जंगल कहानी (Jungle Story) : किसी जंगल में एक शेर तथा एक रीछ रहते थे। उन दोनों में गहरी मित्रता थी। वह साथ उठते साथ बैठते, हंसते, साथ सोते, यहां तक कि वह दोनों एक ही गुफा में एक साथ रहते थे। दोनों में बहुत प्रेम था जंगल के सारे जानवर उनकी मित्रता को देख कर जलते थे।
जब कभी शेर बीमार पड़ जाता था तो रीछ उसको गुफा के अन्दर ही भोजन लाकर देता था और जब कभी रीछ चलने फिरने से लाचार हो जाता तो शेर उसकी खूब टहल सेवा किया करता था।
एक समय की बात है कि जंगल में भयंकर अकाल पड़ा, पेड, पौधे, तालाब सब सूख गये। सारे जानवर भोजन के एक दाने तक को तरसने लगे। फिर उन्होंने पेट की आग बुझाने के लिए आपस में ही एक दूसरे को खाना शुरू कर दिया। पर शेर और रीछ की दोस्ती वैसी ही बनी रही।
जब जंगल के सारे जानवर पशु-पक्षी खत्म हो गये। शेर और रीछ का भी भूख के मारे बुरा हाल होने लगा। वे निढाल हो गये तथा अपने शिकार की तलाश में जंगल में दर-दर की ठोकरें खाने लगें।
चलते-चलते वे अपनी गुफा की काफी दूर निकल आये। अब तो उनके बस का चलना भी नहीं रहा। वे निढाल होकर बैठने ही वाले थे कि रीछ ने देखा, सामने एक लोमड़ी खड़ी किसी चीज से जूझ रही है। उसने शेर से कहा। भाई शेर! मुझे एक लोमड़ी नजर आ रही है। तुम चाहो तो उसका शिकार कर सकते हो।
शेर ने आव देखा न ताव झट से छलागें लगाता हुआ उस ओर भाग लिया लोमड़ी ने जब शेर को अपनी ओर आते देखा तो वहां से भाग खड़ी हुई।
शेर ने वहा पहुँच कर देखा कि एक बहुत बड़ा हिरण मरा पड़ा है जिसे लोमड़ी खा रही थी। शेर मन ही मन बहुत खुश हुआ कुछ देर बाद रीछ भी वहा पहुँच गया। और दोनों मरे हुए हिरण को प्रेम पूर्वक खाने लगे। लोमड़ी, जो स्वयं भी बहुत भूखी दूर खड़ी यह तमाशा देख रही थी। तभी उसके मन में विचार कौंधा, उसने देखा कि शेर पास ही एक तालाब में पानी पीने जा रहा है। वह लपक कर रीछ के पास आई और बोली।
वाह रीछ भाई, यह भी कोई दोस्ती है कि शिकार तुम देखो और हाथ साफ शेर कर जाये। तुम्हें खाने को पूछा तक नहीं। रीछ भूखा तो था ही। भूख में कुछ नहीं सुझाई देता। उसके बात जच गई। जब शेर पानी पीकर वापस आया और हिरण की ओर बढ़ा तो रीछ तत्काल गुर्रा कर बोला।
बस भाई, तुमने बहुत खा लिया। अब मुझे खाने दो।
शेर ने कहा। तुम्हें पता नहीं, मैं जंगल का राजा हूँ। तुम मेरे टुकड़ों पर पलते आ रहे हो और अब मुझे ही आँखे दिखाते हो।
हिरण पहले मैंने देखा है। इस पर मेरा हक है। तुम कौन होते हो मुझ से पूछे बगैर खाने वाले रीछ ने कहा।
जंगल के सारे जानवर मुझ से डरते हैं। मैं जंगल का राजा हूँ। और सबसे बलवान भी। चाहे लोमड़ी मौसी से पूछ लो। शेर बोला।
आप ठीक कहते राजन, आप ही जंगल के राजा है और सर्व शक्ति मान है। लोमड़ी ने उत्तर दिया।
फिर क्या था। शेर ने शिकार खाना शुरू कर दिया। रीछ को बहुत क्रोध आया। उसने शेर पर हमला कर दिया। दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए। लोमड़ी दूर खड़ी यह सब तमाशा देख रही थी। तथा मन ही मन खुश हो रही थी। दोनों भूखे तो थे ही। पेट भर भोजन भी उन्होंने अभी नहीं किया था जल्दी ही लड़ते-लड़ते निढाल होकर गिर पड़े।
लेामड़ी तो इसी मौके की तलाश में थी। वह जल्दी से आई और हिरण को घसीट कर एक ओर ले जाकर प्रेम पूर्वक खाने लगी। चालाक लोमड़ी ने दो मित्रों को लड़वा कर अपने पेट की अग्नि को शान्त कर लिया।
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