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समस्या का हल: एक जंगल की कहानी

समस्या का हल: एक जंगल की कहानी : एक घने जंगल में कई तरह के जानवर रहते थे, जहाँ शेर राजा था और सभी पर नजर रखता था। जंगल के बीचोंबीच एक छोटी सी नदी बहती थी, जो सभी के लिए पानी का सबसे बड़ा स्रोत थी।

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समस्या का हल: एक जंगल की कहानी : एक घने जंगल में कई तरह के जानवर रहते थे, जहाँ शेर राजा था और सभी पर नजर रखता था। जंगल के बीचोंबीच एक छोटी सी नदी बहती थी, जो सभी के लिए पानी का सबसे बड़ा स्रोत थी। सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाहट और हिरणों की दौड़ के साथ दिन शुरू होता था। लेकिन एक दिन, जब सूरज की किरणें तेज हो गईं, तो नदी का पानी अचानक सूखने लगा। हिरणों की प्यास बढ़ गई, बंदरों के फल सूखने लगे, और हाथियों को नहाने का मौका भी नहीं मिला। जंगल में अफरा-तफरी मच गई।

शेर ने अपनी गहरी आवाज में सभी जानवरों को बुलाया। "दोस्तों, यह गंभीर समस्या है! नदी सूख गई है। हमें मिलकर इसका हल निकालना होगा। कोई विचार है?" उसने पूछा, अपनी माने हिलाते हुए। बाघ, जो हमेशा अपनी ताकत पर गर्व करता था, आगे बढ़ा और बोला, "राजा, शायद किसी ने नदी को बंद कर दिया हो। मैं जाकर देखता हूँ। अगर कोई दुश्मन है, तो मैं उसे सबक सिखा दूँगा!" शेर ने हामी भरी, "ठीक है, बाघ, जाओ और जल्दी लौटो।"

बाघ तेजी से नदी की ओर दौड़ा। घंटों बाद वह लौटा, हाँफते हुए बोला, "राजा, मैंने नदी का पूरा रास्ता चेक किया। कोई भी पेड़ या जानवर उसे रोक नहीं रहा। फिर भी पानी नहीं है। शायद यह कोई जादू है!" शेर ने सोचते हुए कहा, "नहीं, जादू नहीं। यह प्रकृति का खेल हो सकता है। हमें और गहराई से सोचना होगा।"

इसी बीच, एक चालाक लोमड़ी ने अपनी छोटी-छोटी आँखों से सब कुछ देखा। उसने सोचा, "यह कोई साधारण बात नहीं। हमें नदी के स्रोत तक जाना होगा।" उसने पास खड़े खरगोश को देखा और कहा, "अरे खरगोश भाई, चलो नदी के ऊपर वाले पहाड़ की ओर चलते हैं। शायद वहाँ कुछ पता चले।" खरगोश थोड़ा डरा, लेकिन बोला, "ठीक है, लोमड़ी दीदी, पर क्या हम इतनी दूर जा पाएंगे? रास्ता तो खतरनाक है!" लोमड़ी ने हिम्मत बँधाई, "चिंता मत करो, हम साथ हैं। चलो, शुरू करते हैं।"

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दोनों ने लंबी यात्रा शुरू की। पहाड़ी रास्ते में कंकड़-पत्थर थे, और बीच-बीच में हवा भी तेज चल रही थी। खरगोश ने कहा, "दीदी, थक गया हूँ। क्या फायदा, अगर पानी ही न मिले?" लोमड़ी ने उसे हौसला दिया, "धैर्य रखो, भाई। अगर हम हार मान लेंगे, तो जंगल कैसे बचेगा? चलो, थोड़ा और प्रयास करें।" आखिरकार, वे पहाड़ की चोटी पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि एक विशाल पत्थर नदी के स्रोत को पूरी तरह से बंद कर रहा था। पानी की एक बूंद भी बाहर नहीं निकल रही थी।

