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The Frog Who Burst - A Fun Story for Kids
वो मेंढक जो फट गया - यह मजेदार कहानी एक मेंढक परिवार की है, जहाँ पापा मेंढक का घमंड उन्हें तबाह कर देता है। जब बच्चे एक बड़े बैल को देखकर डरते हैं, तो पापा मेंढक अपनी तुलना में उसे बड़ा साबित करने की कोशिश में फट जाते हैं।
एक बार की बात है, एक खूबसूरत तालाब में एक मेंढक परिवार रहता था। इस परिवार में मम्मी मेंढक, पापा मेंढक और उनके चार छोटे-छोटे बच्चे मेंढक थे, जिनका नाम था चीं-चीं, किक्की, बब्बल और पप्पू। ये सभी दिनभर तालाब में छपछप खेलते, पानी में गोते लगाते और एक-दूसरे के साथ मस्ती करते थे। तालाब के चारों तरफ हरी-हरी घास और रंग-बिरंगी तितलियाँ उड़ती थीं, जो इस जगह को और भी खुशनुमा बनाती थीं।
एक दिन, जब चीं-चीं, किक्की, बब्बल और पप्पू तालाब के किनारे खेल रहे थे, अचानक उनकी नजर एक विशालकाय बैल पर पड़ी। वह बैल तालाब से पानी पी रहा था। उसकी बड़ी-बड़ी सींगें और लंबी पूंछ देखकर बच्चे डर गए। वे एक-दूसरे से चिपक गए और जोर-जोर से चिल्लाने लगे, "अरे! ये क्या है? ये तो बहुत बड़ा है!" डर के मारे वे तुरंत अपने पापा मेंढक के पास गए।
चीं-चीं ने घबराते हुए कहा, "पापा! हमने एक बहुत बड़ा जीव देखा! उसके पास बड़ी-बड़ी सींगें और लंबी पूंछ थी!" किक्की ने जोड़ा, "हाँ पापा, वो बहुत डरावना था!" बब्बल और पप्पू भी डर से काँपते हुए बोले, "हमें लगता है वो हमें खा लेगा!"
पापा मेंढक, जो तालाब में सबसे बड़ा और ताकतवर माना जाता था, हैरान हो गए। उन्होंने सोचा, "मैं तो यहाँ का सबसे बड़ा मेंढक हूँ, फिर ये कौन सा जीव है?" उन्होंने अपने बच्चों से पूछा, "बच्चों, क्या वो मेरे जैसा बड़ा था?" चीं-चीं ने तुरंत जवाब दिया, "नहीं पापा! वो आपसे कहीं ज्यादा बड़ा था!" किक्की ने भी सहमति में सिर हिलाया, "हाँ, वो एक पहाड़ जैसा लग रहा था!"
पापा मेंढक को यह बात नागवार गुजरी। वो सोचने लगे, "मुझसे बड़ा? ये कैसे हो सकता है?" उन्होंने अपनी छाती फुलाई और पूछा, "अब कैसा लग रहा हूँ? क्या मैं अब उससे बड़ा हूँ?" बच्चे हंसते हुए बोले, "नहीं पापा! आप अभी भी उससे छोटे हैं।" पापा मेंढक ने और जोर से सांस भरी और फिर पूछा, "अब तो मैं उससे बड़ा हूँ, है ना?" लेकिन बब्बल ने मासूमियत से कहा, "नहीं पापा, वो अभी भी आपसे बहुत बड़ा है!"
पापा मेंढक का घमंड अब और बढ़ गया। वो बार-बार अपनी छाती फुलाते गए और बच्चों से पूछते, "अब? अब तो मैं सबसे बड़ा हूँ!" लेकिन हर बार बच्चे एक ही जवाब देते, "नहीं पापा, वो और बड़ा है!" इस बीच, मम्मी मेंढक ने दूर से देखा और चिल्लाई, "पति जी, रुक जाओ! ये सब छोड़ो, वो तो बस एक साधारण बैल है, तुम्हें उससे डरने या प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत नहीं!"
लेकिन पापा मेंढक ने मम्मी की बात नहीं मानी। उनका घमंड अब चरम पर था। उन्होंने अपनी सारी ताकत लगाकर और सांस भरी, अपनी छाती फुलाई, और सोचा, "अब मैं उस बैल से भी बड़ा हो जाऊँगा!" तभी अचानक—धमाके के साथ वो फट गया! ये देख बच्चे डर के मारे छिप गए। मम्मी मेंढक आईं और बच्चों को गले लगाया।
बच्चों ने रोते हुए कहा, "मम्मी, पापा क्यों ऐसा कर बैठे?" मम्मी मेंढक ने उन्हें समझाया, "बच्चों, पापा का घमंड उनकी हार का कारण बना। हमें अपनी सीमाओं को समझना चाहिए और दूसरों से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।" तभी एक बुद्धिमान कछुआ तालाब में आया और बोला, "हाँ बच्चे, जो जैसा है, उसे वैसा ही स्वीकार करना सीखो।"
सीख
इस प्रेरक कहानी से बच्चों को यह सीख मिलती है कि घमंड और ईर्ष्या नुकसानदायक होती है, और अपनी सीमाओं को स्वीकार करना ही सच्ची जीत है।
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