मूर्ख चूहे का घमंड - एक घने जंगल में नागराज अपनी मणि के साथ सुखी जीवन बिता रहा था। वह मणि उसकी पहचान और ताकत का प्रतीक थी। हर रात जब वह शिकार के लिए निकलता, मणि उसकी शक्ति और आभा को बढ़ा देती। लेकिन एक दिन जब नागराज जागा, तो उसने पाया कि उसकी कीमती मणि गायब थी। नागराज की चीख और शेर की सभा नागराज (गुस्से और दुख से): "अरे मेरी मणि! मेरी अनमोल मणि कहाँ चली गई? ये कौन चुरा ले गया? मैं बर्बाद हो गया!" नागराज की चीख-पुकार जंगल में गूँज उठी। सारे जानवर दौड़े आए। हर कोई परेशान था। हिरण: "नागराज, कृपया शांत हो जाइए। हम सब आपकी मणि ढूंढने में मदद करेंगे।" तोते ने उड़ते हुए खबर जंगल के राजा शेर तक पहुंचाई। शेर ने तुरंत एक सभा बुलाई। शेर (गंभीर आवाज़ में): "यह नागराज की मणि केवल उसकी नहीं, हमारे जंगल की शान है। चोर को पकड़ने का जिम्मा चतुर लोमड़ी को सौंपता हूँ। लोमड़ी, दो दिन में चोर को पकड़कर मेरे सामने लाओ।" लोमड़ी की चालाकी लोमड़ी ने ध्यान दिया कि नागराज के बिल के आसपास कई चूहों के बिल थे। उसने अपनी खोज शुरू की। लोमड़ी (अपने आप से): "इतने सारे चूहों में से चोर को ढूंढना आसान नहीं है। लेकिन मुझे उनके व्यवहार पर ध्यान देना होगा।" अगले दिन, उसने सभी चूहों को बुलाया। लोमड़ी: "सभी चूहे मेरे सामने हाज़िर हों। मैं आपसे कुछ सवाल पूछना चाहती हूँ।" सारे चूहे इकट्ठा हुए। लोमड़ी ने उनसे पूछा कि पिछले कुछ दिनों में क्या उन्होंने किसी का अजीब व्यवहार देखा है। चूहा 1: "लोमड़ी जी, पिछले कुछ दिनों से मोतीराम (चोर चूहा) बहुत अजीब व्यवहार कर रहा है। वह किसी से बात नहीं करता, और हमेशा घमंड में रहता है।" चूहा 2: "हाँ, पहले वो हम सबके साथ खेलता था। अब वो अकेला रहता है और अपने बिल में ज्यादा समय बिताता है।" लोमड़ी मुस्कुराई और बोली: "बहुत अच्छा। मुझे समझ आ गया है। अब चोर को पकड़ने का समय आ गया है।" चोर की पहचान और मणि की बरामदगी लोमड़ी ने मोतीराम को उसके बिल से बाहर बुलाया। लोमड़ी: "मोतीराम, तुम्हारे जैसे छोटे चूहे को अचानक इतना घमंड क्यों आ गया है? क्या तुम्हारे पास कुछ ऐसा है जो तुम्हें बड़ा बना रहा है?" मोतीराम (घबराकर): "न-नहीं, मेरे पास कुछ नहीं है।" लोमड़ी: "सच बोलो, वरना तुम्हारे बिल की तलाशी लेनी पड़ेगी।" मोतीराम ने अंततः अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने मणि छुपाकर रखी थी। मोतीराम (रोते हुए): "मुझे माफ कर दो। मैंने बस एक बार मणि देखी थी और मुझे लगा कि इससे मैं सबसे ताकतवर बन जाऊंगा।" शेर की सभा और सीख लोमड़ी ने मणि लेकर शेर के पास पहुंचाई। शेर (गुस्से में): "मोतीराम, तुमने जो किया वो हमारे जंगल के कानून के खिलाफ है। चोरी और घमंड दोनों से कोई सुखी नहीं हो सकता। तुम्हें जंगल से निकाला जाता है।" नागराज (लोमड़ी से): "तुमने मेरी मणि वापस दिलाई। तुम्हारी चतुराई की मैं प्रशंसा करता हूँ।" मूर्ख चूहे का घमंड कहानी से सीख यह कहानी हमें सिखाती है कि चोरी और घमंड से कभी किसी का भला नहीं होता। सच्ची सफलता मेहनत और ईमानदारी से मिलती है। जो दूसरों की मदद करता है, वही असली विजेता होता है। और पढ़ें : Jungle Kahani : हंस और उल्लू जंगल कहानी : स्मार्ट कबूतर की चतुराई जंगल कहानी : भूलक्कड़ हाथी Jungle Story : चुहिया की होशियारी