खरगोश घबरा गया, "अरे! यह तो बहुत बड़ा पत्थर है। हम इसे कैसे हटा पाएंगे? मैं तो छोटा हूँ, मेरी ताकत क्या करेगी?" लोमड़ी ने शांति से कहा, "डरने की जरूरत नहीं। हम अकेले नहीं हैं, जंगल की पूरी टीम हमारे साथ है। चलो, वापस चलते हैं और शेर राजा को बताते हैं।" खरगोश ने राहत की साँस ली, "हाँ, दीदी, आप सही कह रही हैं। एकता में ही ताकत है।"

वे जंगल लौटे और शेर के सामने सारी बात रखी। शेर ने गर्व से दहाड़ा, "बहुत अच्छा, लोमड़ी और खरगोश! तुमने सही दिशा दिखाई। अब हम सब मिलकर काम करेंगे।" उसने हाथी, भालू और बाघ को बुलाया। हाथी ने पूछा, "राजा, हमें क्या करना होगा?" शेर ने कहा, "हाथी, तुम अपनी सूंड से पत्थर को हिलाओ। भालू, तुम धक्का मारो, और बाघ, तुम अपनी ताकत से उसे तोड़ दो।"

सभी जानवर पहाड़ की ओर चल पड़े। रास्ते में भालू ने कहा, "यह तो भारी काम है, कहीं हम थक न जाएँ!" बाघ ने हँसते हुए जवाब दिया, "अरे भाई, थकने की बात मत करो। जंगल की जान बचानी है, तो मेहनत तो करनी पड़ेगी।" हाथी ने अपनी सूंड उठाई और बोला, "चलो, शुरू करते हैं। मेरी ताकत आज काम आएगी।" उसने पत्थर को हिलाया, भालू ने जोर से धक्का मारा, और बाघ ने अपनी पंजों से वार किया। पहली कोशिश में पत्थर हिला, लेकिन पूरी तरह नहीं टूटा।

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खरगोश चिंतित होकर बोला, "क्या होगा, भाई लोग? यह तो नहीं हिल रहा!" लोमड़ी ने उसे दिलासा दिया, "रुको, एक और कोशिश करें। हिम्मत मत हारो।" शेर ने दहाड़ते हुए कहा, "सभी एक साथ मेहनत करो! जंगल हमारा घर है।" इस बार सभी ने एक साथ जोर लगाया। हाथी की सूंड, भालू का धक्का, और बाघ की ताकत ने पत्थर को तोड़ दिया। अचानक नदी का पानी फूट पड़ा और जंगल में खुशी की लहर दौड़ गई।

सभी जानवर नदी के किनारे इकट्ठा हुए। शेर ने गर्व से कहा, "देखो, दोस्तों, एक-दूसरे की मदद से हमने समस्या सुलझाई।" लोमड़ी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, राजा, अकेले कुछ नहीं हो सकता। टीमवर्क ही असली ताकत है।" खरगोश ने जोड़ा, "और हिम्मत भी, दीदी! अगर हम डर जाते, तो यह दिन न देखते।" हाथी ने हँसते हुए कहा, "मेरी सूंड ने तो कमाल कर दिया, है न?" बाघ ने ठहाका लगाया, "हाँ, भाई, पर बिना मेरी ताकत के क्या होता?"

उस दिन से जंगल के जानवरों ने सीख ली कि मुश्किल वक्त में एक साथ आना और सही सोच के साथ कोशिश करना ही समस्या का हल है। उन्होंने फैसला किया कि हर साल इस दिन को "एकता दिवस" के रूप में मनाएँगे। नदी का पानी फिर से बहने लगा और जंगल में हरा-भरा जीवन लौट आया। शाम को सभी जानवरों ने नदी के किनारे नाच-गाना किया और एक-दूसरे को गले लगाया, वादा करते हुए कि वे हमेशा एकजुट रहेंगे।

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