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समुद्र की गहराई में दोस्ती की मिसाल

समुद्र की गहराई में दोस्ती की मिसाल: नमस्ते प्यारे बच्चों! क्या आपने कभी सोचा है कि समुद्र के उस गहरे नीले पानी के नीचे क्या है? वहाँ एक अलग ही जादुई दुनिया है, बिल्कुल परियों की कहानियों जैसी।

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समुद्र की गहराई में दोस्ती की मिसाल: नमस्ते प्यारे बच्चों! क्या आपने कभी सोचा है कि समुद्र के उस गहरे नीले पानी के नीचे क्या है? वहाँ एक अलग ही जादुई दुनिया है, बिल्कुल परियों की कहानियों जैसी। रंग-बिरंगी मछलियाँ, झिलमिलाते पौधे, और बड़े-बड़े रहस्यमयी जीव। आज हम आपको उसी नीली दुनिया की सैर पर ले चलेंगे, जहाँ दो पक्के दोस्तों ने एक ऐसी मिसाल कायम की, जिसे पूरा समुद्र याद रखता है। तो चलिए, अपनी सांसें थामिए और हमारे साथ गोता लगाइए इस अनोखी कहानी में!


कहानी: गहरे पानी की पक्की यारी

बहुत समय पहले की बात है, 'नीलमणि' नाम के एक विशाल समुद्र में एक हलचल भरी मूंगा चट्टान (Coral Reef) थी। यह जगह समुद्र के सबसे सुंदर इलाकों में से एक थी। यहीं रहती थी एक चुलबुली डॉल्फिन, जिसका नाम था 'डॉली', और उसका सबसे पक्का दोस्त, एक आठ हाथों वाला ऑक्टोपस, जिसका नाम था 'ओमी'।

डॉली और ओमी स्वभाव में एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे। डॉली हमेशा खुश रहती, हवा में छलांगें लगाती और सबसे बातें करती थी। वहीं दूसरी ओर, ओमी थोड़ा शर्मीला था। वह अक्सर चट्टानों के पीछे छिपा रहता और खतरे का आभास होते ही अपना रंग बदलकर गायब हो जाता था।

बावजूद इसके, उनकी दोस्ती बहुत गहरी थी। वे साथ में तैरते, सीपीयों से गेंद खेलते और समुद्र के नए-नए कोने तलाशते। समुद्र के बाकी जीव अक्सर कहते, "देखो, वो जा रही है दोस्ती की मिसाल!"

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एक दिन, डॉली ने कहा, "ओमी! चलो आज उस पुरानी 'अंधेरी गुफा' की तरफ चलते हैं, जिसके बारे में बूढ़े कछुए ने बताया था।"

ओमी थोड़ा झिझका, "डॉली, वह जगह खतरनाक हो सकती है। वहाँ बहुत अंधेरा होता है और बड़े जीव रहते हैं।"

लेकिन डॉली तो रोमांच की दीवानी थी। उसने ओमी को मना ही लिया। वे दोनों तैरते हुए उस अंधेरी गुफा के मुहाने पर पहुँचे। गुफा के अंदर अजीब सी शांति थी और सिर्फ अजीबोगरीब चमकने वाले पौधे ही रोशनी दे रहे थे।

वे मजे से अंदर घूम रहे थे कि तभी डॉली की नज़र एक बहुत बड़ी और चमकदार मोती जैसी चीज़ पर पड़ी, जो एक विशालकाय 'महा-सीपी' (Giant Clam) के अंदर रखी थी। डॉली उसे करीब से देखने के लिए जैसे ही झुकी, उस विशाल सीपी ने खतरा महसूस किया और 'खटाक!' से अपना मुंह बंद कर लिया।

"ओमी! बचाओ!" डॉली चिल्लाई। उसकी पूंछ बुरी तरह से उस सख्त सीपी के बीच फंस गई थी। वह जितना हिलती, दर्द उतना बढ़ता।

ओमी बुरी तरह डर गया। उसके सामने एक विशाल सीपी थी जिसकी पकड़ लोहे जैसी मजबूत थी। उसका पहला विचार आया कि वह तुरंत वहां से भाग जाए और छिप जाए, जैसा वह हमेशा करता था। लेकिन फिर उसने अपनी दोस्त डॉली की दर्दभरी आवाज़ सुनी।

ओमी ने अपनी घबराहट को किनारे रखा। उसने सोचा, "अगर आज मैं भाग गया, तो मेरी दोस्ती हार जाएगी।"

ओमी तुरंत सीपी के पास पहुँचा। उसने अपने आठों हाथों का इस्तेमाल किया। उसने अपने चिपचिपे हाथों (tentacles) से सीपी के दोनों हिस्सों को पकड़ा और पूरी ताकत से खींचना शुरू किया। यह आसान नहीं था। सीपी बहुत ताकतवर थी।

"हिम्मत मत हारना डॉली, मैं हूँ ना!" ओमी ने जोर लगाते हुए कहा।

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ओमी ने अपनी पूरी जान लगा दी। उसके आठों हाथ दर्द करने लगे थे। आखिरकार, उसकी मेहनत रंग लाई। सीपी की पकड़ थोड़ी ढीली हुई। उसने एक और जोरदार झटका दिया और सीपी का मुंह इतना खुल गया कि डॉली अपनी पूंछ बाहर निकाल सके।

डॉली ने झटके से खुद को आज़ाद किया। उसकी पूंछ पर चोट लगी थी, लेकिन वह सुरक्षित थी। दोनों दोस्त बिना एक पल गंवाए उस अंधेरी गुफा से बाहर की तरफ भागे और सुरक्षित मूंगा चट्टान पर वापस आ गए।

डॉली की आँखों में आँसू थे, दर्द के नहीं, बल्कि खुशी के। उसने ओमी को गले लगाया (जितना एक डॉल्फिन और ऑक्टोपस गले मिल सकते हैं) और कहा, "ओमी, आज तुमने साबित कर दिया कि तुम सिर्फ मेरे खेलने के साथी नहीं, बल्कि मेरे सच्चे रक्षक हो। तुम मेरी सबसे बड़ी ताकत हो।"

शर्मीला ओमी लाल हो गया (जो कि ऑक्टोपस के लिए खुशी का रंग था) और मुस्कुराया। उस दिन नीलमणि समुद्र ने देखा कि सच्ची दोस्ती सूरत या स्वभाव से नहीं, बल्कि मुसीबत में साथ निभाने से होती है।


इस कहानी से सीख (Moral of the Story):

प्यारे बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा दोस्त वही है जो मुसीबत के समय आपका साथ न छोड़े। अच्छे समय में तो हर कोई दोस्त बन सकता है, लेकिन जो आपके डर और मुश्किलों में आपके साथ खड़ा रहे, वही 'दोस्ती की असली मिसाल' (Dosti ki Misaal) होता है। अपने दोस्तों का हमेशा साथ दें, जैसे ओमी ने डॉली का दिया।'

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