जंगल की कहानी : गधेपन की हरकत
Web Stories : कालू सियार आज नदी पर बहुत ताव खा रहा था। गुस्से से उसके नथुने फड़क रहे थे। पर नदी तो नदी थी। वह तो वैसे ही मुस्कुराती बह रही थी। कालू नदी को बराबर कोसे जा
Web Stories : कालू सियार आज नदी पर बहुत ताव खा रहा था। गुस्से से उसके नथुने फड़क रहे थे। पर नदी तो नदी थी। वह तो वैसे ही मुस्कुराती बह रही थी। कालू नदी को बराबर कोसे जा
Web Stories: भगवान का दूत: उल्लू वन में सिर्फ उल्लू ही रहते थे। इसलिए उन्हें यह पता नहीं था कि उनके सिवा कोई ऐसा पंछी होता है जो दिन में भी देख सकता हो।
Web Stories: शिक्षाप्रद कहानी (Inspirational Child Story) : बुरे सोच का बुरा नतीजा - एक गाँव में दो दोस्त रहते थे। एक दोस्त सब्जी बेचने का काम करता था और दूसरा मिट्टी
Web Stories: बच्चों को मोटीवेट करती बाल कहानी : प्रार्थना की महिमा- एक गांव में एक प्रभु भक्त नाविक रहता था। वह रोज सवेरे उठ कर, नहा धोकर मंदिर जाता और पूजा करने के बाद
Web Stories: शिक्षा देती बाल कहानी : लालच का फल:- एक धोबी अपने गधे से बहुत प्यार करता था। वह हमेशा उसे फूलों की माला से सजाता था। एक दिन जब धोबी कपड़ों का गट्ठर धो कर
Moral Stories- कक्षा दूसरी में पढ़ने वाला रोहन अपने बड़े भाई आदित्य से 15 अगस्त के बारे में जानने की कोशिश करता है। आदित्य, जो कि तीसरी कक्षा में पढ़ता है, अपनी समझ के अनुसार रोहन को 15 अगस्त के महत्व के बारे में बताने की कोशिश करता है।
Jungle Story भगवान का दूत: उल्लू वन में सिर्फ उल्लू ही रहते थे। इसलिए उन्हें यह पता नहीं था कि उनके सिवा कोई ऐसा पंछी होता है जो दिन में भी देख सकता हो। एक दिन अचानक उल्लू वन में एक काला, लंबी चोंच वाला कौआ आ पहुँचा। उसने चश्मा पहन रखा था। उसकी गर्दन में एक थैला लटक रहा था। रात होतेे ही वन के उल्लू झुण्ड बनाकर उस विचित्र पंछी को देखने पहुँचे। एक उल्लू ने पास आकर उससे पूछा, आप कौन है? और कहाँ से आये हैं?
टेकापार के जंगल में जानवरों की खुशी का ठिकाना नहीं था। जंगल का कोना-कोना खुशियों से भर गया था। जंगल के बीचों-बीच एक संुदर-सा हेलीपेड जो बन गया था। खरगोश, हिरण,शाही,सियार सभी एक साथ उस ओर दौड़े चले जा रहे थे। उनका उत्साह देखते ही बनता था। उनमेें हेलीपेड देखने की होड़-सी लग गई थी।
Hindi Kids Story : गधेपन की हरकत - कालू सियार आज नदी पर बहुत ताव खा रहा था। गुस्से से उसके नथुने फड़क रहे थे। पर नदी तो नदी थी। वह तो वैसे ही मुस्कुराती बह रही थी। कालू नदी को बराबर कोसे जा रहा था और साथ में उसे देख लेने की धमकी भी दिये जा रहा था बात यह थी कि कुछ दिनों से कालू को नदी में केकड़े खाने को नहीं मिल रहे थे। उसे नदी पर शक था कि उसने केकड़ों को पानी के भीतर छिपा लिया हैं। यही वजह थी जिससे कालू नदी पर गुस्सा कर रहा था। कालू ने नदी से बदला लेने की सोच रखी थी। उसने काला रंग नदी को काला करने के लिए छोड़ दिया था।