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मूर्ख बगुला और चालाक केकड़ा: एक जंगल की कहानी : "मूर्ख बगुला और चालाक केकड़ा: एक जंगल की कहानी" एक ऐसी jungle story in Hindi है, जो हमें सिखाती है कि किसी की सलाह लेने से पहले उसके इरादों और परिणामों पर गहराई से विचार करना चाहिए। यह कहानी एक मूर्ख बगुले और एक चालाक केकड़े की है, जो जंगल में एक बड़े पेड़ पर रहने वाले बगुलों और एक खतरनाक सर्प की समस्या को सुलझाने की कोशिश करते हैं। लेकिन बगुले की मूर्खता और केकड़े की चालाकी उन्हें एक ऐसी मुसीबत में डाल देती है, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। यह moral story for kids बच्चों को सिखाती है कि हमें हमेशा सोच-समझकर फैसले लेने चाहिए और किसी पर आँख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। इस inspirational jungle story में जंगल का माहौल, जानवरों की बातें, और एक गहरी सीख है, जो बच्चों को पसंद आएगी। आइए, इस कहानी की सैर पर चलें और देखें कि कैसे एक मूर्ख बगुले की भूल ने पूरे बगुला समुदाय को मुसीबत में डाल दिया।
जंगल का बड़ा पेड़ और बगुलों का समुदाय
एक बार की बात है, एक घने और हरे-भरे जंगल में एक बहुत बड़ा और पुराना बरगद का पेड़ था। यह पेड़ इतना विशाल था कि उसकी शाखाएँ चारों तरफ फैली हुई थीं, और उसकी छाया में सैकड़ों जानवर आराम करते थे। इस पेड़ पर बगुलों का एक बड़ा समुदाय रहता था। बगुले अपने परिवारों के साथ इस पेड़ पर खुशी-खुशी रहते थे। उनके घोंसले पेड़ की ऊँची शाखाओं पर बने थे, जहाँ वे अपने बच्चों को पालते थे। बगुले दिन भर नदी किनारे मछलियाँ पकड़ते और अपने बच्चों को खिलाते। उनकी ज़िंदगी हँसी-खुशी चल रही थी।
लेकिन इस पेड़ के एक कोटर (खोखले हिस्से) में एक खतरनाक काला सर्प रहता था, जिसका नाम था कालिया। कालिया बहुत चालाक और क्रूर था। वह मौका मिलते ही बगुलों के उन छोटे बच्चों को खा जाता था, जिनके पंख अभी नहीं उगे थे। कालिया रात के अंधेरे में चुपके से घोंसलों तक पहुँचता और बगुलों के बच्चों को अपना शिकार बना लेता। बगुले इस बात से बहुत दुखी थे। वे हर रात डरते थे कि कालिया उनके बच्चों को नुकसान न पहुँचा दे। लेकिन उनके पास कोई उपाय नहीं था। वे कालिया से डरते थे, क्योंकि वह बहुत ताकतवर और जहरीला था।
बगुले का दुख और नदी किनारे की मुलाकात
एक दिन, बगुलों के समुदाय का एक बूढ़ा बगुला, जिसका नाम था सफेदू, बहुत दुखी हो गया। कालिया ने रात को उसके घोंसले से उसके दो छोटे बच्चों को मारकर खा लिया था। सफेदू का दिल टूट गया। वह अपने साथियों से बोला, "हाय! यह कालिया हमें जीने नहीं देगा। वह हमारे बच्चों को एक-एक करके मार रहा है। हमें कोई उपाय करना होगा, वरना हमारा पूरा समुदाय खत्म हो जाएगा।" लेकिन बगुले बहुत डरे हुए थे। किसी के पास कोई उपाय नहीं था।
दुखी होकर सफेदू नदी किनारे जाकर बैठ गया। वह रोने लगा। उसकी आँखें रो-रोकर लाल हो गई थीं, और उसकी साँसें हिचकियाँ ले रही थीं। वह बार-बार कह रहा था, "मेरे बच्चे... मेरे बच्चे... अब मैं क्या करूँ?" तभी नदी में रहने वाले एक चालाक केकड़े ने उसे रोते हुए देखा। उस केकड़े का नाम था चालू। चालू बहुत चतुर और धोखेबाज था। उसने सफेदू को रोते देखकर सोचा, "यह बगुला तो बहुत दुखी है। शायद मैं इसका फायदा उठा सकता हूँ।"
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चालू ने नदी से बाहर निकलकर सफेदू के पास जाकर कहा, "मामा! आप आज इस तरह क्यों रो रहे हैं? क्या हुआ?" सफेदू ने अपनी आँखें पोंछते हुए कहा, "प्रिय चालू, क्या बताऊँ? हमारे पेड़ के कोटर में एक खतरनाक सर्प रहता है, जिसका नाम कालिया है। उसने मेरे सारे बच्चों को मारकर खा लिया। वह हर रात हमारे घोंसलों में घुसकर हमारे बच्चों को शिकार बनाता है। मैं बहुत दुखी हूँ। क्या तुम कोई उपाय बता सकते हो?"
