जंगल कहानी : हर हाल में खुश रहने का मंत्र जंगल कहानी : हर हाल में खुश रहने का मंत्र :- एक जंगल में बहुत सारे पशु पक्षी अपने अपने परिवार के साथ रहते थे और बहुत खुश थे। लेकिन एक तोता ऐसा भी था जिसके पास सब कुछ था लेकिन फिर भी वो खुश नहीं रहता था। By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 18:13 IST in Jungle Stories Moral Stories New Update जंगल कहानी : हर हाल में खुश रहने का मंत्र :- एक जंगल में बहुत सारे पशु पक्षी अपने अपने परिवार के साथ रहते थे और बहुत खुश थे। लेकिन एक तोता ऐसा भी था जिसके पास सब कुछ था लेकिन फिर भी वो खुश नहीं रहता था। वो दूसरे पशु पक्षियों को देखकर हमेशा यही सोचता था कि सामने वाला उससे भी ज्यादा सुंदर और बलवान है और उससे भी ज्यादा खुश है। दिन रात यही सब सोचते सोचते वो ना तो ठीक से खा पाता था और न ही सो पाता था। धीरे धीरे तोता बीमार पड़ने लगा। उसके सारे पंख झड़ गए। खाने पीने की इच्छा खत्म हो गई। वो सारा दिन अपने टूटे फूटे घोंसले में लेटे लेटे सोचता रहता कि कब उसके बुरे दिन खत्म होंगे और कब वो स्वस्थ हो जाएगा। (Jungle Story: Mantra to be happy in any situation) एक दिन तोते ने सुना कि जंगल के सभी जानवर पास के पहाड़ी पर , किसी साधु महात्मा के दर्शन करने जा रहे है। उसने अपने पेड़ के बगल से उड़ रहे एक बगुले से पूछा "बगुला भाई, तुम सब लोग कहाँ जा रहे हो?" इसपर बगुले ने कहा, "मैं पहाड़ी वाले साधु महात्मा के पास जा रहा हूँ, सुना है उनके पास कोई ऐसा मन्त्र है जिससे वो सबके दुख दर्द चुटकियों में दूर कर देता है?" ये सुनते ही तोता बगुले से विनती करने लगा, "भाई बगुला, मैं इस जंगल का सबसे दुखी प्राणी हूँ। मैं बहुत कमजोर हो गया हूँ, मेरे सारे पंख झड़ गए। मैं चाहकर भी उस सन्त महात्मा से मिलने नहीं जा सकता। क्या तुम मेरी तरफ से उन्हें प्रणाम कहकर मेरे दुख तकलीफ का इलाज ला सकते हो?" बगुले को उसपर दया आ गई, इसलिए अगले दिन जब वो उस साधू के पास गया तो उनसे तोते की बीमार हालत की कहानी सुना कर बोला, "बाबा, अब आप ही कोई उपाय बताइये ताकि उसकी तबीयत ठीक हो जाए।" साधु ने कुछ सोचकर कहा, "वो जल्दी ठीक नहीं होगा, कम से कम दस साल लगेगा उसे स्वस्थ होने में।" ये सुनकर बगुले ने चिंतित होते हुए कहा, "बाबाजी, मैं तोते से ये बात कैसे कहूँगा? वो निराश हो जाएगा। कोई ऐसी बात बताइए जिसे सुनकर वो निराश और दुखी ना ही।" साधु महात्मा ने कहा, "ठीक है, तुम उसके कान में ये कहना कि मैंने उसे दिन रात एक मन्त्र का जाप करने को कहा है, और वो मन्त्र है, "मैं हर हाल में खुश रहूँगा।" बगुला वापस जंगल लौट आया और जाकर तोते को वो मन्त्र सिखा कर अपने घर चला गया। अब दिन रात तोता एक ही रट लगाने लगा, "मैं हर हाल में खुश रहूँगा।" कुछ समय बाद एक दिन वो बगुला उसी रास्ते से गुज़र रहा था। उसने देखा तोता पेड़ में बैठा खुशी से चहक रहा है। वो स्वस्थ और सुंदर दिख रहा है।" बगुले को आश्चर्य हुआ कि साधु तो कह रहे थे कि तोता दस साल बीमार रहेगा, फिर वो स्वस्थ कैसे हुआ? बगुला वापस पहाड़ी वाले साधु के पास गया और सारी बात बताकर पूछा, "बाबा आपने कहा था तोता दस साल बीमार रहेगा लेकिन वो इतनी जल्दी कैसे ठीक हो गया?" साधु ने हंस कर जवाब दिया, "मैंने उसे हर हाल में खुश रहने का जो मन्त्र दिया था उसे तोते ने मन से माना। उसने दुख में, तकलीफ में, हर हाल में खुश रहने की कोशिश की और बोलता रहा, "मैं हर हाल में खुश रहूँगा।" इन अच्छी भावनाओं और सोच ने उसके तन और मन की बीमारी खत्म कर दी और वो जल्दी स्वस्थ हो गया।" बच्चों इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमें हर हाल में खुश रहना चाहिए और मन में अच्छी भावनाएं लाना चाहिए। जंगल कहानी : झमकू लोमड़ को मिला सबक जंगल कहानी : गोरे काले का भेदभाव जंगल कहानी : चालाक लोमड़ी की चालाक हरकतें Like us : Facebook Page You May Also like Read the Next Article