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आलस का अंजाम - घने जंगल में एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था। उसी के पास एक आलसी भालू भोलू रहता था। भोलू को सोना और आराम करना बहुत पसंद था। वह खाने के लिए भी ज्यादा मेहनत नहीं करता था और हमेशा दूसरों से मदद मांगता।
जंगल के बाकी जानवर मेहनती थे। खरगोश चिंकू, कछुआ टिम्मी, और बंदर मंटू हमेशा कुछ न कुछ काम करते रहते थे। चिंकू खेतों में फल और सब्जियां उगाता, टिम्मी नदी से पानी लाता और मंटू ऊंचे पेड़ों से फल तोड़ता।
भोलू हमेशा सोचता, "इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत? जब भूख लगेगी तो किसी से मांग लूंगा।"
एक दिन जंगल में तेज बारिश हुई। सभी जानवरों ने पहले से खाने-पीने का इंतजाम कर रखा था। लेकिन भोलू के पास कुछ भी नहीं था। उसने सोचा, "कोई न कोई मुझे खाना दे ही देगा।"
वह सबसे मदद मांगने गया। पहले वह चिंकू के पास गया और कहा, "चिंकू दोस्त, मुझे खाने के लिए कुछ दे दो। बहुत भूख लगी है।"
चिंकू ने कहा, "भोलू भाई, हमने अपनी मेहनत से यह खाना जमा किया है। अगर तुमने भी मेहनत की होती तो तुम्हारे पास भी खाना होता।"
भोलू फिर टिम्मी के पास गया और उससे खाने की भीख मांगी। टिम्मी ने भी वही जवाब दिया, "मैंने पानी इकट्ठा किया, अपने लिए खाना रखा। अगर तुम भी समय पर मेहनत करते, तो आज भूखे न रहते।"
अब भोलू मंटू के पास गया, लेकिन उसने भी मना कर दिया। सभी जानवरों ने भोलू को सिखाया कि मेहनत करने से ही जीवन में सफलता मिलती है।
भोलू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने खुद से वादा किया कि अब वह आलसी नहीं रहेगा। अगले ही दिन से उसने जंगल में मेहनत करना शुरू कर दिया। वह खुद फल तोड़ने लगा, अपने लिए खाना इकट्ठा करने लगा और जल्द ही जंगल के मेहनती जानवरों में शामिल हो गया।
सभी जानवर खुश थे कि भोलू ने अपनी गलती से सीख ली। अब वह कभी आलस नहीं करता और खुद मेहनत करता।
आलस का अंजाम कहानी से सीख:
जो मेहनत करता है, वही सुखी रहता है। आलसी व्यक्ति हमेशा मुश्किल में पड़ता है।