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दो बिल्लियां और समझदारी का सबक - एक घना जंगल था, जहाँ तरह-तरह के जानवर रहते थे। उन्हीं में दो बिल्लियाँ, मीना और टीना, बहुत अच्छी दोस्त थीं। दोनों साथ में खेलतीं, दौड़तीं और एक-दूसरे के साथ अपनी छोटी-छोटी खुशियाँ बांटती थीं। लेकिन एक दिन, उनके बीच एक ऐसी बात हो गई जिससे उनकी दोस्ती में दरार पड़ने लगी।
🍞 रोटी की लड़ाई
एक दिन, मीना और टीना जंगल में घूमते हुए एक रोटी का टुकड़ा पाईं। दोनों की नज़रें चमक उठीं, लेकिन अब सवाल था कि इसे कौन खाएगा?
"यह मेरी है!" मीना बोली।
"नहीं, मैंने पहले देखा था!" टीना ने कहा।
धीरे-धीरे उनकी बहस तेज़ हो गई और वे एक-दूसरे से लड़ने लगीं। जंगल के बाकी जानवर भी यह देखकर हैरान थे। तभी वहाँ एक चालाक बंदर, झपकू, आ गया। वह उनकी लड़ाई सुनकर मुस्कुराया और बोला,
"अरे-अरे, झगड़ा मत करो! मैं तुम्हारी रोटी बराबर-बराबर बाँट दूँगा।"
😈 बंदर की चालाकी
बंदर ने रोटी के टुकड़े को दो भागों में तोड़ दिया, लेकिन जान-बूझकर एक टुकड़ा बड़ा रखा और दूसरा छोटा।
"अरे, यह तो बराबर नहीं हुआ!" झपकू ने चालाकी से कहा। फिर उसने बड़े टुकड़े में से थोड़ा सा खुद खा लिया। अब दूसरा टुकड़ा बड़ा लगने लगा।
"अभी भी बराबर नहीं हुआ!" कहते हुए उसने फिर से छोटे वाले टुकड़े से थोड़ा सा खा लिया। यह सिलसिला चलता रहा, और धीरे-धीरे पूरी रोटी बंदर के पेट में चली गई।
मीना और टीना यह देखकर परेशान हो गईं। उन्हें एहसास हुआ कि उनकी लड़ाई की वजह से वे दोनों भूखी रह गईं और बंदर ने चालाकी से उनका फायदा उठा लिया।
📚 सीख
मीना ने टीना से कहा, "अगर हम साथ में बाँट लेतीं, तो आज हमारा पेट भरा होता!"
टीना ने सिर हिलाया, "सही कहा! आगे से हम कभी आपस में नहीं लड़ेंगी और अपनी चीज़ें समझदारी से बाँटेंगी।"
इसके बाद, दोनों बिल्लियाँ पहले से भी अच्छे दोस्त बन गए और जंगल में खुशी-खुशी रहने लगीं।
🌟 सीख:
"झगड़ा करने से कोई फायदा नहीं होता, बल्कि आपसी समझदारी से ही हर समस्या का हल निकाला जा सकता है!"