चालू की चालाकी और बगुले की मूर्खता
चालू ने सफेदू की बात सुनी और मन ही मन मुस्कुराने लगा। उसे पता था कि बगुले और केकड़े जंगल में एक-दूसरे के दुश्मन हैं। बगुले अक्सर नदी में मछलियाँ पकड़ने के लिए केकड़ों को परेशान करते थे। चालू ने सोचा, "यह मेरा मौका है। मैं ऐसा उपाय बताऊँगा कि सर्प के साथ-साथ ये बगुले भी खत्म हो जाएँ।" उसने चालाकी भरे लहजे में कहा, "मामा, चिंता मत करो। मैं तुम्हारी मदद करूँगा। मेरे पास एक शानदार उपाय है।"
सफेदू ने उम्मीद भरी नज़रों से चालू की तरफ देखा और कहा, "कैसा उपाय? जल्दी बताओ, चालू!" चालू ने कहा, "मामा, तुम मछलियों की हड्डियाँ इकट्ठा करो और उन्हें नेवले के बिल से लेकर कालिया के बिल तक बिखेर दो। जंगल में एक नेवला रहता है, जो मछलियों का मांस बहुत पसंद करता है। वह मछलियों की हड्डियाँ खाता हुआ कालिया के बिल तक पहुँच जाएगा। फिर वह कालिया को मारकर खा जाएगा। इस तरह तुम्हारी समस्या हल हो जाएगी।"
सफेदू को चालू की बात समझ में आ गई। उसने खुशी-खुशी कहा, "चालू, तुम बहुत बुद्धिमान हो! यह बहुत अच्छा उपाय है। मैं अभी अपने साथियों को बताता हूँ।" लेकिन सफेदू ने यह नहीं सोचा कि चालू उसका हितचिंतक है या नहीं। वह अपनी मूर्खता में चालू की सलाह को सही मान बैठा।
बगुलों की योजना और नेवले का आगमन
सफेदू ने अपने सारे साथी बगुलों को बुलाया और चालू का उपाय बताया। बगुले खुश हो गए। उन्होंने कहा, "यह तो बहुत आसान उपाय है। चलो, जल्दी से मछलियों की हड्डियाँ इकट्ठा करते हैं।" सारे बगुले नदी किनारे गए और मछलियों की हड्डियाँ इकट्ठा करने लगे। उन्होंने दिन-रात मेहनत करके बहुत सारी हड्डियाँ जमा कर लीं। फिर उन्होंने नेवले के बिल से लेकर कालिया के बिल तक हड्डियों का एक रास्ता बना दिया।
जंगल में एक नेवला रहता था, जिसका नाम था नन्हा। नन्हा बहुत चालाक और ताकतवर था। उसे मछलियों का मांस बहुत पसंद था। एक दिन, जब वह अपने बिल से बाहर निकला, तो उसने मछलियों की हड्डियाँ देखीं। उसने खुशी से कहा, "वाह! यह तो मेरे लिए दावत है। चलो, मैं इन हड्डियों को खाता हूँ।" नन्हा हड्डियाँ खाता हुआ आगे बढ़ने लगा। वह हड्डियों का रास्ता पार करते हुए कालिया के बिल तक पहुँच गया।
कालिया अपने बिल में सो रहा था। नन्हा ने उसे देखा और सोचा, "यह सर्प तो बहुत खतरनाक है। लेकिन मैं इसे हरा सकता हूँ।" नन्हा ने तेज़ी से हमला किया और कालिया को मार डाला। कालिया की मृत्यु हो गई, और बगुले बहुत खुश हो गए। सफेदू ने अपने साथियों से कहा, "देखो, चालू का उपाय काम कर गया! अब हमारा दुश्मन मर गया। हम सुरक्षित हैं।"
नई मुसीबत और बगुलों का अंत
बगुले खुशी मना रहे थे, लेकिन उनकी खुशी ज्यादा देर नहीं टिकी। नन्हा नेवला वहाँ से गया नहीं। उसे बगुलों के घोंसले दिखाई दिए, और उसने सोचा, "यहाँ तो बहुत सारे बगुले हैं। मैं इन्हें भी खा सकता हूँ।" नन्हा बहुत चालाक था। वह हर रात चुपके से पेड़ पर चढ़ता और एक-एक करके बगुलों को मारकर खाने लगा। बगुले डर गए। उन्होंने सोचा, "हाय! हमने तो एक दुश्मन से छुटकारा पाने के लिए एक और बड़ा दुश्मन बुला लिया।"
