आवाज कैसी होगी, यह तो मैंने कभी सुनी ही नहीं। क्या आप मुझे अपनी मीठी आवाज में एक गाना सुनाएंगे?" कौवा पहले तो सोच में पड़ गया, लेकिन लोमड़ी की तारीफ सुनकर उसका अहंकार बढ़ गया। उसने अपने मन में सोचा, "लोमड़ी सच कह रही है। मेरी आवाज सबको सुननी चाहिए।"यह सोचकर उसने रोटी अपनी चोंच से गिरा दी और गाना गाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन जैसे ही रोटी नीचे गिरी, लोमड़ी ने झपटकर रोटी उठा ली। कौवा गुस्से में बोला,"तुमने मेरी रोटी चुरा ली! यह तो धोखा है।" लोमड़ी मुस्कुराई और बोली,"कौवा भाई, यह मेरी भूख और तुम्हारी बेवकूफी का नतीजा है। अगली बार दूसरों की झूठी तारीफों में मत फंसना।"यह कहकर लोमड़ी वहां से चली गई। कौवा अपनी गलती समझ गया और मन ही मन कसम खाई कि अब वह कभी झूठी तारीफों के झांसे में नहीं आएगा। कहानी से सीख: झूठी प्रशंसा करने वालों से बचना चाहिए, क्योंकि वे केवल अपने फायदे के लिए ऐसा करते हैं। और पढ़ें : Jungle Kahani : हंस और उल्लू जंगल कहानी : स्मार्ट कबूतर की चतुराई जंगल कहानी : भूलक्कड़ हाथी Jungle Story : चुहिया की होशियारी