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लोमड़ी और कछुए की चतुराई: एक रोचक हिंदी कहानी
यह बेस्ट हिंदी स्टोरी कछुआ मेघनाद और लोमड़ी चंचला की है। चंचला मेघनाद को खाने की कोशिश करती है, लेकिन मेघनाद की चतुराई से वह बच निकलता है। बाद में दोनों दोस्त बनते हैं और जंगल में शांति फैलती है। यह कहानी बुद्धि और मेल-मिलाप का प्रतीक है।
लोमड़ी और कछुए की चतुराई: जंगल हिंदी कहानी : एक बार की बात है, एक शांत झील के किनारे एक समझदार कछुआ रहता था, जिसका नाम था मेघनाद। वह अपनी दिनचर्या में झील से बाहर निकलकर आसपास टहलना पसंद करता था। एक दिन, जब वह धूप सेंकने के लिए किनारे पर था, झाड़ियों में छिपी एक चालाक लोमड़ी, जिसका नाम था चंचला, ने उसे देख लिया। चंचला को भूख सता रही थी, और उसने सोचा, "अरे, ये कछुआ तो मेरे लिए बढ़िया खाना हो सकता है!"
चंचला ने झाड़ियों से छलांग लगाई और मेघनाद को पकड़ लिया। मेघनाद डर गया और मन ही मन सोचने लगा, "अब क्या होगा?" चंचला ने उसे काटने की कोशिश की, लेकिन कछुए का सख्त खोल उसे बचा लिया। मेघनाद ने अपनी बुद्धि जागृत की और धीरे से बोला, "अरे लोमड़ी बहन, तुम्हें मुझ तक पहुँचने में दिक्कत हो रही है, है ना?" चंचला ने तिरस्कार से कहा, "हाँ, ये खोल मेरी राह में आ रहा है!"
मेघनाद ने चतुराई से कहा, "अगर तुम मुझे झील के पानी में थोड़ी देर डाल दो, तो मेरा खोल नरम हो जाएगा, और तुम्हें मुझे खाना आसान हो जाएगा।" चंचला हँसते हुए बोली, "क्या सोच रखा है? पानी में डालूँगा, तो भाग न जाओ?" मेघनाद ने शांत स्वर में जवाब दिया, "नहीं-नहीं, तुम मेरे ऊपर पंजा रख लो, मैं कहाँ जाऊँगा?" चंचला ने सोचा-विचारा और मेघनाद की बात मान ली।
चंचला ने मेघनाद को झील के किनारे ले जाया और उसे पानी में डाला, अपने पंजे से दबाए रखा। थोड़ी देर बाद चंचला ने पूछा, "अब नरम हुआ कि नहीं? भूख से बर्दाश्त नहीं हो रहा!" मेघनाद ने कहा, "अभी वह हिस्सा सख्त है, जहाँ तुम्हारा पंजा है। थोड़ा हटा लो, फिर देखना।" चंचला ने भरोसा करके पंजा हटाया, और वही पल था जब मेघनाद ने झटके से पानी में गोता लगा लिया और तैरकर दूर चला गया।
चंचला हैरान रह गई और चिल्लाई, "अरे, ये तो धोखा हुआ!" लेकिन मेघनाद झील के बीच से हँसते हुए बोला, "चंचला दीदी, बुद्धि से ही जिंदा रहा हूँ!" चंचला को अपनी गलती का एहसास हुआ, और वह खाली हाथ लौट गई। मेघनाद ने राहत की साँस ली और सोचा, "अपनी चतुराई से ही खतरा टला।"
कुछ दिन बाद, मेघनाद फिर किनारे पर टहल रहा था। चंचला ने उसे दूर से देखा और सोचा, "इस बार सावधान रहूँगी।" वह धीरे से पास आई और बोली, "मेघनाद, तुमने मुझे चकमा दे दिया था, लेकिन अब दोस्ती कर लें?" मेघनाद ने हँसते हुए कहा, "अच्छा, दोस्ती? पहले भूख लगने पर दोस्ती याद आई?" चंचला ने शर्मिंदा होकर कहा, "सच कहूँ, मैंने सीख ली है। अब तो बस बातें करूँगी।"
दोनों ने एक समझौता किया। चंचला ने वादा किया कि वह मेघनाद को नुकसान नहीं पहुँचाएगी, और बदले में मेघनाद ने उसे झील के पास फल और जामुन खाने का न्योता दिया। एक दिन, जब चंचला आई, मेघनाद ने उसे जामुन खिलाए और कहा, "दोस्ती में भरोसा जरूरी है, न कि चालाकी।" चंचला ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, भाई, तूने मुझे सिखा दिया।"
इस घटना के बाद, जंगल में यह कहानी मशहूर हो गई। छोटे जानवरों ने एक-दूसरे से कहा, "मेघनाद की चतुराई से लोमड़ी भी हारी!" एक दिन, जंगल के राजा हिरण ने मेघनाद को बुलाया और उसे सम्मान दिया। हिरण ने कहा, "तुमने अपनी बुद्धि से सबको प्रेरणा दी।" मेघनाद ने जवाब दिया, "धन्यवाद, महाराज, लेकिन मैं तो बस अपनी जान बचाना चाहता था!"
सीख
यह मोटिवेशनल स्टोरी बच्चों को सिखाती है कि सही समय पर अपनी बुद्धि का इस्तेमाल खतरे से बचा सकता है। साथ ही, दुश्मनी को दोस्ती में बदलने से जिंदगी आसान और खुशहाल हो सकती है।
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