कुछ ही दिनों में, नन्हा ने सारे बगुलों को मार डाला। सफेदू भी नहीं बच सका। जब वह मरने वाला था, तो उसने पछताते हुए कहा, "हाय! मैंने चालू की सलाह पर आँख मूंदकर भरोसा कर लिया। मुझे पहले सोचना चाहिए था कि चालू मेरा हितचिंतक है या नहीं। मेरी मूर्खता की वजह से मेरा पूरा समुदाय खत्म हो गया।"
उधर, चालू नदी किनारे बैठा हँस रहा था। उसने कहा, "मूर्ख बगुले! मैंने तुम्हें ऐसा उपाय बताया कि तुम्हारा सारा समुदाय खत्म हो गया। अब मैं नदी में चैन से रह सकता हूँ।"
कहानी की गहरी सीख
यह jungle story in Hindi हमें कई गहरे और प्रेरणादायक सबक सिखाती है:
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सोच-समझकर फैसला लें: सफेदू ने चालू की सलाह पर बिना सोचे-समझे भरोसा कर लिया, जिसके गहरे परिणाम भुगतने पड़े। यह हमें सिखाता है कि किसी की सलाह लेने से पहले उसके इरादों और परिणामों पर विचार करना चाहिए।
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हितचिंतक की पहचान करें: चालू ने बगुले की मदद का दिखावा किया, लेकिन वह उसका दुश्मन था। यह हमें सिखाता है कि हमें यह समझना चाहिए कि कौन हमारा सच्चा हितचिंतक है।
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मूर्खता से बचें: सफेदू की मूर्खता की वजह से उसका पूरा समुदाय खत्म हो गया। यह हमें सिखाता है कि हमें मूर्खतापूर्ण फैसले लेने से बचना चाहिए।
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चालाकी का जवाब: चालू की चालाकी ने बगुलों को बर्बाद कर दिया। यह हमें सिखाता है कि हमें चालाक लोगों से सावधान रहना चाहिए।
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सुरक्षा की जिम्मेदारी: बगुले अपनी सुरक्षा के लिए सही कदम नहीं उठा सके। यह हमें सिखाता है कि हमें अपनी और अपने समुदाय की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
निष्कर्ष
"मूर्ख बगुला और चालाक केकड़ा: एक जंगल की कहानी" एक ऐसी inspirational jungle story है, जो बच्चों को सिखाती है कि हमें किसी की सलाह लेने से पहले उसके इरादों और परिणामों पर विचार करना चाहिए। सफेदू की मूर्खता और चालू की चालाकी ने बगुलों के पूरे समुदाय को बर्बाद कर दिया। यह jungle story for kids हमें यह सिखाती है कि हमें सोच-समझकर फैसले लेने चाहिए और अपने हितचिंतकों की पहचान करनी चाहिए। बच्चों, हमेशा याद रखो कि जल्दबाज़ी और मूर्खता हमें मुसीबत में डाल सकती है, इसलिए हमेशा समझदारी से काम लो।
Tags : moral story in hindi | चालाकी की कहानी | मूर्खता की कहानी | बच्चों के लिए जंगल की कहानी
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